Bharatpur: पति को है ब्लड कैंसर, ना घर है ना ठिकाना, लव मैरिज के बाद मुस्कान और दीपक को 'अपनों' ने ठुकराया
कोर्ट ने उम्र के आधार पर मुस्कान को नारी निकेतन में भेजने का आदेश दिया. नारी निकेतन में रहने के दौरान सैपऊ थाने में तैनात एक कांस्टेबल ने मुस्कान की शादी कराने का फैसला किया.
Bharatpur News: भरतपुर जिले के रूपबास कस्बे में मुस्कान दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है. लव मैरिज करने के बाद मुस्कान को परिवार ने छोड़ दिया है. मुस्कान के साथ तीन महीने की बच्ची और पति भी बेघर कर दिए गए हैं. मुस्कान और दीपक के परिवार वाले लव मैरिज से खफा थे. दंपति का ठिकाना कभी मंदिर तो कभी इंदिरा रसोई होता है. मुस्कान और दीपक रूपबास कस्बे के मिलस्वां गांव निवासी हैं. प्यार होने के बाद दोनों ने भाग कर शादी कर ली.
लव मैरिज की दीपक और मुस्कान को बड़ी सजा
लव मैरिज से नाराज दोनों के घर वालों ने मुस्कान और दीपक को ठुकरा दिया. बताया जाता है कि 2019 में मुस्कान मामा के घर से दीपक के साथ भाग गई. दीपक की उम्र 17 वर्ष और मुस्कान नाबालिग थी. दोनों भागकर दिल्ली चले आए. दिल्ली में दीपक का भांजा रहता था. भांजे के घर पर दीपक दो दिन मुस्कान को लेकर रहा. मुस्कान की मां ने सैपंऊ थाने में मामला दर्ज करा दिया. पुलिस दोनों को तलाश रही थी. दीपक के भांजे ने घरवालों को सूचना दे दी. मुस्कान के परिजनों को भी ठिकाने का पता चल गया. उन्होंने पुलिस को दीपक के दिल्ली में होने की जानकारी दी. पुलिस दोनों को पकड़ कर सैपऊं थाने ले आई. पुलिस की पूछताछ में मुस्कान ने दीपक के साथ रहने की इच्छा जाहिर की.
कोर्ट ने उम्र के आधार पर मुस्कान को नारी निकेतन में भेजने का आदेश दिया. नारी निकेतन में रहने के दौरान सैपऊ थाने में तैनात एक कांस्टेबल ने मुस्कान की शादी कराने का फैसला किया. कांस्टेबल ने परिजनों को रिश्तेदार के लड़के से मुस्कान की शादी कराने का प्रस्ताव भेजा. परिजनों ने मुस्कान से बातकर समझाइश की कोशिश की. मुस्कान को परिजनों के इरादे पर शक हो गया. नारी निकेतन से निकलने के बाद मुस्कान रूपबास पहुंची और दीपक से संपर्क कर दोनों नवंबर 2019 में घर से भाग गए. दोनों ने 2 नवंबर 2021 को लखनऊ के आर्यसमाज मंदिर में शादी कर ली. शादी करने के बाद दीपक लगभग एक महीने लखनऊ में रहा. लखनऊ से दीपक मुस्कान को लेकर दिल्ली चला गया.
ब्लड कैंसर में भी दोनों के परिजनों को नहीं दया
दीपक दिल्ली में मजदूरी कर घर का खर्चा चला रहा था. एक दिन मजदूरी करते समय दीपक की तबियत ख़राब हो गई. तबियत बिगड़ने पर जीजा दिल्ली से भरतपुर जिला अस्पताल में दीपक का इलाज कराने आ गए. इस दौरान मुस्कान प्रेग्नेंट हो चुकी थी. तबियत में सुधार नहीं होने पर मुस्कान दीपक को लेकर धौलपुर चली गई. उसने धौलपुर कलेक्टर से मुलाकात कर दीपक की तबियत के बारे में बताया. कलेक्टर के निर्देश पर दीपक का इलाज शुरू हुआ. इलाज के दौरान दीपक को ब्लड कैंसर होने का पता चला. लगभग 8 महीने तक दीपक का इलाज होता रहा. लेकिन तबियत में कोई सुधार नहीं हुआ. इसी दौरान अगस्त के महीने में मुस्कान ने एक बच्ची को जन्म दिया.
अब मुस्कान के कंधे पर दोहरी जिम्मेदारी आ गई. एक तो मासूम बच्ची को संभालना और दूसरे दीपक का इलाज कराना. मुस्कान पूरी तरह से टूट चुकी थी. थक हार कर दीपक के घर सुसराल रूपबास पहुंच गई. दीपक के घरवालों ने घर में रखने से मना कर दिया. फिर मुस्कान पुलिस के पास पहुंची. पुलिस की मदद से मुस्कान को सुसराल में रहने का ठिकाना मिल गया. सुसराल में रहने के दौरान पिता ने 15 दिन पहले घर में घुसकर मुस्कान पर हमला कर दिया. मुस्कान के पिता ने क्षेत्र में नहीं रहने की धमकी दी.
सुसराल पक्ष ने भी रखने से मना कर दिया. अब मुस्कान रूपबास के एक मंदिर में नन्ही सी बच्ची और बीमार पति को लेकर रह रही है और इंदिरा रसोई में खाना कहती है. दोनों का स्थायी बसेरा नहीं है. दीपक की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है. न घर है, न इलाज का पैसा, न खाने-पीने का ठिकाना. कभी पुलिस तो कभी प्रशासन के सामने दीपक और मुस्कान हाथ फैला रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी दोनों ने वीडियो के जरिए मदद की अपील की है.