Bharat Jodo Yatra: राहुल गांधी की यात्रा के समय में क्यों हो रही बदलाव की मांग? सुबह उठना हुआ मुश्किल!
Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra: भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने वाले साउथ इंडिया के लोगों को कड़ाके की सर्दी में थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आगे जाते-जाते यह ठंड और बढ़ने वाली है.
Bharat Jodo Yatra: राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) तेजी से आगे बढ़ रही है. इसके लिए पार्टी और राज्य सरकार ने पूरी ताकत लगा दी है. लेकिन, अब राजस्थान में यात्रा के टाइमिंग को लेकर नया 'बखेड़ा' सामने आ रहा है. यहां जब झालावाड़ में यात्रा पहुंची थी, तो उस दिन ही प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने जयराम रमेश के सुबह 6.00 बजे तैयार होने पर आश्चर्य जताया था.
यहीं से यह संकेत मिल गया था कि आने वाले दिनों में यात्रियों की तरफ से भी यह मांग हो सकती है. अब जब उत्तर भारत में ठंड बढ़ रही है तो सुबह यात्रा शुरू करने की टाइमिंग में बदलाव की मांग और बढ़ेगी. राजस्थान में यात्रा को लगभग 8 दिन हो गए हैं.
'राहुल सुबह उठते हैं तो बाकियों को क्या दिक्कत?'
जानकारी के अनुसार, यात्रा में लीड करने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी सुबह 5.00 बजे उठ जाते हैं. एक घंटे बाद नाश्ता करके ठीक 6.00 बजे यात्रा में शामिल हो जाते हैं. राहुल गांधी ऐसा तीन महीने से लगातार कर रहे हैं. वे 5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलते हैं, लेकिन जनता से मिलने-जुलने के कारण यह स्पीड कम हो जाती है.
बताया जा रहा है कि उनके घुटने में दर्द भी है, लेकिन वो चल रहे हैं. राहुल ने यात्रा की टाइमिंग को बदलने पर किसानों के सुबह उठने का उदाहरण दिया है. इससे एक बार फिर समय बदलने की मांग तो दब गई, लेकिन ये फिर उठ सकती है.
यात्रियों को हो रही परेशानी
जानकारी के अनुसार, भारत जोड़ो यात्रा में भाग ले रहे खासकर दक्षिण भारत से आए यात्रियों को कड़ाके की सर्दी में सुबह जल्दी उठना परेशान कर रहा है. इसमें 'प्रदेश यात्री' तो सबकुछ समझ रहे हैं. कुल 135 'भारत यात्री' भी हैं, जो राहुल गांधी के साथ चल रहे हैं. वो सभी अलग-अलग स्टेट में जा रहे हैं. उनको हर प्रदेश में नए मौसम का सामना करना पड़ रहा है. आने वाले नए राज्यों में ठंड का और भी असर रहेगा.
कुछ ऐसी है यात्रा
'भारत जोड़ो यात्रा' अभी राजस्थान के बूंदी जिले में है. यह यात्रा 7 सितंबर, 2022 को कन्याकुमारी से शुरू हुई थी. यह 3570 किलोमीटर लंबी पदयात्रा है, जो पांच महीने तक चलेगी. यात्रा महंगाई, बेरोज़गारी जैसी समस्याओं के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने और सामाजिक ध्रुवीकरण, आर्थिक असमानता एवं राजनीतिक केंद्रीकरण को हाइलाइट करने के लिए शुरू की गई है.