Bharatpur Jat Reservation In Rajasthan: राजस्थान के दो जिलों भरतपुर और धौलपुर के जाटों को छोड़कर सभी जिलों के जाटों को केंद्र में ओबीसी के आरक्षण का लाभ मिल रहा है. शायद यह देश में ऐसा पहला ही मामला होगा जिसमे प्रदेश के दो जिलों को छोड़ बाकि सभी जिलों के जाट समाज को आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है. भरतपुर और धौलपुर की जाटों की आरक्षण की मांग वर्ष 1998 से चली आ रही है.

वर्ष 2013 में केंद्र में मनमोहन की सरकार ने भरतपुर और धौलपुर के जाटों सहित अन्य नौ राज्यों के जाटों को केंद्र में ओबीसी का आरक्षण दिया था. लेकिन वर्ष 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेते हुए 10 अगस्त 2015 को भरतपुर और धौलपुर की जाटों का केंद्र और राज्य में ओबीसी का आरक्षण खत्म कर दिया था.

तत्कालीन मुख्यमंत्री लिखी है सिफारिश चिठ्ठी
आरक्षण की लम्बी लड़ाई लड़ने के बाद प्रदेश में भरतपुर और धौलपुर के जाटों को ओबीसी के आरक्षण का लाभ मिल गया है, लेकिन केंद्र में आज भी राजस्थान के दो जिलों भरतपुर और धौलपुर के जाट समाज को ओबीसी के आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है. जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार को भरतपुर और धौलपुर के जाटों को ओबीसी आरक्षण का लाभ देने के लिए सिफारिश चिट्ठी भी लिखी है. उसके बावजूद आज तक भरतपुर और धौलपुर के जाट केंद्र में ओबीसी के आरक्षण के लाभ से वंचित है. 

7 जनवरी को हुंकार महासभा 
भरतपुर और धौलपुर जिले के जाटों को केंद्र में ओबीसी के आरक्षण की मांग के लिए आंदोलन करने तैयारी की जा रही है. केंद्र में ओबीसी आरक्षण के लिए आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए कल 7 जनवरी को डीग जिले के जनूथर में हुंकार सभा का आयोजन किया जा रहा है. हुंकार महासभा में आने के लिए गांव-गांव पंचायत और नुक्कड़ सभा कर पीले चावल देकर निमंत्रण दिया जा रहा है.

क्या कहना है संयोजक नेम सिंह का 
भरतपुर धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने बताया है की रोजाना गांव-गांव जाकर पंचायत कर जाट समाज के लोगों को आरक्षण की लड़ाई के लिए जागरूक और एकत्रित करने का काम किया जा रहा है. जाट समाज ने हमेसा सभी के न्याय के लिए लड़ाई लड़ी है, लेकिन इस बार लड़ाई अपने बच्चों के भविष्य के लिए है. कल 7 जनवरी को डीग जिले के जनूथर में जाट हुंकार महासभा का आयोजन होने जा रहा है जिसमे जाट समाज अपनी एकता का दमखम सरकार को दिखायेगा.

यदि शांतिपूर्ण तरीके से सरकार नहीं सुनती है तो फिर आंदोलन का रास्ता जरूर अख्तियार किया जायेगा. इस बार सरकार से आरपार की लड़ाई होगी. भरतपुर और धौलपुर के जाटों को केंद्र ओबीसी के आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा जब तक आंदोलन करेंगे. इसके लिए चाहे रेल रोकनी पड़े या सड़क पर जाम लगाना पड़े हम जेल जाने को गोली खाने को तैयार है. 


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