Rajasthan News: राजस्थान के भरतपुर नगर निगम क्षेत्र की सफाई व्यवस्था निजी कम्पनी के हाथों में दे दिया गया है. नगर निगम में सफाई व्यवस्था में लगे अस्थाई सफाई कर्मचारी निजी कंपनी का लगातार विरोध कर रहे हैं. आज से निजी कंपनी ने शहर में सफाई का काम शुरू कर दिया है. इस बात से अस्थाई कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी है. अस्थाई कर्मचारी शहर की सफाई का कार्य नहीं कर रहे.
ऐसे बांटा गया भरतपुर नगर निगम को
भरतपुर की नगर निगम क्षेत्र में पहले स्थानीय ठेकेदार अस्थाई कर्मचारियों से शहर की सफाई कराने का कार्य करवाते थे. जिसमे लगभग 8.5 करोड़ रुपये का सालाना खर्च आता था. भरतपुर की नगर निगम के 65 वार्डो के क्षेत्र की सफाई व्यवस्था को लगभग 615 स्थाई कर्मचारी और लगभग 650 अस्थाई कर्मचारी संभालते थे. अब भरतपुर नगर निगम के 40 वार्डों की सफाई की व्यवस्था निजी कम्पनी संभालेगी और नगर निगम के 25 वार्ड जो सर्कुलर रोड के अन्दर हैं उनकी सफाई व्यवस्था स्थाई कर्मचारी संभालेंगे.
निजी कंपनी सालाना इतना खर्च करेगी
भरतपुर की नगर निगम की 40 वार्डों की सफाई व्यवस्था निजी कम्पनी ने संभाली है. अब नगर निगम का सालाना खर्च लगभग 13.5 करोड़ रुपये का होगा. निजी कम्पनी के विरोध में शुक्रवार को अस्थाई सफाई कर्मचारी नगर निगम पहुंचे. नगर निगम के अस्थाई कर्मचारियों का कहना है की जब निजी कम्पनी ने सफाई का ठेका महंगी रेट पर लिया है, तो अस्थाई कर्मचारियों को भी पैसे बढ़ा कर दिये जाएं. आज नगर निगम के आयुक्त, पार्षदों की कमेटी और अस्थाई सफाई कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता हुई. अस्थाई सफाई कर्मचारियों ने अपनी पांच मांगें रखी हैं. लेकिन वार्ता का नतीजा कुछ भी नहीं निकला है.
अस्थाई कर्मचारियों की ये हैं मांगें
अस्थाई कर्मचारियों ने अपनी पहला मांग रखी है कि जो भी अस्थाई कर्मचारी सफाई का काम कर रहें हैं वह ऐसे ही काम करते रहेगें. दूसरी मांग ये कि जब तक निजी कंपनी शहर की सफाई करेगी तब तक किसी भी सफाई कर्मचारी को नहीं हटाया जाएगा. तीसरी मांग जब तक कंपनी काम करेगी तब तक शहर में किसी से कोई सफाई का पैसा नहीं लिया जाएगा. निजी कंपनी वाल्मीकि समाज का पैतृक धंधा बंद नहीं करेगी. चौथी मांग कंपनी के द्वारा सफाई कर्मचारियों को 504 रुपये प्रति दिन, ड्राइवर को 552 रुपये प्रतिदिन दिया जाए. पांचवी मांग रविवार की छुट्टी का पैसा नहीं काटा जाए. नगर निगम में जाति के आधार पर सफाई व्यवस्था बंद की जाए. निजी कंपनी सभी पदों पर वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता दे.
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