Women's Day 2023: स्कूल ड्रॉप आउट लड़कियों को वापस शिक्षा की ओर ले जा रहीं भाग्यश्री, 2200 बच्चियोंं का संवरा भविष्य
राजस्थान में भाग्यश्री सैनी अब तक प्रदेश के कुल छह जिलों में 2200 से अधिक ड्राप आउट लड़कियां फिर से शिक्षा की ओर लौटा चुकी हैं. उन्होंने कहा कि बेटियों आर्थिक रूप से सबल करना ज्यादा जरूरी है
Women's Day Special Story: राजस्थान में प्रारम्भिक शिक्षा से लेकर आगे तक लड़कियों का ड्रॉप आउट रेट पहले बहुत ज्यादा हुआ करता था. धीरे-धीरे सरकार और सामाजिक प्रयासों से राज्य में लड़कियों के ड्रॉप आउट रेट में बदलाव आया है. ड्रॉप आउट लड़कियों के लिए काम करने वाली भाग्यश्री सैनी (Bhagyashree Saini) ये बदलाव लाई हैं.
अब तक प्रदेश के कुल छह जिलों में 2200 से अधिक ड्राॅप आउट लड़कियां फिर से शिक्षा की ओर लौट चुकी हैं. इसमें 14 से 30 साल की ड्राॅप आउट लड़कियां हैं. राजस्थान में प्रारंभिक शिक्षा की बात की जाए तो 2017-18 में यहां लड़कियों का ड्रॉप आउट रेट 3.45 फीसदी से बढ़कर 2018-19 में 4.83 प्रतिशत पर पहुंच गया था. अब धीरे-धीरे इसमें सुधार हो रहा है. वहीं अपने प्रयासों से इसमें बदलाव लाने वाली भाग्यश्री ने ABP न्यूज से बात की है.
राजस्थान अनसंग स्टार्स
भाग्यश्री बताती हैं कि पिछले दो साल से वो ड्रॉप आउट बेटियों के लिए काम कर रही हैं. उन्होंने अपने अभियान को 'राजस्थान अनसंग स्टार्स' नाम दिया है. इसके तहत वो बेटियों के लिए काम करने में जुटी हैं. भाग्यश्री बताती है कि इस कार्य में परिवार और समाज से भी एक लड़ाई चलती है. हर दिन उन बेटियों को मोटिवेट करना भी आसान नहीं होता है. लेकिन उनके लिए खड़ा होना होता है. हमारे साथ दो तरह की बेटियां है, पहली जो पढ़ना चाहती हैं और दूसरी जिनका पढ़ाई में कोई रुझान नहीं है. इन दोनों तरह की बेटियों के लिए मुझे संघर्ष करना पड़ता है. ये काम आसान नहीं है. फिर भी इनके लिए काम जारी है. बेटियों और उनके परिजन को मोटिवेट करना होता है. इन बेटियों को हर साल राजस्थान अनसंग स्टार्स अवार्ड दिया जाता है. तब इनके परिजनों को लगता है कि इनकी बेटी अब अवार्ड पा रही है, जबकि उसे पढ़ाई से हटा दिया था. अलग-अलग स्तर पर इन बेटियों को मोटिवेट किया जाता है.
शहर और गांव में एक जैसा हाल
भाग्यश्री सैनी का कहना है कि जयपुर शहर हो या बांसवाड़ा का गांव सब जगह एक जैसी स्थिति है. सबकी मानसिकता एक जैसी ही दिखती है. ये भौगोलिक दृष्टि से अलग-अलग भले हो जाए, लेकिन इन सब जगह ड्रॉप आउट बेटियों की स्थिति एक जैसी ही होती है. अभी भी बेटों की चाहत में कई लोग यहां कई बेटियां नहीं पैदा कर रहे हैं. हालांकि धीरे- धीरे इसमें परिवर्तन आ रहा है, लेकिन सबकुछ नहीं बदल गया है. गरीबी एक ऐसी चीज है जो सब कुछ बदल देती है.
दो साल में 2200 बेटियां जुड़ीं
भाग्यश्री सैनी बताती हैं कि दो साल पहले आठ मार्च को राजस्थान अनसंग स्टार्स अभियान की शुरुआत हुई थी. दो साल में ही राजस्थान के छह जिलों में कुल 2200 बेटियों को जोड़ लिया है. हम बेटियों को लगातार जोड़ रहे हैं. हमारे इस अभियान में जुड़ी कई बेटियों ने खुद अपना रास्ता तय किया है. कुछ ब्यूटी पार्लर और कुछ बुटीक का भी बड़ा काम कर रही हैं. हमारा मकसद है कि इन बेटियों को शिक्षा के साथ ही आर्थिक रूप से मजबूत किया जाए. इसके लिए काम जारी है और इन बेटियों के जीवन में बदलाव भी आ रहा है.
पूरे प्रदेश में शुरू होगा अभियान
भाग्यश्री सैनी का कहना है कि इस अभियान को यहीं तक नहीं रखना है. इसे आगे ले जाना है. हमारे अभियान से जुडी ये बेटियां अपने दम पर आगे बढ़ रही हैं. कुछ तो बेहतर जॉब भी करने लगीं हैं. उन्हें आर्थिक रूप से सबल करना ज्यादा जरूरी है. समाज में बदलाव लाना है, तो सबको काम करना होगा. एक व्यक्ति के लिए ये आसान नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों के प्रति भी लोगों को जागरूक होना होगा. इसके लिए सभी को आगे आना होगा. जागरूकता बहुत जरूरी है. अभी तो ये शुरुआत है. इस अभियान को आगे ले जाना है. सभी ड्रॉप आउट बेटियों के लिए काम करना है. पहले हम ये कम छह जिलों में काम कर रहे थे. अब पूरे प्रदेश में इस अभियान को आगे ले जाना है.
Bageshwar Dham: बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री आएंगे उदयपुर, राजस्थान में आने का ये है मकसद