Freedom Righter Ramchand Mathur: देश को आजादी दिलाने के लिए आंदोलन में हजारों लोगों ने भाग लिया था. ऐसे बहुत से गुमनाम लोग भी है जिनका इतिहास में नाम दर्ज नहीं हो सका. हलांकि देश को आजाद कराने में उनके सहयोग को भुलाया नहीं जा सकता. देश को आजाद करवाने के लिए जब भी स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जाएगा तो उसमें भरतपुर का भी नाम जरूर जोड़ा जाएगा. भरतपुर में कई ऐसे स्वतंत्रता सेनानी  हुए जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में अपना महत्वपूर्व योगदान दिया. 


12 साल की उम्र में ही स्वतंत्रता की लड़ाई से जुड़े


स्वतंत्रता की लड़ाई में अपना योगदान देने वाले एक स्वतंत्रता सेनानी भरतपुर के रहने वाले रामचंद माथुर थे. रामचंद माथुर का जन्म भरतपुर में वर्ष  1913 में हुआ. उस समय हर व्यक्ति का सपना होता था कि कैसे भी कर देश को आजादी दिलवाई जाए. धीरे-धीरे वह बड़े होते गए और उनके मन में भी अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा बढ़ता गया. वह 12 साल की उम्र में ही स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे युवाओं के साथ जुड़ गए.


रामचंद्र छोटी सी उम्र में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे लोगों को मीटिंग की सूचना देते कि उन्हें कहां इकठ्ठा होना है. जैसे-जैसे वह बड़े होते गए साथ ही अग्रेजों के खिलाफ गुस्सा भी बढ़ता गया.  उनकी मृत्यु अगस्त 1999 हो गई. स्वतंत्रता सेनानी रामचंद माथुर स्वतंत्रता की लड़ाई में कई बार जेल गए. बुजुर्ग लोग जब चर्चा करते हैं तो बताते हैं कि राम चंद माथुर अपनी बात पर अडिग रहते थे.


कहां हुआ स्वतंत्रता सेनानी का जन्म 


स्वतंत्रता सेनानी राम चंद्र माथुर का जन्म 9 जून 1913 को भरतपुर के बासन गेट पर हुआ था. राम चंद माथुर के पिता का नाम गंगाराम माथुर था. देश की आजादी के 5 वर्ष बाद रामचंद की शादी सोरों की रहने वाली गंगादेई से हुई. राम चंद के घर दो लड़के और दो लड़की पैदा हुई सबसे बड़ी लड़की का नाम चंदा था उनसे छोटी लड़की कस्तूरी हुई. उसके बाद लड़का ब्रज भूषण माथुर का जन्म हुआ सबसे छोटे बेटे श्याम सुन्दर माथुर थे. चार बच्चों में से तीन बच्चे चंदा ब्रजभूषण और श्याम सुन्दर माथुर का निधन हो गया है.


6 जनवरी 1999 में स्वतंत्रता सेनानी राम चंद का भी निधन हो गया. राम चंद कांग्रेस के बहुत पुराने, कर्मठ और सक्रिय सदस्य थे. रामचंद माथुर आजादी के बाद भरतपुर की नगर पालिका के 2 बार सदस्य भी रह चुके थे. आज भी जब रामचंद माथुर की बात आती है तो उन्हें उनके गुस्से के लिए जाना जाता है. लोग बताते हैं कि उनमें इतना गुस्सा था कि वह आखिरी समय तक किसी से भी लड़ने को तैयार हो जाते थे.


कब - कब आजादी की लड़ाई में जेल गये राम चंद माथुर 


आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता सेनानी रामचंद 1939 के आंदोलन में 05-10-1939 को गिरफ्तार हुए और उन्हें एक वर्ष की सजा हुई. हलांकि सरकार और प्रजा मंडल के बीच 25-12-1939 समझौता हो जाने के कारण राम चंद को भरतपुर की सेवर जेल से रिहा कर दिया गया. इस समझौते के अनुसार प्रजा मंडल का नाम बदल कर प्रजा परिषद् कर दिया.


फिर 10 अगस्त 1942 को महात्मा गाँधी और अन्य कांग्रेसी नेताओं की गिरफ्तारी होने के विरोध में प्रजा परिषद् के नेताओं ने आंदोलन तेज कर दिया और अपनी गिरफ़्तारी दी. उस आंदोलन में राम चंद माथुर  को गिरफ्तार किया गया लेकिन फिर समझौता हुआ और 2 माह 2 दिन जेल में रखने के बाद रामचंद को रिहा कर दिया गया. फिर 1947 के आंदोलन में राम चंद को गिरफ्तार किया और 6 माह 16 दिन जेल में रखने के बाद समझौते के तहत रिहा कर दिया.


कांग्रेस कमेटी द्वारा मिला सत्याग्रह जेल भरो प्रमाण पत्र 


अखिल भारतीय कोंग्रेस कमेटी की अध्यक्ष श्रीमती इन्दिरा गांधी द्वारा चलाये गये सत्याग्रह जेल भरो आंदोलन में जेल जाकर आंदोलन को बल प्रदान किया. इसके लिए उन्हें ससम्मान प्रमाण पत्र प्रदान किया गया.


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