Goverdhan 2022: राजस्थान के भरतपुर जिले की सीमा उत्तर प्रदेश के मथुरा और आगरा जिले से लगती है और उत्तर प्रदेश का मथुरा जिला ब्रज क्षेत्र कहलाता है. ऐसे में भरतपुर जिला भी ब्रज क्षेत्र में ही आता है. भरतपुर जिले में गोवर्धन पर्वत की पूजा को महत्वपूर्ण माना जाता है और अब कई महीनो तक मंदिरों में और घरों में भी अन्नकूट का आयोजन कर लोगों में अन्नकूट प्रसादी वितरित की जाती है. 


क्यों बनाया जाता है अन्नकूट?  
मोहन जी मंदिर के पंडित मनु मुद्गल ने बताया की जब भगवान कृष्ण ने ब्रज में इन्द्र देवता की पूजा करने को बंद करा दिया तो इंद्रा देवता ने नाराज होकर ब्रज क्षेत्र में प्रलय मचा दी थी. भारी बरसात और तूफान से लोग परेशान होने लगे तो कृष्ण भगवान ने इंद्र देवता के प्रकोप से बचाने के लिए अपने हाथ की छोटी ऊंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और ब्रज के सभी लोगों को गोवर्धन पर्वत के नीचे बुलाकर इंद्रा देवता के प्रकोप से बचाया था और ब्रजमंडल की रक्षा की थी. अंत में अभिमान टूटने के बाद देवराज इंद्र भगवान कृष्ण के समक्ष शरणागत हुए थे. उस समय बृजवासी अपने-अपने घरों से अलग अलग तरह की जो खाद्य सामग्री भगवान कृष्ण को अर्पित करने आए थे उसे ही मिलाकर अन्नकूट महाप्रसादी का रूप दिया गया था और तब से यह परंपरा चली आ रही है जोकि आज भी जारी है. 


कई महीनों तक चलेगा अन्नकूट आयोजन 
ब्रज क्षेत्र में कई महीनों तक अलग-अलग मंदिरों में और घरों में भी अन्नकूट के आयोजन होंगे. अन्नकूट में खीर-पुआ, कढ़ी-बाजरा, चावल और सभी सब्जियों को मिक्स कर बनाया जाता है और मंदिरों में छप्पन तरह के भोग की झांकी भी सजाई जाती है. यही छप्पन तरह के व्यंजनों को अन्नकूट प्रसादी के रूप में लोगों में वितरित की जाती है . अन्नकूट के आयोजन में सैकड़ों लोगों को प्रसादी ग्रहण कराई जाती है . 


राधारमण जी के मंदिर में हुआ अन्नकूट का आयोजन 
शहर में प्राचीन राधारमण जी के मंदिर में गोवर्धन पूजा वाले दिन ही अन्नकूट का आयोजन किया जाता है. आज सभी जगह गोवर्धन पूजा की जा रही है इसलिए आज राधारमण जी के मंदिर में अन्नकूट का आयोजन किया गया है. अन्नकूट में हजारों की संख्या में लोगों ने पंगत में बैठकर अन्नकूट प्रसादी ग्रान की है. राधारमण जी के मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु अन्नकूट प्रसादी ग्रहण करने पहुंचे हैं. 


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