Rajasthan News: चम्बल के खूंखार डाकुओं (Chambal Dacoits) का आतंक तीन राज्यों में रहता था. डकैतों का राज उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान (Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, Rajasthan) के नदी के किनारे के गांव में चलता था. कई नामी डकैतों के डकैत बनने के अलग-अलग किस्से रहे. कुछ महिला डकैत भी हुईं जिनका चम्बल के बीहड़ में आतंक रहा है और इलाके में उनके नाम का खौफ रहा है. महिलाओं को अक्सर अपहरण कर चम्बल के बीहड़ में लाया जाता था और फिर उनको भी आखिर हालातों से समझौता कर हथियार ही उठाना पड़ता था. ऐसी ही एक डाकू नीलम गुप्ता (Dacoits Neelam Gupta) थी जो चम्बल की महारानी कहलाती थी.
12 वर्ष की उम्र में हुआ अपहरण
उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के विधूना कस्बे के सरैयां गांव की रहने वाली 12 वर्ष की लड़की को स्कूल जाते समय कुछ कार सवार लोगों ने रास्ता पूछने के बहाने अगवा कर लिया था. छात्रा को जब होश आया तो वह चम्बल के बीहड़ में थी. उसने खुद को चम्बल के बीहड़ में देखा जहां चरों तरफ खूंखार डाकू हथियार लेकर खड़े थे और एक चट्टान पर बड़ी-दाढ़ी मूछों वाला उनका सरदार बैठा था. छात्रा को सरदार को सेल्यूट ठोकने को कहा गया था. छात्रा नीलम गुप्ता को डाकू निर्भय गुर्जर के पास छोड़कर सभी डाकू वहां से चले गए.
रहने लगी थी दस्यु सुंन्दरी की तरह
नीलम गुप्ता को धीरे-धीरे चम्बल के बीहड़ में रहने की आदत पड़ गई और उसका पहनावा भी बदल चुका था. डरा धमका कर नीलम को बन्दूक चलाना सिखाया गया और नीलम अब दस्यु सुंन्दरी की तरह रहने लगी. नीलम गुप्ता माथे पर बिंदी और कंधे पर बंदूक व कारतूस लटकाकर रहती थी. नीलम गुप्ता डाकू निर्भय गुर्जर को प्यार करने लगी और कुछ समय बाद निर्भय गुर्जर ने नीलम से एक मंदिर में शादी कर ली. निर्भय गुर्जर की यह तीसरी शादी थी. इससे पहले भी वह दो शादियां कर चुका था, लेकिन पहली दोनों पत्नियां मौका मिलते ही भाग गईं थीं.
नीलम को दी गईं थीं यातनाएं
निर्भय खूंखार डाकू था इसलिए नीलम के साथ निर्भय की शादी होते ही नीलम चम्बल की महारानी बन गई. उसकी चम्बल में बादशाहत कायम हो गई. गैंग के सदस्य भी नीलम के हुक्म का पालन करने लगे. लोगों में नीलम के नाम का भय भी देखने को मिलता था. नीलम निर्भय की गैंग के साथ अपहरण और लूट की घटनाओं को अंजाम देने लगी थी. डाकू निर्भय गुर्जर के चरित्र का जैसे-जैसे नीलम को पता चला उसे निर्भय गुर्जर से चिढ़ होने लगी. निर्भय गुर्जर ने दिल्ली से एक लड़के का अपहरण भी किया. उसने उसे अपना दत्तक पुत्र बना लिया था. नीलम ने एक बार बीहड़ से भागने की कोशिश की थी. उस समय निर्भय वहां मौजूद नहीं था, लेकिन जब लौटकर आया और नीलम को वहां न पाकर उसे ढूंढ़ने की कोशिश की. इसके बाद नीलम पकड़ी गई और उसे बहुत यातनाएं दी गईं.
12 साल जेल में बंद रही नीलम
डाकू निर्भय गुर्जर द्वारा ढहाए जुल्म के बाद निर्भय के दत्तक पुत्र श्याम जाटव और नीलम में नजदीकियां बढ़ने लगीं. एक दिन मौका पाकर दस्यु सुंदरी नीलम गुप्ता और डाकू निर्भय गुर्जर का दत्तक पुत्र श्याम जाटव चम्बल के बीहड़ से भागने में सफल रहे. 31 जुलाई 2004 को दोनों ने इटावा के एंटी डकैती कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. उसके बाद दोनों को पहले इटावा और फिर उसके बाद लखनऊ जेल भेज दिया गया. नीलम गुप्ता 12 वर्ष जेल की कोठरी में रही. बाद में उसे दोषमुक्त कर रिहा किया गया.