Bharatpur News: गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है भरतपुर की जामा मस्जिद, जानिए- किस हिन्दू राजा ने करवाया था निर्माण
Rajasthan News: राजस्थान के भरतपुर जिले में महराजा बलवंत सिंह ने गंगा मैया मंदिर का निर्माण कराया था. वहीं मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर राजा ने जामा मस्जिद का भी निर्माण कराया था.
Rajasthan News: राजस्थान का भरतपुर जिला जो लोहागढ़ अजयगढ़ के नाम से भी जाना जाता है. भरतपुर जिले की नींव महाराजा सूरजमल ने रखी थी. भरतपुर की जामा मस्जिद और गंगा महारानी का मंदिर आपसी भाईचारे की मिसाल पेश करता है. पूरे उत्तर भारत में गंगा मैया का एकमात्र मंदिर भरतपुर में है जिसका निर्माण महराजा बलवंत सिंह द्वारा कराया गया था. वहीं गंगा मन्दिर से 500 मीटर की दूरी पर महाराजा बलवन्त सिंह ने जामा मस्जिद का भी निर्माण कराया था. भरतपुर का यह मंदिर और मस्जिद कौमी एकता का प्रतीक है.
भरतपुर की जामा मस्जिद का निर्माणकार्य शुरू हुआ था महाराजा बलवंत सिंह के शासनकाल में और निर्माण कार्य महाराजा सवाई बृजेन्द्र सिंह के शासनकाल में पूरा हुआ. यह मस्जिद लगभग 70 साल में तैयार हुई थी. भरतपुर की जामा मस्जिद का विन्यास दिल्ली की जामा मस्जिद की तरह ही है. मस्जिद के मुख्य द्वार को बेहद सुन्दर और भव्य बनाया गया है. मुख्य द्वार पर बुलन्द दरवाजे की तरह कुरान की आयतों को उकेरा गया है. यह मस्जिद कौमी एकता की दूसरी यादगार ईमारत मानी जाती है. भरतपुर की जामामस्जिद का निर्माण लाल पत्थर से कराया गया है.
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मस्जिद के पास ही है स्थित गंगा मैया का मंदिर
महाराजा बलवंत सिंह ने 1845 में भरतपुर में गंगा मैया के मंदिर का निर्माण कराया था. पूरे उत्तर भारत में गंगा मैया का एकमात्र मंदिर भरतपुर में स्थित है. संतान नहीं होने पर भरतपुर के शासक महाराजा बलवंत सिंह ने हरिद्वार जाकर गंगा मैया से मन्नत मांगी थी और जब संतान हो गई तो उन्होंने गंगा मंदिर का निर्माण शुरू कराया. तब से लेकर आज तक गंगा मैया के मंदिर में भक्तों को सुबह और शाम गंगा जल प्रसाद के रूप में दिया जाता है. भरतपुर के महाराजा बलवंत सिंह ने 1845 में गंगा मैया के मंदिर की नींव रखी और उसके बाद पांच पीढ़ियों तक मंदिर बनाने का काम चलता रहा. मंदिर कार्य अंतिम शासक महाराजा सवाई बृजेन्द्र सिंह के शासनकाल में पूरा हुआ. मंदिर के पूर्ण होने पर यहां 1937 में गंगा मैया की मूर्ति स्थापित की गई.
गंगा जल का मिलता है प्रसाद
यहां मंदिर में रोजाना सुबह और शाम को गंगा मैया की पूजा अर्चना व आरती की जाती है. गंगा मैया को गंगा जल से स्नान कराया जाता है फिर उसी गंगा जल को प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है. मंदिर में गंगा जल के लिए एक हौज बना हुआ है जिसमें 15 हजार लीटर गंगा जल भरता है. यह गंगा जल हर वर्ष गंगा नदी से यहां लाया जाता है और यह जल करीब एक वर्ष तक चलता है. वहीं जब हौज में एक फुट गंगा जल शेष रहता है तो फिर से गंगा नदी से गंगा जल मंगवाया जाता है.