Rajasthan News: राजस्थान के भरतपुर जिले में टीटीजेड और केवलादेव नेशनल पार्क के कारण औद्योगिक इकाइयां नहीं है. भरतपुर जिले में लोग कृषि से या पत्थर के व्यवसाय से अपना जीवनयापन करते हैं. भरतपुर जिले के बयाना, रूपबास, भुसावर, पहाड़ी आदि क्षेत्र में पत्थर खनन का कार्य होता है.
राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार के पत्थर निकाले जाते हैं. राजस्थान से खनन कर निकाले जाने वाले पत्थर की भवन निर्माण के काम आने वाले पत्थर की अधिक मांग है. पहाड़ी पर खनन कर बड़े-बड़े पत्थर निकाले जाते है. पत्थरों को निकलने वाले मजदूर खनन करते समय पत्थरों को तोड़ते समय या इनकी कटिंग करते समय पत्थरों की धुल और कणों से अस्थमा, टीबी और सिलिकोसिस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं.
बीमारी का नहीं है कोई इलाज
भरतपुर जिले में पहाड़ों पर खनन कार्य और पत्थरों की कटाई का कार्य ज्यादा होता है. पत्थरों की कटाई या छटाई में जो मजदूर कार्य करते हैं, वो लोग सिलिकोसिस बीमारी के ज्यादा शिकार होते है. बताया जाता है कि सिलिकोसिस बीमारी का कोई इलाज नहीं है यह बीमारी जानलेवा बीमारी है. सिलिकोसिस बीमारी लक्षण भी टीबी की बीमारी की तरह ही होते है.
भरतपुर जिले के रूपवास, रुदावल और बयाना क्षेत्र में सिलिकोसिस बीमारी के ग्रसित मजदूर अधिक मिलते हैं. डॉक्टर के अनुसार पत्थर की कटाई वाले क्षेत्र में इस बीमारी के अधिक मरीज पाए जाते है. भरतपुर जिले में भी 5 साल में 13 हजार से अधिक मरीजों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. 3 हजार से अधिक लोगों को सिलिकोसिस बीमारी के प्रमाण पत्र दिए जा चुके है. इस बीमारी से लगभग 635 लोगों की मौत भी हो गई है.
क्या है सिलिकोसिस
इस बीमारी को लेकर क्षय रोग के विशेषज्ञ डॉ. अविरल सिंह ने बताया है कि सिलिकोसिस बीमारी क्षय रोग की तरह ही है. जहां पत्थर की कटाई और खनन का कार्य किया जाता उस क्षेत्र में ज्यादा मरीज पाये जाते हैं. इस बीमारी का का इलाज सिर्फ ‘धूलकण से बचाव’ ही इसका उपाय है. सिलिकोसिस उनको अधिक होने चांस रहते है जो व्यक्ति पत्थर का काम करता है उसकी सांसों में सिलिका युक्त धूल लगातार जाती रहती है और इस धूल से फेफड़ों में होने वाली बीमारी को सिलिकोसिस कहा जाता है. इसमें मरीज के फेफड़ें खराब हो जाते है और उसकी सांस फूलने लगती है. इसके चलते फेफड़ों के कार्य करने की क्षमता कमजोर हो जाती है. इस बीमारी का कोई सटीक इलाज मौजूद नहीं है.
राज्य सरकार देती है आर्थिक सहायता
राजस्थान सरकार सिलिकोसिस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को 3 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देती है और सिलिकोसिस बीमारी से मृत्यु हो जाने के बाद परिजनों को आर्थिक सहयता के रूप में दो लाख रुपये देने का प्रावधान है. इसके साथ ही इस बीमारी के पीड़ित को जीवित रहने तक पेंशन भी दी जाती है और जिनको सिलिकोसिस बीमारी का प्रमाण-पत्र मिल जाता है उनके बच्चों को पालनहार योजना का लाभ भी दिया जाता है साथ ही उनके परिवार को खाद्य सुरक्षा से जोड़ कर या बीपीएल की सभी योजनाओं का लाभ भी दिया जाता है.