Bharatpur News: राजस्थान के भरतपुर में एक ऐसा मंदिर है, जहां कृष्ण भगवान के साथ उनकी पत्नी रुकमणी और सत्यभामा की मूर्ति स्थापित है. अक्सर मंदिरों में कृष्ण भगवान के साथ राधा की प्रतिमा ही देखने को मिलती है, लेकिन भरतपुर का बृजेंद्र बिहारी जी एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां कृष्ण के साथ रुकमणी और सत्यभामा भी विराजमान हैं.
भरतपुर जिले के सेवर फोर्ट के सामने स्थित बृजेंद्र बिहारी जी के मंदिर का निर्माण लगभग 150 साल पहले भरतपुर राज परिवार के महाराजा जसवंत सिंह ने करवाया था. महाराजा ने अपने पोते बृजेंद्र सिंह के जन्म की खुशी में यह मंदिर बनवाया. इसलिए इस मंदिर का नाम भी बृजेंद्र बिहारी रखा गया था. जानकारी के अनुसार, ब्रजरंदरा बिहारी मंदिर में कृष्ण भगवान की पूजा अर्चना, मंगला आरती और शयन आरती श्रीनाथ जी मंदिर के समयानुसार होती है.
बताया जाता है कि बृजेंद्र बिहारी मंदिर में भगवान कृष्ण का बाल स्वरूप विराजमान है और यहां मंगला आरती सुबह 8.00 बजे होती है. वहीं, शयन आरती शाम को 5.00 बजे की जाती है. बाकी सभी मंदिरों में मंगला आरती सुबह 5.00 बजे और शयन आरती रात 9.00 बजे तक होती है.
मंदिर का निर्माण बंशी पहाड़पुर के लाल पत्थर से किया गया है. लाल पत्थर पर अद्भुत नक्काशी की गई है. मंदिर के गर्भ गृह में तीन प्रतिमा विराजमान हैं. बीच में श्याम रंग की प्रतिमा श्रीकृष्ण भगवान की है. साथ में दोनों तरफ सफद संगमरमर की रुकमणी और सत्यभामा जी की प्रतिमा विराजमान है.
मंदिर की देखरेख कामां स्थित जगतगुरु पंचम पीठाधीश्वर गोकुलेन्द्र श्री बल्ल्भाचार्य जी महाराज द्वारा की जाती है. कामां के गोकुल चन्द्रमा जी मंदिर द्वारा ही बृजेन्द्र बिहारी मंदिर की सभी सेवाएं संचालित होती हैं. कामां के गोकुल चंद्रमा जी मंदिर द्वारा नियुक्त पुजारी ही बृजेंद्र बिहारी मंदिर में पूजा अर्चना और देखभाल करते हैं.
लंबी सोच के साथ कराया था मंदिर का निर्माण
महाराजा जसवंत सिंह ने दूरगामी सोच के साथ ही मंदिर का निर्माण कराया था. मंदिर में कुछ दुकानों का निर्माण भी कराया गया है. बृजेंद्र बिहारी मंदिर के भवन में एक बैंक भी संचालित है, जिससे उनका किराया आता रहे और मंदिर में भोग-प्रसाद और मंदिर की मेंटीनेंस होती रहे.
क्या कहते हैं स्थानीय बुजुर्ग
स्थानीय निवासी कृष्णबल्ल्भ शर्मा ने बताया है कि इस मंदिर को राजपरिवार के महाराजा जसवंत सिंह द्वारा बनवाया गया था और तामपत्र पर कामां के गोकुल चंद्रमा जी मंदिर के गुंसाई जी के नाम लिखापढ़ी कर दी थी. स्टेट टाइम से गुंसाई जी की देखरेख में ही इस मंदिर की व्यवस्था होती है. उनके द्वारा नियुक्त पुजारी ही यहां पर सेवा-पूजा करते हैं.