Rajasthan News: जगद्गुरु निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्यामशरण देवाचार्य श्रीजी महाराज (Shriji Maharaj) ने सामाजिक व्यवस्था पर चिंता जताते हुए कहा कि सभ्य समाज में एकाकी परिवार का चलन बढ़ गया है. हिंदू समाज में परिवार नियोजन बढ़ने से देश में विधर्मी बढ़ रहे हैं. पहले हम दो हमारे दो की सोच थी और अब तो युगल एक ही संतान चाहते हैं. इसी सोच के कारण राष्ट्र को हानि पहुंचाने वालों की संख्या बढ़ रही है. सनातन संस्कृति को बचाने के लिए वंश वृद्धि होनी चाहिए. अगर सक्षम हैं तो वंश वृद्धि में समस्या नहीं होनी चाहिए. दो, चार, पांच संतान होने दें. उन्हें अच्छे संस्कार देकर संस्कृति और राष्ट्र सेवा में भेजो. यदि लालन-पालन नहीं कर सको तो उन्हें संत के आश्रम में भेज देना. आजकल संतों की संख्या कम होती जा रही है. जब बड़ा होकर आपका बालक संत बनेगा तो आपको गर्व होगा. श्रीजी ने यह बात राजस्थान (Rajasthan) की धार्मिक नगरी ब्यावर (Beawar) में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा (Bhagwat Katha) में कही. कथा में देश के विभिन्न राज्यों से आए हजारों श्रोता मौजूद रहे.


वृद्धाश्रम भारतीय संस्कृति पर कलंक
श्रीजी ने कहा कि आजकल सभी को अकेले रहना पसंद है. एकल परिवारों का प्रचलन बढ़ने के कारण वृद्धाश्रम (Old Age Home) भी बढ़ते जा रहे हैं. यह वृद्धाश्रम भारतीय संस्कृति और राष्ट्र पर कलंक हैं. भारत का भारतीय अपनी संस्कृति को भूल गया है. अपने माता-पिता की सेवा भूल गया है. जिसके परिवार में कोई सेवा करने वाला न हो, वो जाए तो ठीक है, लेकिन यदि किसी माता-पिता की संतान जीवित है और वो वृद्धाश्रम में हैं तो इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ नहीं.


शिक्षा के साथ संस्कार जरूरी
संत ने कहा कि वो माता-पिता अपने बच्चों के शत्रु हैं जो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा (Education) नहीं देते. यहां शिक्षा का मतलब सिर्फ पढ़ाई-लिखाई करवाना नहीं है. आजकल बच्चों का अध्ययन भी स्टेटस बनता जा रहा है. मां-बाप बच्चों को महंगे स्कूल में पढ़ने भेजते हैं. माता-पिता के बीच इस बात की प्रतिस्पर्धा होती है कि उनके बच्चे महंगे स्कूल (School) में पढ़ते हैं. बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाइए, लेकिन उनमें संस्कार भी दीजिए. दया कर दान भक्ति का हमें परमात्मा देना, दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना.., मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान तुम्हारे चरणों में., पहले स्कूलों में ऐसी प्रार्थना होती थी और अब बच्चे अंग्रेजी की अर्थहीन प्रार्थनाएं करते हैं.


गायों की दुर्दशा चिंताजनक
श्रीजी ने कहा कि गाय के लिए दान देने से श्रेष्ठ है स्वयं गौ सेवा करें. अगर सक्षम हैं तो घर में गाय (Cow) अवश्य पालें. घर में गाय होगी तो शुद्ध दूध मिलेगा. बच्चों को गाय का दूध पिलाने से उनकी बुद्धि श्रेष्ठ होगी. गाय का इतना महत्व है कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने हाथों से गौ चारण किया. उनके पास नौ लाख गाय थी. वर्तमान में देश का दुर्भाग्य है कि गायों की दुर्दशा हो रही है. जो गायें भगवान को अतिप्रिय थी, उन्हें आज संभालने वाला कोई नहीं. गायों को भगवान का स्वरूप मानकर पालन और पूजन करें.


कोरोना संक्रमण से किया सावधान
संत ने कहा कि कोरोना काल (Corona Virus) ने लोगों को जीना सिखाया. उसने यह बताया कि किसी भी व्यक्ति का जीवन निश्चित नहीं है. किसी को भी नहीं मालूम कि उनका जीवन कितना बचा है. अब एक बार फिर कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है. स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए सभी सतर्क और सावधान रहें.


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