Bharatpur News: भरतपुर पहुंचे MSP कमेटी के सदस्य कृष्णवीर चौधरी ने किसान आंदोलन में अंतरराष्ट्रीय ताकतों का हाथ बताया है. न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए भारत सरकार की बनाई कमेटी के सदस्य कृष्णवीर ने आज प्रेस से वार्ता में कई बातें सामने रखीं. कृष्णवीर ने कहा कि देश के कृषि कानूनों को पंजाब की स्थिति देखकर सरकार ने वापस लिए. उन्होंने बताया कि पंजाब बॉर्डर स्टेट है. पंजाब के हालात को देखकर भी उनको भी डर लगता था. पंजाब की दिक्कत भारत के लिए बहुत बड़ी समस्या बन जाती. उन्होंने आरोप लगाया कि गुमराह कर पंजाब की दुर्गति की जा रही थी और दुर्गति से पंजाब को बचाना था. इसलिए कृषि कानूनों वापस लेने का उद्देश्य सिर्फ पंजाब था क्योंकि राष्ट्र पहले होता है.
'किसान आंदोलन में अंतरराष्ट्रीय ताकतों का हाथ'
कृष्ण वीर चौधरी ने कहा कि 26 जनवरी को देश का अपमान हुआ. राष्ट्र बड़ा होता है व्यक्ति बड़ा नहीं होता. सरकार बड़ी नहीं होती देश बड़ा होता है. निर्णय इसलिए लेना जरूरी था क्योंकि सुधार तो फिर कर लेंगे. उन्होंने कहा कि किसानों का शोषण बाजारों में हो रहा है. कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए चलाया गया किसान आंदोलन विपक्षी दलों का प्लान किया हुआ था. उन्होंने विपक्ष पर साजिश रचने का आरोप लगाते हुए कहा कि किसान आंदोलन में अंतरराष्ट्रीय ताकतों का हाथ था. कृष्णवीर ने आगे कहा कि देश में सिर्फ 6 प्रतिशत किसानों की फसल को समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता है.
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MSP कमेटी के सदस्य कृष्ण वीर चौधरी का आरोप
94 प्रतिशत देश के किसानों को समर्थन मूल्य का फायदा मिलता ही नहीं है क्योंकि 86 प्रतिशत किसानों के पास देश में 2 एकड़ से कम जमीन है. उन्होंने पूछा कि 2 एकड़ से कम जमीन के किसानों ने क्या अपराध कर दिया? उन्हें भी बाजार में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आज देश में फल- सब्जी और दूध का कारोबार 23-24 करोड़ में होता है. देश में सब्जी पैदा करने वाले किसानो की हालत खराब है. भारत में 265 तरह की फसल पैदा की जाती है और सिर्फ 23 फसलों का हम समर्थन मूल्य तय करते हैं. समर्थन मूल्य का फायदा मात्र 6 प्रतिशत किसानों को मिलता है.
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