SC/ST Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने बीते 1 अगस्त को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के अंदर सब-क्लासिफिकेशन करने का संवैधानिक अधिकार है. इसके तहत उन जातियों को रिजर्वेशन मिल सकेगा जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से ज्यादा पिछड़ी हुई हैं.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के संस्थापक और लोकसभा सांसद राजकुमार रोत की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा कि वे इस फैसले का विरोध करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि इससे एससी-एसटी समुदायों में विभाजन होगा.
‘सुप्रीम कोर्ट का फैसला एससी-एसटी के बीच तोड़ेगा एकता’
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि हर राज्य में एससी-एसटी समुदाय की स्थिति अलग-अलग है. इस फैसला एससी-एसटी के बीच एकता को तोड़ने का काम करेगा. अगर हमारे राज्य में एसटी के बीच असमानता है, तो हमारे लोग, सामाजिक संगठन, सांसद और विधायक एक साथ बैठ कर निर्णय ले सकते हैं और सरकार को प्रस्ताव दे सकते हैं कि क्या किया जाना चाहिए.
सांसद ने कहा सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आदिवासियों और एससी के बीच एकता को तोड़ देगा. राजस्थान में ऐसी कोई मांग नहीं की गई थी. प्रदेश में जब नौकरियों की बात आती है तो वास्तव में अनुसूचित और गैर-अनुसूचित क्षेत्रों पर चर्चा होती है. इसका समाधान समुदाय को बांटकर नहीं बल्कि संबंधित क्षेत्रों के आधार पर किया जा सकता है.
‘आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण गलत’
BAP पार्टी नेता ने कहा कि अगर आप समुदाय को निशाना बनाते हो तो इससे संघर्ष पैदा होगा, जो केंद्र की बीजेपी सरकार चाहती है. वो कह रहे है कि कमजोर वर्गों को नौकरी देंगे लेकिन सरकार उनकी पहचान कैसे करेगी. जबकि एसटी को उसके पिछड़ेपन के लिए नहीं बल्कि सामाजिक पहचान के आधार पर आरक्षण दिया गया है, लेकिन जिस तरह से आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण देने की बात कही जा रही है वो गलत है अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में आरक्षण खत्म हो जाएगा.
सासंद ने कहा खास समुदायों को आपस में लड़ाने के लिए लाए गए इस फैसले का वे समर्थन नहीं करते. उन्होंने कहा अब अगर एससी-एसटी में विभाजन हो जाता है तो भविष्य में अगर आरक्षण पर हमला हुआ तो लोग एकजुट होकर इसका विरोध नहीं कर पाएंगे.
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