Muharram 2022: भरतपुर में इमाम हुसैन की शहादत को मुस्लिम समाज ने किया याद, निकाला गया ताजियों का जुलूस
Muharram: भरतपुर में मुहर्रम के तहत आज कई जगह मातमी धुनों पर ताजियों का जुलूस निकाला गया. शहर या हुसैन के गगनभेदी नारों से गूंज उठा. ताजिया जुलूस को देखते हुए सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई थी.
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Muharram 2022: भरतपुर में मुहर्रम के तहत आज कई जगह मातमी धुनों पर ताजियों का जुलूस निकाला गया. जुलूस में मुस्लिम समाज के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. शहर या हुसैन के गगनभेदी नारों से गूंज उठा. ताजिया जुलूस को देखते हुए सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई थी. मातमी धुनों के साथ प्रमुख स्थान पाई बाग, मछली मोहल्ला, गोपाल गढ, ईदगाह कॉलोनी सहित दर्जनों स्थानों से ताजिया निकाले गये. ताजियों का जुलूस मुख्य बाजार से होते हुये ईदगाह पर जाकर संपन्न होगा. मुस्लिम समाज के युवा ढोल पीट कर प्रदर्शन करते नजर आए. ताजिये के जुलूस को देखते हुए मुस्लिम की तरफ से जगह-जगह मीठे पानी की प्याऊ, फल, खीर, खिचड़ी वितरण की व्यवस्था की गई थी. सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस ने अतिरिक्त जाब्ता लगाया था. जुलूस के दौरान एएसपी अनिल मीणा, सीओ सतीश वर्मा समेत सभी थानाधिकारी मौजूद रहे.
इस्लाम धर्म की मान्यता के अनुसार हजरत इमाम हुसैन 72 साथियों संग मुहर्रम की 10 तारीख को मैदान-ए कर्बला में शहीद कर दिए थे. इस्लाम को बचाने के लिए हजरत इमाम हुसैन ने मुहर्रम में यजीद से जंग की थी. इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम में 10 दिन खास होते हैं. इमाम हुसैन की शहादत और कुर्बानी को मुहर्रम में याद किया जाता है. मुहर्रम के मौके पर चांद रात से ही धार्मिक आयोजन शुरू हो जाते हैं.
कौन थे हजरत इमाम हुसैन?
हजरत इमाम हुसैन पैगम्बर हजरत मोहम्मद के नवासे थे. इमाम हुसैन के पिता का नाम शेरे खुदा अली था. अली पैगम्बर मुहम्मद के दामाद थे. इमाम हुसैन और हसन की मां का नाम फातिमा था. हजरत अली मुसलमानों के चौथे खलीफा थे. वफात के बाद लोग इमाम हुसैन को खलीफा बनाना चाहते थे. लेकिन हजरत अमीर मुआविया ने खिलाफत पर कब्जा कर लिया. मुआविया के बाद बेटे यजीद ने खिलाफत को अपना लिया. यजीद को इमाम हुसैन से खटका लगा रहता था. इस्लाम को बचाने की खातिर यजीद के खिलाफ इमाम हुसैन ने कर्बला की जंग लड़ी और शहीद हो गये.
कैसे मनाया जाता है मुहर्रम?
मुहर्रम गम और मातम का महीना माना जाता है. बकरीद के 20 दिन बाद मनाया जानेवाला पर्व मुहर्रम इस्लाम धर्म का पहला महीना होता है. इस बार मुहर्रम की शुरुआत 31 जुलाई से हुई है. मुहर्रम के 10वें दिन यानि आशूरा के दिन ताजियादारी की जाती है. इमाम हुसैन की इराक में दरगाह है. उसकी नकल की हूबहू ताजिया बनाई जाती है.
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