Rajasthan News: राजस्थान के भरतपुर के डीग कस्बे के पसोपा गांव में आदि बद्री और कंकांचाल पहाड़ियों से खनन कार्य बंद होने के बाद अब क्रेशर को बंद करने की मांग हुई है. इसे लेकर बीते जुलाई में हुए साधुओं के आंदोलन के दौरान टॉवर पर चढ़ने वाले संत नारायण दास ने दो दिन पहले डीग के उपखण्ड अधिकारी को क्रेशर बंद कराने के लिए ज्ञापन दिया था. उन्होंने तीन दिन में क्रेशर बन्द नहीं होने पर मौखिक तौर पर आत्मदाह की चेतावनी दे दी, जिसका समय कल पूरा हो रहा है.
संत नारायण दास की चेतावनी के बाद जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है और आज साधु-संतों के साथ प्रशासन ने कलेक्ट्रेट सभागार में साधुओं को समझाइश के लिए मीटिंग भी की. मीटिंग में संत नारायण दास भी पहुंचे थे और चेतावनी देते हुए नारायण दास ने कहा कि कल मैं अपना बलिदान दूंगा.
3 महीने पहले एक संत ने आत्मदाह कर लिया था और संत के आत्मदाह के बाद आज फिर दूसरे संत नारायण दास ने कल आत्मदाह की चेतावनी दे दी, जिससे जिला प्रशासन की नींद हराम हो गई. ब्रज क्षेत्र में संचालित खनन कार्य बंद करने की मांग को लेकर 550 दिनों से साधु संत आंदोलन कर रहे थे जो जुलाई में उग्र हो गया था. उस आंदोलन में बाबा विजय दास ने आत्मदाह कर लिया था.
वहीं आज जिस संत नारायण दास ने क्रेशर बंद कराने की मांग को लेकर प्रशासन को कल आत्मदाह करने की चेतावनी दी. वहीं संत नारायण दास उस समय 19 जुलाई को मोबाइल टावर पर चढ़ गए थे. जुलाई महीने में साधु संतों के उग्र आंदोलन और आत्मदाह के बाद राजस्थान सरकार में हड़कंप मच गया था. राजस्थान सरकार कटघरे में आ गई थी और बीजेपी ने इसे एक बड़ा मुद्दा बनाया था.
साधु संतों का आंदोलन फिर हुआ उग्र
राजस्थान के भरतपुर के डीग कस्बे के पसोपा गांव में आदि बद्री और कंकांचाल पहाड़ियों से खनन कार्य बंद करने की मांग को लेकर संत विजय दास ने विगत 20 जुलाई को पसोपा गांव में 550 दिन से चल रहे संतों के आंदोलन स्थल पर पेट्रोल डालकर आत्मदाह कर लिया था. जिससे राजस्थान सरकार में हड़कंप मच गया था. संत विजय दास के आत्मदाह के बाद ही राजस्थान सरकार ने उन सभी पहाड़ियों को वन क्षेत्र घोषित कर दिया और इलाके से सभी प्रकार के खनन कार्य बंद कर दिए थे. साधुओं की मांग मानते हुए राज्य सरकार ने आदिबद्री और कंकांचाल पर्वत को वन क्षेत्र घोषित कर दिया लेकिन वहां पर लगे क्रेशरों को वहां से नहीं हटाया गया. उन पहाड़ियों पर क्रेशर संचालित है. क्रेशरों को बंद कराने की मांग को लेकर अब साधु संतों का आंदोलन फिर से उग्र हो गया.
डीग और कामां क्षेत्र की पहाड़ियों को कृष्ण की क्रीणा स्थली मानते हैं. इस क्षेत्र से खनन कार्य बंद करने की मांग को लेकर संत समाज काफी समय से धरना दे रहे थे. उस समय संत विजय दास ने आत्मदाह कर लिया था और उसके बाद ही सरकार ने उन पहाड़ियों को वन क्षेत्र घोषित कर दिया था. संत विजयदास की आत्मदाह की घटना को लेकर राजस्थान सरकार ने एक जांच कमेटी का गठन भी किया था.
क्या कहना है संत नारायण दास का
आत्मदाह की चेतावनी देने वाले संत नारायण दास ने कहा कि पहले बोले थे कि क्रेशर पूर्णतया बंद होंगे, आप चिंता मत करिये. उन्होंने कहा कि साढ़े तीन माह हो गए हैं हम इंतजार करते रहे, फिर 7 तारीख को हमने कह दिया था कि अगर क्रेशर बंद नहीं करते हैं तो हम भी विजय दास बाबा की तरह बलिदान दे देंगे उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देंगे. अब हमारे तीन दिन पूरे हो रहे हैं, कल बलिदान देने के लिए फ्री हैं. हमने कलेक्टर साहब को यही कहा है कि हमने बलिदान देने का वादा किया है उसे पूरा करेंगे.
जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने कहा कि आदि बद्रीनाथ और कनकाचल को लेकर मुख्यमंत्री के निर्देश अनुसार जुलाई में साधु संतों के साथ समझौता हुआ था. जिसमे साधु संतों की तीनों मांग को मानते हुए राजस्थान सरकार के आदेश के बाद ब्रज इलाके से खनन कार्य बंद कर दिए गए थे. फिलहाल साधु संतों का एक समूह आया है जिनकी मांग है कि इस इलाके से क्रेशर बंद किये जाएं. कलेक्टर ने आगे कहा कि क्रेशर संचालक भी ज्ञापन देने आए हैं जिनका कहना है कि हम बेरोजगार हो गए हैं. दोनों पक्षों का ज्ञापन राजस्थान सरकार के उच्च अधिकारियों को भिजवाए जा रहे हैं.