Rajasthan Reservation Movement: राजस्थान के भरतपुर जिले में माली, सैनी, कुशवाहा, शाक्य और मौर्य समुदाय के लोग 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर 12 दिन से आंदोलन कर रहे थे. नेशनल हाईवे जयपुर-आगरा पर चक्का जाम किया गया था. अब मंगलवार को फुले आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक मुरारी लाल सैनी ने सभी समाज के लोगों को से वार्ता कर आंदोलन समाप्ति की घोषणा कर दी है और आंदोलन खत्म हो गया है. 


आंदोलन समाप्ति की घोषणा के बाद मुरारी लाल सैनी और आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्यों के जाने के बाद आंदोलन स्थल पर कुछ लोगों ने आंदोलन समाप्त करने का विरोध किया और आंदोलन जारी रखने की बात की. हालांकि, पुलिस और प्रशासन द्वारा समझाइश के बाद सभी लोग इसके लिए राजी हो गए और आंदोलन स्थल से अपने घर को रवाना हो गए. 


दो मई की सुबह आंदोलन स्थगित करने की घोषणा
गौरतलब है की माली, सैनी, कुशवाहा, शाक्य और मौर्य जाति के लोगों द्वारा 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर 12 दिन से जयपुर-आगरा नेशनल हाईवे पर चक्का जाम कर आंदोलन किया जा रहा था. 25 तारीख को आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्यों की मुख्यमंत्री से बात हुई और कुशवाहा, सैनी, माली आरक्षण संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल ओबीसी आयोग के अध्यक्ष भवरू खान के साथ वार्ता कर एक मई को देर रात धरना स्थल पर पहुंचा. 


2 मई को सुबह करीब 11:15 पर संयोजन मुरारी लाल सैनी और मुख्य सचिव बदन सिंह कुशवाहा सहित आरक्षण संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल ने धरना स्थल पर बताया की  सरकार के आश्वासन और सरकार के साथ हुई वार्ता से संतुष्ट होकर आज सुबह करीब 11.30  बजे आंदोलन स्थगित करने की घोषणा कर दी है.
 
पक्ष में रिपोर्ट ने आने पर दोबारा आंदोलन की चेतावनी
आरक्षण संघर्ष समिति के मुख्य सचिव बदन सिंह कुशवाहा का कहना है कि आंदोलन सरकार के साथ हुए वार्ता समझौते से संतुष्ट होकर आगामी आदेश तक स्थगित किया गया है. सरकार के जिन आदेशों के तहत 10 दिन के अंदर कुशवाहा, काछी, सैनी, माली, शाक्य, मौर्य समाज की सर्वे की रिपोर्ट सभी जिला कलेक्टर्स पेश करेंगे. अगर रिपोर्ट कुशवाहा, काछी, सैनी, माली, शाक्य, मोर्य जातियों के पक्ष में आएगी तो ठीक है, वरना फिर आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. 


संघर्ष समिति के नेताओं से नाराज आंदोलनकारी
सैनी आंदोलन के नेता विनोद सैनी ने ने बताया कि ओबीसी आयोग के साथ सफल वार्ता हुई थी और उन्होंने 6 महीने के अंदर सर्वे कराने का आश्वासन दिया है. इसके अलावा, सभी कलेक्टरों को 10 दिन के अंदर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं, जिसके चलते आंदोलन को समाप्त कर लिया गया है. मगर आंदोलनकारियों में संघर्ष समिति के नेताओं के खिलाफ नाराजगी है क्योंकि उन्होंने आंदोलनकारियों को पूरी बात करके संतुष्ट नहीं किया, आंदोलन खत्म करके चले गए.


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