Rajasthan News: आज भाई बहन के अटूट रिश्ते का पर्व भाई दूज मनाया जा रहा है. सूर्य ग्रहण के कारण इस बार भाईदूज एक दिन बाद मनाया जा रहा है. आप किस समय तिलक करें, भाई को बहन कैसे और किस विधि से तिलक लगाए ये हम आपको बता रहे हैं. ऐसा करने से आपके और आपके भाई के जीवन में खुशहाली आएगी और वह निरोगी रहेगा. हिंदू धर्म में भाई दूज के त्योहार का बेहद महत्व है. यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते, स्नेह, लगाव को दशार्ता है.
भाई दूज का पर्व दीपावली के बाद मनाया जाता है. इस पर्व को भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया भी कहा जाता है. बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है और उसकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. मान्यता है कि इस दिन यदि विधि-विधान से पूजा की जाए तो यमराज प्रसन्न होकर पूजा करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
भाई दूज पर तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त
इस बार दीपावली 24 अक्टूबर को मनाई गई और उसके अगले दिन यानी 25 तारीख को सूर्य ग्रहण होने के चलते अब 27 अक्टूबर को भाई दूज मनाया जा रहा है. भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है. भाई दूज आज सूर्योदय में दिन में 1:45 बजे तक तो रहेगी साथ ही दूज सूर्योदय के समय से पड़ रहा है. इसलिए इसे पूरे दिन माना जाएगा. सूर्य उदयकालीन की स्थिति के कारण भाई दूज पर्व आज ही मनाया जाएगा. सुबह साढ़े दस बजे से लेकर दिन में 3 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा. यदि कोई भाई इस मुहूर्त पर अपनी बहन से तिलक नहीं लगवा पाता है, तो शाम को साढ़े 4 बजे से लेकर 6 बजे का समय शुभ है.
भाई दूज की पूजा विधि
भाई दूज के दिन सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करके साफ या नए वस्त्र अवश्य धारण करना चाहिए. इस दिन सभी रीति रिवाज, पूजा विधि संपन्न करने के बाद ही खाना चाहिए. सबसे पहले भाई को तिलक करने के लिए आरती की थाल को सजाना चाहिए. इसमें सभी आवश्यक समाग्री जैसे सिंदूर, चंदन, फल, फूल, सुपारी, मिठाई, कुमकुम, मिठाई आदि रख लें. जिस जगह पर भाई को बैठाकर तिलक लगाया जाता है उस स्थान पर पहले चावल के मिश्रण से चौक बना लें. इसी चौक पर भाई को बिठाया जाता है.
ऐसे करें आरती
अब शुभ मुहूर्त के समय भाई का तिलक करें फिर फूल, बताशे, सुपारी, काले चने आदि भाई को भेंट करें और उनकी आरती करें. भाई अपनी बहन का हमेशा रक्षा करने का वचन देंगे और उसके बाद अपने सामर्थनुसार उसे तोहफे देंगे. भाई को अपने सभी कार्यों में विजय प्राप्त हो और दोनों का प्रेम परस्पर बना रहे. एक बहन इस दिन यही कामना करती है. वहीं भाई भी अपनी बहन के सुखी संसार के लिए जीवनभर प्रयत्न करता है, ईश्वर से प्रार्थना करता है.
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