Bharatpur News: राजस्थान के भरतपुर में भी कड़ाके की सर्दी ने लोगों परेशान कर रखा है. जगह-जगह लोग अलाव जलाकर सर्दी से बचाव करते नजर आ रहे हैं. सर्दी ने लोगों को घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया है. लोगों का घर से निकलने का मन नहीं कर रहा है लोग जरूरी कार्य के लिए ही घर से निकल रहे है. घर से निकलने से पहले अपने आप को गर्म कपड़ों से ढक कर फिर घर से बाहर निकल रहे है. इसके अलावा सर्दी से जानवरों को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. शहर में सड़क पर आवारा जानवरों को ठण्ड में ठिठुरते देखा जा सकता है. 


अस्पताल में खांसी जुकाम बुखार के मरीज बढ़े 


पड़ रही कड़ाके की सर्दी के कारण अस्पताल में खांसी, जुकाम, वायरल के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. ज्यादातर बच्चों को सर्दी ज्यादा सता रही है. इंसानो के साथ ही जानवरों में भी ठण्ड के चलते ठंड जनित रोग देखने को मिल रहे है. पशु चिकित्सालय में बीमार पशुओं की संख्या में इजाफा हुआ है. पशु चिकित्सक राजीव सिंघल का कहना है की इस तरह की जब सर्दी पड़ रही हो तो जानवर को धूप निकलने के बाद ही बाहर निकालना चाहिए और पांच बजे से पहले ही अंदर ले लेना चाहिए क्यों की जो ओस पड़ती है उससे ठण्ड लगने की सम्भावना ज्यादा रहती है. इस मौसम में जानवरों को गुनगुना पानी पिलाना चाहिए.


एनसीआर की गाइडलाइन बनी मुसीबत 


नगर निगम आयुक्त बीना महावर का कहना है की पहले आवारा जानवरों को सर्दियों से बचाने के लिए नगर निगम की तरफ से जगह-जगह लकड़ी डलवा कर अलाव जलवाये जाते थे. लेकिन अब भरतपुर जिला एनसीआर में आता है और एनसीआर की गाइडलाइन के अनुसार सर्दियों में बढ़ते प्रदूषण के चलते अलाव नहीं जला सकते है. जो सड़क पर आवारा जानवर घूम रहे है उन्हें सर्दी से बचाने के लिए आवारा जानवरों को गौशाला में पहुँचाने के इंतजामात किये जा रहे है.


गौरतलब है की भरतपुर जिले को 1 जुलाई 2013 में एनसीआर में शामिल किया गया था. एनसीआर में भरतपुर के साथ ही हरियाणा के दो जिलों भिवाड़ी और महेन्द्रगढ़ को भी एनसीआर में शामिल किया गया था. राजस्थान के दो जिले अलवर और भरतपुर जिले का कुल 13 हजार 446 वर्ग किमी क्षेत्र एनसीआर का हिस्सा माना जाता है. जिसमे अलवर जिले का 8 हजार 380 वर्ग किमी और भरतपुर का 5 हजार 66 वर्ग किमी क्षेत्र एनसीआर में शामिल है. 


 भरतपुर जिले को एनसीआर से पाबंदियों के अलावा कुछ नहीं मिला 


नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड द्वारा एनसीआर क्षेत्र के लिए गाइडलाइन जारी की जाती है. उसी के अनुरूप जिले का प्रशासन व्यवस्था करता है. राजस्थान के दो जिले है अलवर और भरतपुर जहां एनसीआर में वाहनों के लिए बनाये गए नियम लागु होते है. एनसीआर के वाहनों के नियम के तहत 15 साल ही वाहन को चला सकते है उसके बाद वहां का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा जबकि अलवर और भरतपुर को छोड़कर राजस्थान के अन्य जिलों में 15 साल के बाद 5 साल के लिए रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है. भरतपुर के लोगों को नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड द्वारा एनसीआर में आने से सिवाय पाबंदियों के कुछ नहीं मिला है. अब भरतपुर के लोग चाहते है की जल्दी से जल्दी भरतपुर को एनसीआर से बाहर किया जाये.


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