Sawan 2022: भरतपुर के अर्धांगेश्वर शिव मंदिर में सावन के पहले सोमवार पर उमड़े भक्त, अनोखी है यहां की मान्यता
Bharatpur News: भरतपुर के लोहागढ़ दुर्ग के पास सुजान गंगा नहर के तट पर स्थित अर्धांगेश्वर शिव मंदिर अनोखा है. अर्धनारीश्वर स्वरूप में स्थापित शिवलिंग इसकी महत्ता को बढ़ा देता है.
Rajasthan News: राजस्थान के भरतपुर (Bharatpur) जिले में आज श्रावण (Sawan 2022) के पहले सोमवार के साथ नागपंचमी की पूजा के लिए शिवालयों में भक्त सुबह होते ही पहुंचने लगे. भक्तों ने जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की. इस दौरान मौसम में गर्मी का अहसास बना हुआ है और लोगों को बरसात का इन्तजार है. भरतपुर जिले के लोहागढ़ दुर्ग के पास सुजान गंगा नहर के तट पर स्थित अर्धांगेश्वर शिव मंदिर अपने आप में अनोखा है.
मंदिर में अर्धनारीश्वर स्वरूप में स्थापित शिवलिंग इसकी महत्ता को और भी बढ़ा देता है. बताया जाता है कि करीब 289 वर्ष पुराने मंदिर में सच्चे मन से माथा टेकने वाले की मनोकामना अवश्य पूरी होती है. सावन मास में इस शिव मंदिर में दर्शन-पूजन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.
चौदह शिवलिंग एक साथ विराजमान
भरतपुर में चौदह महादेव जी का मंदिर गंगा महारानी मंदिर के पास स्थित है. यह मंदिर भी प्रसिद्ध मंदिरों में माना जाता है. यहां चौदह शिवलिंग एक साथ विराजमान हैं. लोग यहां चौदह शिवलिंग की एक साथ पूजा कर शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ाकर पूजा अर्चना करते हैं. भरतपुर के पंचमुखी हनुमान मंदिर के प्रांगण में स्थित भोले बाबा के मंदिर की स्थापना की गई है. इस मंदिर में अलग-अलग चारों कोनों में नंदी महाराज, गणेश जी और पार्वती जी प्रतिमा स्थापित है. बीच में शिव लिंग है जिसपर सभी भक्त दूध, बेलपत्र आदि चढ़ाकर पूजा अर्चना करते हैं.
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होता है रुद्र अष्टाध्यायी का पाठ
सावन में सोमवार के दिन लगभग सभी मंदिरों में इस तरह के अनुष्ठान होते हैं. एक रुद्राभिषेक में एक हजार लीटर और सहस्त्रधारा में करीब 5 हजार लीटर जल चढ़ाया जाता है. यहां रुद्र अष्टाध्यायी का पाठ भी होता है जिसमें करीब 800 मंत्र हैं जो करीब दो घंटे में पढ़े जाते हैं. शहर के चौदह महादेव, राज राजेश्वर, ठंडेश्वर, रंगेश्वर, डालमिया महादेव, अर्दनारीश्वर, चौमुखा महादेव, अग्रेश्वर, तिलकेश्वर सहित भरतपुर के सभी शिवालयों भी कार्यक्रम आयोजित होंगे. भक्त पूजा करके सावन के पहले सोमवार का व्रत रख रहे हैं.
श्रावण मास में पूजा का विशेष महत्व
पंडित प्रेम शर्मा ने बताया कि, मंदिर की मान्यता और आस्था के चलते यूं तो हर दिन श्रद्धालु शिवालयों में पूजा अर्चना कर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक करते हैं लेकिन श्रावण मास में शिवालयों में दर्शन के लिए काफी भीड़ रहती है. पूरे श्रावण मास में श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने की इच्छा से मंदिर में जाकर भगवान शिव की आराधना और पूजा करते हैं.
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