Beggar free Rajasthan: राजस्थान को भिक्षावृत्ति और भिखारियों से मुक्त करने के मुख्यमंत्री की कवायद को भरतपुर जिला प्रशासन द्वारा अनदेखा किया जा रहा है. भरतपुर जिले में नगर निगम और नगर पालिका की ओर से अभी तक एक भी भिखारी को चिन्हित कर मुख्य धारा से जोड़ने का काम नहीं किया गया. राजस्थान की मुख्य सचिव उषा शर्मा ने समस्त संभागीय आयुक्त और जिला कलेक्टरों को 26 जनवरी का लक्ष्य निर्धारित करने के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद अभी तक प्रशासन ने इस पर कोई भी पहल शुरू नहीं की. 


भरतपुर जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने सरकार द्वारा संचालित विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा बैठक ली थी. जिला कलेक्टर ने समीक्षा बैठक लेते हुए नगर निगम के अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे भरतपुर मुख्यालय को भिखारी मुक्त शहर बनाने के लिए सार्थक प्रयास करें. साथ ऐसे लोगों को चिन्हित कर इंदिरा रसोई में खाना खिलाने और उनके रैन बसेरे में ठहरने की व्यवस्था करने के लिए कहा था. उनको इंदिरा गांधी शहरी क्रेडिट कार्ड योजना के तहत रोजगार मुहैया कराने का प्रयास किया जाने की बात कही गई थी, जिससे भरतपुर भिखारी मुक्त शहर बन सके.


रोजगार से भी जोड़ा जाएगा


गौरतलब है कि भरतपुर जिले में भी कुछ लोग भीख मांग कर अपना जीवन व्यतीत कर रहे है. अब जिला कलेक्टर ने भरतपुर को भिखारी मुक्त करने के लिए कार्य योजना बनाई है, जिसके तहत सर्वे भी कराया गया. जिसमे बताया गया कि भरतपुर जिले में 991 लोग भीख मांग कर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं. अब इनके खाने की व्यवस्था इंदिरा रसोई में की जाएगी और रहने के लिए रेन बसेरा में व्यवस्था की जाएगी. इन लोगों को रोजगार से भी जोड़ा जाएगा. इनके लिए मनरेगा या इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी से जोड़कर इनको रोजगार दिया जाएगा, जिससे यह लोग कमाकर खाना शुरू कर सकें और भीख मांगना बंद कर दें.  


क्या कहा जिला कलेक्टर ने?


जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने बताया कि मुख्य सचिव ने वीसी के जरिये सभी जिला कलेक्टर को निर्देश दिये थे. उसी क्रम में भरतपुर में 991 के आसपास ऐसे व्यक्ति हैं जो इस तरह की एक्टिविटी में पाए गए, उनका सर्वे किया गया और आठ संस्थाओं का भी चयन किया गया. यह संख्या बहुत ज्यादा नहीं है. यह भरतपुर के 12 ब्लॉक में फैले हुए हैं, इनके लिए एक कार्य योजना बनाई गई है. इनको शहरी या ग्रामीण रोजगार में इनका जॉब कार्ड बनाकर इनका मस्ट्रोल बनाकर, इनको लेवर लगाया जाएगा.


दिन में इंदिरा रसोई में बहुत सस्ता भोजन मिलता है वहां से इनको जोड़ा जाएगा और स्किल डवलपमेंट के तहत भी कोई स्किल के साथ जोड़कर इन्हे कार्य कराया जाएगा और इनको कमाकर खाना सिखाया जाएगा. जिससे यह लोग मेहनत कर कमाकर खाना शुरू कर सकें और भरतपुर जिला को भिखारी मुक्त बनाया जा सके.


आयुक्त नगर निगम ने क्या कहा?


जिला कलेक्टर द्वारा भरतपुर को भिखारी मुक्त करने के निर्देश दिए हुए एक महीना हो गया है, लेकिन अभी तक नगर निगम ने एक भी भिखारी को मुख्य धारा से जोड़ने का काम नहीं किया. जब निगम आयुक्त अखिलेश पिप्पल से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने कहा कि भरतपुर में भिखारी है ही नहीं, अगर कोई भीख मांगता नजर आता है तो उसके पास आधार कार्ड नहीं होता है. ऐसे में उसका पता ठिकाना नहीं होता है, कैसे उसको मुख्य धारा से जोड़ा जाये यह परेशानी है.  


गौरतलब है कि भरतपुर के बिहारी जी के मंदिर में सुबह शाम काफी महिला पुरुष भीख मांगते नजर आते हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा इनको मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कोई काम नहीं किया गया. शहर में भी दुकानों पर भीख मांगते महिला-पुरुष नजर आ जाते है. अब देखने वाली बात यह है कि कैसे इन भिखारियों को मुख्य धारा से जोड़कर जिले को भिक्षावृति और भिखारी मुक्त बनाया जाएगा. 


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