Bharatpur News: स्टेज पर फिर से रामलीला का प्रदर्शन लोगों को भाने लगा, भरतपुर में होता है 50 फीट का रावण दहन
Rajasthan News: भरतपुर में रामलीला काशी के रामनगर की तर्ज पर होती है, जिसमें रामचरित्र मानस की चौपाई, छंद, दोहे और सोरठे ही संवाद के रूप में बोले जाते हैं.
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Bharatpur Ramlila: राजस्थान (Rajasthan) के भरतपुर (Bharatpur) जिले में पाश्चात्य सभ्यता के अनुसरण और डिजिटल जमाने के इस चकाचौंध के दौर में गांव-गांव में कलाकारों द्वारा मंचित होने वाली रामलीला लगभग खत्म हो चुकी है. हालांकि भरतपुर शहर में अब फिर से इस रामलीला को जिन्दा कर दिया गया. भरतपुर जिले में रामलीला की शुरुआत 1905 में राजमाता गिर्राज कंवर ने शुरू कराई थी. भरतपुर की रामलीला काशी के रामनगर की तर्ज पर होती है, जिसमें रामचरित्र मानस की चौपाई, छंद, दोहे और सोरठे ही संवाद के रूप में बोले जाते हैं.
जानें भरतपुर में कैसे होता है रामलीला
भरतपुर की रामलीला बीच में आर्थिक कारणों से कुछ वर्ष बन्द रही लेकिन फिर 1997 से लगातार रामलीला का मंचन हो रहा है. भरतपुर की रामलीला पुराने लक्ष्मण मन्दिर के प्रांगण में होती आ रही है. रामलीला में राम बारात निकाली जाएगी. राम बारात का आयोजन आज 26 सितंबर रविवार को किया जा रहा है. शहर के एक मैरिज गार्डन में जनकपुरी सजाई गई, जहां राम और सीता की शादी का मंचन होगा. शहर में राम बारात धूम-धाम से निकली जा रही है.
राम बारात कला मंदिर स्कूल से शुरू होकर मुख्य बाजार बिजली घर, मथुरा गेट, मोरीचार बाग, चुबुर्जा बाजार, गंगा मंदिर, जामा मस्जिद, लक्ष्मण मन्दिर होते हुए गोवर्धन गेट स्थित सजाई गई जनकपुरी पहुंचेगी. जहां बारात में आये बारातियों का स्वागत किया जाएगा. बारातियों के लिए ब्रज भोज का भी आयोजन किया गया है. रामलीला का मंचन प्रतिदिन रात आठ बजे से शुरू होकर लगभग 10 बजे तक मंचन किया जाता है. दशहरा पर्व पर रावण दहन के बाद श्री राम के राजतिलक के साथ रामलीला का समापन होगा.
50 फीट का रावण दहन किया जाता है
रामलीला में बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं सभी पहुंच कर रामलीला का आनन्द लेते हैं. दशहरा के पर्व पर लगभग 50 फीट का रावण दहन किया जाता है. रात को रामलीला में भगवन राम द्वारा धनुष तोड़ने की लीला का मंचन हुआ जिसका दर्शकों ने भरपूर आनन्द लिया. आधुनिक युग में मोबाइल और टेलीविजन ने रामलीला के क्रेज को कम किया है. टेलीविजन, मोबाइल के आने से पहले रामलीला लोगों के मनोरंजन और धार्मिक ज्ञान का एकमात्र जरिया थी. डिजिटल युग होने के बाद इसे लोग पूर्ण रूप से भूल गए हैं. जहां आज के इस दौर में लोगों के पास कुछ घंटे बैठकर कलाकारों द्वारा मंचित रामलीला को देखने के लिए समय नहीं होता है, वहीं आज इस रामलीला में फिर से लोग अपनी रुचि दिखाने लगे हैं.
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