Bharatpur News Today: राजस्थान का पूर्वी द्वार कहे जाने वाले भरतपुर जिले को पक्षियों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. भरतपुर में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान को पक्षियों का स्वर्ग कहा जाता है, यहां हर साल बड़ी संख्या में विदेशों से प्रवासी पक्षी आते हैं.  


यहां करीब 300 प्रकार के प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं. प्री- मानसून के समय से ही पक्षियों का आना शुरू हो जाता है. प्री- मानसून की बारिश होते ही पक्षी ब्रीडिंग के लिए अपना डेरा जमाने लगते हैं. भरतपुर में बीते दिनों अच्छी बारिश होने के बाद पार्क में ओपन बिल स्टोर्क, स्पून बिल और एग्रेट्स पहुंचने लगे हैं. 


ब्रीडिंग के लिए पहुंचने लगे पक्षी
भरतपुर में तीन दिन से अच्छी बारिश हो रही है. अच्छी बारिश होने और जिला प्रशासन द्वारा भरतपुर और डीग जिले के लोगों को पीने के पानी की सप्लाई रोक कर केवलादेव नेशनल पार्क में पानी को छोड़ने से पार्क के झीलों में पानी आ गया है. 


केवलादेव नेशनल पार्क के झीलों में पानी आने से पार्क में पक्षी भी डेरा डालने लगे हैं. केवलादेव नेशनल पार्क में बड़ी संख्या में ओपन बिल स्टोर्क, स्पून बिल पहुंच गए है. इन पक्षियों ने यहां पर ब्रीडिंग के लिए आशियाना बनाना शुरू कर दिया है.  


पार्क में ऐसे की गई पानी की व्यवस्था
मानसून सीजन के पक्षी केवलादेव नेशनल पार्क में विदेशों से समय से पहले आ जाते हैं. यह पक्षी पानी के वनस्पति और मछली को खाते हैं. पांचना बांध से राष्ट्रीय पक्षी उद्यान को पानी नहीं मिल पा रहा है. इसलिए अब चंबल नदी और बारिश में गोवर्धन डैम के पानी से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी की व्यवस्था की जा रही है. 


राष्ट्रीय पक्षी उद्यान को 550 एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है, जो पार्क की झीलों को भरता है. प्रवासी पक्षी इस पानी से अपना भोजन लेते हैं और वहां झीलों में स्थित पेड़ों पर अपने घोंसले बनाकर ब्रीडिंग के बाद नवजात बच्चों को रखते हैं. 


उपवन संरक्षक ने क्या कहा?
केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान के उपवन संरक्षक मानस सिंह ने बताया कि मानसून सीजन के पक्षियों का आना शुरू हो गया है. पिछले दो-तीन दिन से अच्छी बरसात हुई है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने चंबल का पानी भी पार्क को उपलब्ध कराया है, जिसकी वजह से वेटलैंड में अच्छा मात्रा में पानी हो गया है. 


उपवन संरक्षक मानस सिंह के मुताबिक, इस बार गर्मी काफी पड़ रही थी. ऐसा लग रहा था की केवलादेव नेशनल पार्क में पानी की व्यवस्था कैसे कर पाएंगे, लेकिन अच्छी बारिश और चंबल नदी से पानी की अच्छी व्यवस्था होने से पार्क में ओपन बिल स्टोर्क, स्पून बिल और एग्रेट्स यहां पहुंच चुके हैं. 


बड़ी संख्या में पक्षियों ने की नेस्टिंग 
पार्क में एशियन ओपन बिल स्टोर्क 100 से अधिक संख्या में पहुंचे हैं और नेस्टिंग शुरू कर दी है. स्पून बिल भी लगभग 100 से ज्यादा की संख्या में पहुंच कर नेस्टिंग कर रहे हैं. इस बार अच्छी बारिश होने की संभावना है, ऐसे में केवलादेव नेशनल पार्क में देशी- विदेशी पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी होगी.


इसकी वजह यह है कि जल आपूर्ति पूरी होने के बाद ही प्रवासी पक्षी सहज रूप से यहां अपना जीवन यापन कर सकते हैं और वातावरण उनके जीवित रहने के अनुकूल रहेगा. ब्रीडिंग के बाद नवजात बच्चों को बड़ा कर सकते हैं.


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