Bharatpur News: भरतपुर निवासी बीएसएफ जवान वीरेन्द्र सिंह कुन्तल को शहादत का दर्जा मिल गया है. वीरेंद्र सिंह कुंतल आतंकवादियों से लड़ते हुए 2004 में शहीद हो गए थे.  आज वीरेन्द्र सिंह कुन्तल को 18 वर्ष बाद शहीद का दर्जा दिया गया. बीएसएफ अधिकारी शहीद के घर पहुंचे और जवान की पत्नी को पति के शहीद होने का प्रमाण पत्र सौंपा. कुम्हेर उपखंड के गांव रारह निवासी वीरेंद्र सिंह कुंतल 16 अगस्त 1994 को बीएसएफ में भर्ती हुए थे.


2004 में शहीद हुआ था भरतपुर का लाल


भर्ती होने के बाद बीएसएफ की 52वीं बटालियन में तैनाती हुई थी. बीएसएफ यूनिट जम्मू कश्मीर में तैनाती के दौरान 9 जून 2004 की रात सूचना मिली कि अनंतनाग की एक मस्जिद में आतंकवादी आकर छुप गए हैं. सर्च ऑपरेशन के लिए बीएसएफ की गई टीम में वीरेंद्र भी शामिल थे. मस्जिद में छुपे आतंकवादियों को बीएसएफ के जवानों ने चारों तरफ से घेर लिया. आतंकवादियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी और ग्रेनेड से हमला भी किया. हमले में वीरेंद्र सिंह आतंकवादियों की गोली से शहीद हो गए. वीरेंद्र सिंह की शहादत के बाद घर में पत्नी सुमन देवी और एक बेटा-बेटी हैं. शहीद की पत्नी और बच्चे फिलहाल शहर कोतवाली थाना क्षेत्र के शिव नगर में रह रहे हैं. 


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BSF ने आज सौंपा शहादत का प्रमाण पत्र


बीएसएफ के डिप्टी कमांडेंट मनोज कुमार ने बताया कि अनंतनाग में आतंकवादियों ने बीएसएफ के जवानों पर हमला बोल दिया था. आतंकवादी मस्जिद में छिपे हुए थे. आतंकवादियों के सर्च अभियान में वीरेंद्र सिंह शामिल थे. दोनों तरफ से हुई मुठभेड़ में वीरेंद्र सिंह की गोली लगने से मौत हो गई. उस समय बीएसएफ में शहीद का दर्जा नहीं दिया जाता था. लेकिन अब बीएसएफ सहित सभी पैरामिलिट्री फोर्स में शहीद का दर्जा दिया जाता है. आज हम वीरेन्द्र सिंह को शहादत का दर्जा देने के लिए घर पहुंचे हैं. शहादत का दर्जा मिलने से शहीद के बच्चों को नौकरियों में फायदा मिलेगा. केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से मिलनेवाला पैकेज मिल सकेगा. शहीद के परिवार को 4000 स्क्वायर फीट तक मकान निर्माण के लिए मुफ्त में सीमेंट भी उपलब्ध कराया जाएगा. 


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