Bharatpur News: डॉक्टर जगवीर सिंह भरतपुर के एमजे हॉस्पिटल में आर्थो स्पेशलिस्ट हैं. वह पिछले साल नवंबर में पुणे में आयोजित अप एंड डाउन हिल्स 200 किमी साइकिल रेस में दुर्घटना के शिकार हो गए थे.जब वह पहाड़ी के ढलान से 70 किमी की स्पीड से उतर रहे थे तो  वो अपने आपको कंट्रोल नहीं कर पाए और एक खंभे से टकरा गए.  इस कारण से  उन्हें  गंभीर चोट आई और उनके सीने के नीचे का हिस्सा पैरालाइस्ड हो गया था.


कुछ ऐसी है डॉक्टर जगवीर सिंह की कहानी
अगर इंसान अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बना ले, तो उसके सामने जीवन में कोई भी चुनौती आ जाए तो वो बड़ी नहीं होती है. राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले डॉक्टर जगवीर सिंह की कहानी कुछ ऐसी ही है. जगवीर सिंह हड्डियों के डॉक्टर हैं. नवंबर 2021 में एक हादसे की वजह से उनके शरीर के निचले हिस्से ने पुरी तरह काम करना बंद कर दिया था. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने व्हीलचेयर पर बैठकर  ही 100 से अधिक मरीजों का ऑपरेशन और इलाज किया है.


डॉक्टर जगवीर सिंह भरतपुर के एमजे हॉस्पिटल में आर्थो स्पेशलिस्ट हैं. वह पिछले साल नवंबर में पुणे में आयोजित अप एंड डाउन हिल्स 200 किमी साइकिल रेस में दुर्घटना ग्रस्त हो गए थे. पहाड़ी के ढलान से 70 किमी की स्पीड को कंट्रोल नहीं कर पाए और एक खंभे से टकरा गए. गंभीर चोट के कारण उनके सीने के नीचे का हिस्सा पैरालाइस्ड हो गया था. दोनों लंग्स भी डैमेज हो गए थे. वो 20 से 25 दिन तक आईसीयू में रहे.


डॉक्टर जगवीर सिंह ने अपना इलाज कहां कहां करवाया?
डॉक्टर जगवीर सिंह ने अपना इलाज पुणे,दिल्ली और अमेरिका तक करवाया.लेकिन उनके शरीर का निचे का हिस्सा ठीक नहीं हो पाया.दुर्घटना के दो साल बाद डॉक्टर अपने  खुद के हॉस्पिटल में लौटे.उन्होने मरीजों के ऑपरेशन करने के लिए अलग से अपने लिए नया व्हील चेयर मंगवाया और अब इस व्हील चेयर में बैठकर वो मरीजों का ऑपरेशन करते हैं.


जगवीर सिंह ने बताया कि व्हीलचेयर पर बैठकर मैं चार महीनों में 55 ऑपरेशन कर चुका हूं. ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट, फीमर फिक्सेशन जैसे जटिल ऑपरेशन भी सफलता पूर्वक किए. उन्होंने कहा कि लोगों को मेरी व्हीलचेयर के बजाय मेरी विलपावर देखनी चाहिए. जिंदगी चलते रहने का नाम है. इंसान के काम करने का मौका और हौसला कभी नहीं छोड़ना चाहिए.


डॉ.जगवीर सिंह मरीजों को कैसे मोटिवेट करते हैं?
डॉ.जगवीर सिंह मरीजों को भी मोटिवेट करते हैं. वह बताते हैं कि मैं जब व्हील चेयर पर बैठकर इलाज करने आता हूं, तो मरीज मुझे देखकर कुछ देर के लिए अपना दर्द भूल जाते हैं. मेरा यही मानना है कि जो चीज आपके पास है, उसी में खुश रहो. आज जो आप हो उससे एक स्टेप आगे बढ़ना चाहिए. जिस दिन से मैंने मरीज देखना और ऑपरेशन करना शुरू किया, उस दिन से दिन पर दिन अपने आप पर मेरा विश्वास बढ़ता गया.


डॉ. सिंह यहीं तक नहीं रुके, बल्कि उनके अंदर साइकिलिंग का जज्बा फिर से जाग गया है. उन्होंने हैंड साइकिल मंगाई है. अपने घर के गार्डन में ट्रैक बनवाया है, जिस पर वे प्रैक्टिस करते हैं. उनका कहना है कि फिर से वो सर्कुलर रोड पर हैंड साइकिलिंग करेंगे.