Rajasthan News: राजस्थान की अशोक गहलोत की सरकार चिकित्सा सेवा में राजस्थान मॉडल का ढिंढोरा पीटती रहती है. सरकार का कहना है कि राजस्थान जैसी चिकित्सा सेवा कहीं नहीं है. लेकिन मंगलवार को जब इसकी पड़ताल की गई तो सच्चाई कुछ और ही निकली. जिले के सीएचसी (Chc)और पीएचसी (Phc) में लगभग 125 डॉक्टरों की कमी बताई गई है. अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब भरतपुर (Bharatpur) जिले में ही 125 चिकित्सा अधिकारी के पद रिक्त पड़े हैं, तो प्रदेश की क्या स्थिति होगी. 


30 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिना डॉक्टर के
सर्दी का पीक टाइम चल रहा है. ऐसी कड़ाके की सर्दी में लोग जुकाम, बुखार, पेट दर्द आदि बिमारियों के शिकार हो रहे हैं. लेकिन सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. भरतपुर जिले 69 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है. इनमें से 30 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तो डॉक्टर ही नहीं हैं. जिले में  31 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं. दो राजकीय अस्पताल और दो ट्रोमा सेंटर भी हैं. इन सभी में मिलाकर लगभग 125 डॉक्टरों के पद रिक्त पड़े हैं. 


जिले से चार मंत्री हैं राजस्थान सरकार में 
राजस्थान की कांग्रेस सरकार में भरतपुर जिले के चार विधायक मंत्री हैं. इसके बाद भी जिले के 30 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर नहीं हैं. यहां पर लोगों के जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है. यहां मरीजों को देखने और उनकी दवाई लिखने का काम नर्स और मेल नर्स ही कर रहे हैं. अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस जिले के चार विधायक मंत्री हैं, जब उसका यह हाल है तो अन्य जिलों में क्या हालत होंगे. 


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मुख्य चिकित्सा अधिकारी बोले, सरकार को करा चुके हैं अवगत
भरतपुर के कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा अधिकारी लक्ष्मण सिंह का कहना है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कुल 30 पद रिक्त चल रहे हैं. इससे राज्य सरकार को पूर्व में भी अवगत कराया जा चुका है. उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया है. उनका आश्वासन है कि 30 जनवरी से पहले जो चिकित्सकों की भर्ती की गई थी, उनका पदस्थापन होगा. इससे सभी खली पड़े पद भर लिए जाएंगे. सीएमएचओ का कहना है कि लगभग एक डेढ़ महीने से पद रिक्त चल रहे हैं. कुछ चिकित्साधिकारी पीजी के लिए चले गए हैं. उन्होंने कहा कि छह दिसंबर को ही पत्र लिख दिया गया था.