Bharatpur: बिना सरकारी मदद के 'अपना घर आश्रम' का रोजाना खर्च 10 लाख, जानिए कैसे होता है पूरा?
Bharatpur Apna Ghar Ashram: भरतपुर में 'अपना घर आश्रम' बिना सरकारी मदद के चलता है. हजारों असहाय का ठिकाना बन चुका आश्रम अपनों से बिछड़े लोगों को मिलाने का भी काम करता है.
Bharatpur News: भरतपुर जिले का 'अपना घर आश्रम' (Apna Ghar Ashram) दीन दुखियों, बेसहारा, मंदबुद्धि, बेघर लोगों का ठिकाना है. उनके रहने-खाने का इंतजाम अपना घर आश्रम में होता है. 22 साल पहले एक छोटे कमरे से शुरू अपना घर आश्रम आज देश विदेश तक फैल गया है. अपना घर आश्रम की देश-विदेश में लगभग 55 शाखाएं संचालित हैं. सरकार की मदद के बिना अपना घर आश्रम दीन दुखियों की सेवा कर रहा है. अपना घर आश्रम का लगभग 10 लाख रुपये रोजाना का खर्चा है. खर्चे की पूर्ति के लिए सिर्फ ठाकुर जी (भगवान) को चिठ्ठी लिखी जाती है.
'अपना घर आश्रम' बना गुमशुदा असहाय लोगों का ठिकाना
अपना घर आश्रम में लावारिस, मंदबुद्धि लोगों को लाकर इलाज किया जाता है. ठीक होने के बाद काउंसिलिंग कर घर परिवार की जानकारी ली जाती है. घर का पता बताने पर बिछड़ों को अपनों से मिला दिया जाता है. 22 वर्षों में 23 हजार से ज्यादा लोगों को अपनों से मिलाया जा चुका है. देश और भूटान-नेपाल के गुमशुदा लोगों का मिलन भी परिजनों से करा दिया गया है. भरतपुर के अपना घर आश्रम में आज भी 4270 गुमशुदा असहाय लोग रह रहे हैं. असहाय लोगों में 2400 महिलाएं हैं.
डिलीवरी के बाद नवजात शिशुओं का किया जाता है पालन
देश के 11 राज्यों में अपना घर आश्रम की शाखाएं चल रही हैं. सभी में कुल मिलाकर 10,000 बेसहारा, असहाय और मंदबुद्धि, गुमशुदा लोग रह रहे हैं. 20 वर्षों में सड़कों पर घूमते लगभग 40,000 मंदबुद्धि लोगों को आश्रम में भर्ती किया गया है. अपना घर आश्रम में जन्म लेने वाले बच्चों को अच्छी शिक्षा भी दिलाई जाती है. सड़कों पर लावारिस घूम रही मंदबुद्धि गर्भवती महिलाओं का अपना घर आश्रम में लाने के बाद इलाज कराया जाता है. उनके स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाता है. डिलीवरी के बाद नवजात शिशुओं का अच्छे से पालन पोषण किया जाता है. बच्चों के बड़े होने पर अच्छी शिक्षा भी दिलाई जाती है.