Rajasthan News: राजस्थान में भरतपुर (Bharatpur) जिले की डीग तहसील के गांव पसोपा में पिछले डेढ़ साल से साधू-संत धरना दे रहे हैं. धरना दे रहे साधू-संतों की मांग है कि ब्रज क्षेत्र की पहाड़ियों से खनन कार्य को पूरी तरह से बंद किया जाए. साधू संतों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे बाबा हरिबोलदास के साथी साधू नारायण दास नाराज होकर मोबाइल टावर पर चढ़ गए.


बाबा हरिबोल दास ने मुख्यमंत्री आवास पर आत्मदाह की भी चेतावनी दी थी. कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह के आश्वासन के बाद साधू संतों का एक डेलिगेशन वार्ता के बाद सहमत हो गया था, उसके बावजूद भी साधू मोबाइल टावर पर चढ़े हैं.


समझा रहे अधिकारी
बाबा नारायण दास के मोबाइल टावर पर चढ़ने की सूचना के बाद पुलिस प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे हैं. बाबा को टावर से नीचे उतरने के लिए समझाया जा रहा है लेकिन बाबा का कहना है कि ऐसा आश्वासन अधिकारी पहले से ही देते रहे हैं, हमें आप पर विश्वास नहीं है. मौके पर लोगों की भीड़ जुटी हुई है. 


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दी थी आत्मदाह की चेतावनी
गौरतलब है की बाबा हरिबोल दास कई संतों के साथ डीग कस्बे के पैसोपा में धरना देकर बैठे हैं. अवैध खनन को रोकने के लिए यह धरना करीब डेढ़ साल से चल रहा है. बाबा हरिबोलदास ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर आत्मदाह की चेतावनी दी थी और 16 तारीख को मुंडन और पिण्डदान भी किया था.


बाबा की चेतावनी के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कैबिनेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह को भरतपुर भेजा और विगत देर शाम साधू के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता भी हुई थी. वार्ता को दोनों पक्षों ने सकारात्मक बताया था. सकारात्मक वार्ता के बाद भी आज सुबह साधू मोबाइल के टावर पर चढ़ गए. चल रहा था कि वार्ता अभी दो दिन तक और चलेगी जिससे आहत होकर आज नारायण दास बाबा टावर पर चढ़ गए हैं.


बलिदान भी देना पड़े तो देंगे-साधू-संत
साधू संतों की मांग है कि, बद्री धाम और कंकाचल इलाके की पहाड़ियों से खनन को बंद कर वन क्षेत्र में शामिल किया जाए. पहाड़ियां भगवान श्री कृष्ण की क्रीड़ास्थली मानी जाती हैं. साधू संतों का कहना है कि ब्रज क्षेत्र के प्राकृतिक संपदा को बचाने के लिए अगर साधू संतों को बलिदान देना पड़े तो भी पीछे नहीं हटेंगे. डेढ़ साल से पसोपा गांव में साधू संतों का धरना जारी है. 


देर रात तक हुई वार्ता
बाबा हरिबोलदास द्वारा मुख्यमंत्री आवास पर आत्मदाह की चेतावनी जारी करने के बाद कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह और साधू-संतों के डेलिगेशन के बीच सोमवार देर रात्रि तक वार्ता हुई थी. वार्ता के बाद साधू पक्ष के लोग सहमत हुए थे. क्षेत्र को वन क्षेत्र घोषित करने और खनन बंद करने पर सहमति बन गई थी और खत्म होने के बाद दोनों पक्षों ने वार्ता को सकारात्मक बताया था. इसके बाद बाबा ने आत्मदाह की चेतावनी को फिलहाल टालने की बात कही थी . 


क्या कहना है साधुओं का 
साधुओं का कहना है की बाबा हरिबोल दास ने 19 तारीख को आत्मदाह की चेतावनी दी थी तो कुछ और साधू ही साथ में आत्मदाह करने के लिए तैयार थे लेकिन कल शाम जो वार्ता हुई थी तो उससे लग रहा था कि कोई समाधान निकल जाएगा और वार्ता में सहमति बनी थी लेकिन वार्ता अभी एक दो दिन और होने की बात कही थी. इसी बात से बाबा नारायण दास नाराज हो गए थे और मोबाईल टॉवर पर चढ़ गए. बाबा का कहना है कि ऐसे आश्वासन तो मिलते रहते हैं लेकिन आज तक कार्रवाही नहीं हुई है. साधू संत ब्रज क्षेत्र की पहाड़ियों को बचाने के लिए अपना बलिदान दे सकता है.


क्या कहा कैबिनेट मंत्री ने 
कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि, साधू संतों के साथ जो वार्ता हुई है वह सकारात्मक रही है. आत्मदाह करना किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता है. साधू संतों की दो मांग है जिनमें खनन क्षेत्र को वन क्षेत्र घोषित किया जाए और खनन बंद किया जाए. दोनों मांगो को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा. इसके अलावा मैं खुद पर्यटन मंत्री हूं और चाहता हूं के क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र भी घोषित किया जाए. 


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