Bharatpur: एक हजार पोस्टमार्टम के बाद सपने में दिखती हैं लाशें! विदाई समारोह में सफाईकर्मी ने सुनाई दास्तां
भरतपुर के आरबीएम अस्पताल से रिटायर्ड सफाई कर्मचारी का कहना है कि कोरोना काल ने साबित कर दिया कि दुनिया में कोई किसी का नहीं है. उन्होंने कहा कि परिजन अपनों का शव ले जाने से डरते थे.
Bharatpur News: भरतपुर के जिला अस्पताल से सेवानिवृत्त कर्मचारी को सपने में भी लाशें दिखती हैं. कर्मचारी करीब एक हजार से ज्यादा शवों का पोस्टमार्टम करने में सहयोगी की भूमिका निभा चुका है. सफाई कर्मचारी भागीरथ के लिए अस्पताल से सेवानिवृत्त होने पर विदाई समारोह का आयोजन किया गया था. भागीरथ 1982 में आरबीएम अस्पताल का हिस्सा बने थे. 40 साल की सेवा के बाद आज विदाई समारोह में उन्होंने कहा कि रात में सोते समय इंसानों की लाशें दिखाई देती हैं. उन्होंने कहा कि अब तक लगभग 1000 से अधिक शवों का पोस्टमार्टम करने में सहयोगी रहा हूं. दिन-रात मुझे इंसानों की लाश ही दिखाई देती है. अब मैं सेवानिवृत हो गया हूं. इसलिए मन की शांति के लिए भगवान की शरण में जाकर पूजा अर्चना करना चाहता हूं.
सफाई कर्मचारी को रात में भी दिखाई देती हैं लाशें
परिजनों और सहकर्मियों ने आरबीएम अस्पताल के सफाई कर्मचारी का विदाई समारोह में माला, साफा और रुपयों का हार पहनाकर सम्मान किया. 1982 में भर्ती होने के बाद उन्होंने कई हादसे देखे और दिन रात परेशान करते हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में शवों को पैक करने का काम किया था. सबसे खतरनाक समय में दिल को छू लेनेवाला नजारा दिखाई दे रहा था. संक्रमण की चपेट में आने के डर से परिजन मृतकों का शव छूना पसंद नहीं करते थे.
रि़टायरमेंट के बाद की जिंदगी भगवान को समर्पित
सफाई कर्मचारी बताते हैं कि कोरोना वायरस के कारण मृत लोगों का शव पैक कर गाड़ी से भेजने का काम किया था. उस समय एहसास हुआ कि दुनिया में कोई किसी का नहीं है. भागीरथ गुर्जर आंदोलन में मारे गए लोगों के शवों का भी पोस्टमार्टम करनेवाली टीम में थे. कामा टंकी हादसे में जान गंवानेवाले मृतकों के शवों का पोस्टमार्टम करने में भी सहयोग किया था. भागीरथ का कहना कि लगभग 1000 शवों का पोस्टमार्टम कर चुका हूं और अब रात में भी लाशें ही दिखाई देती हैं. आगे भगवान की शरण में जाना चाहता हूं. भगवान की भक्ति भाव में विभोर होकर मन को शांत करना चाहता हूं और अब मैं भगवान के चरणों में ही अपना जीवन समर्पित करूंगा.
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