Bharatpur Saints Protest: राजस्थान के भरतपुर जिले में फिर पहाड़ों से खनन को बंद करने की साधु संत मांग कर रहे हैं. साधु-संतों ने सोमवार को ज्ञापन देकर आंदोलन की चेतावनी दी है. दो वर्ष पहले भी धार्मिक महत्व की पहाड़ियों से खनन बंद करने की मांग को लेकर साधु संत आंदोलन कर रहे थे और इसी बीच 20 अगस्त 2022 को संत विजय दास बाबा ने आत्महत्या कर लिया था. अब एक बार फिर से धार्मिक महत्व की पहाड़ियों को बचाने के लिए साधु संतों ने आंदोलन की चेतावनी दे दी है. 


भरतपुर जिले की भुसावर तहसील की कालिया पहाड़ पर राज्य सरकार द्वारा खनन करने के लिए लीज आवंटित की गई है. कालिया पहाड़ के आस - पास के साधु संतों ने सरकार द्वारा जारी की गई लीज का विरोध शुरू कर दिया है.


साधु संतों ने आज एकत्रित होकर मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा है और मांग की है कि धार्मिक महत्व के कालिया पहाड़ से खनन और लीज को तुरंत निरस्त किया जाए अन्यथा कालिया पहाड़ के आसपास क्षेत्र के 40 गांव के लोगों के साथ मिलकर साधु संत आंदोलन करेंगे. 


गौरतलब है कि डीग जिले के खोह थाना क्षेत्र के पसोपा गांव में भी साधु संतों द्वारा क्षेत्र के पहाड़ों  को बचाने के लिए लम्बे समय से आंदोलन किया जा रहा था. साधु संतों का आंदोलन लगभग 560 दिन तक चलता रहा और सरकार ने साधु-संतों के आंदोलन पर सुनवाई नहीं की तो एक साधु ने पेट्रोल छिड़क कर आत्मदाह कर लिया था. आज फिर साधु संतों ने पहाड़ों को बचाने के लिए  खनन की जारी की गई लीज को निरस्त करने की मांग की है. 


क्या कहना है साधु संतों का ?


साधु संतों का कहना है कि गोवर्धन में स्थित पहाड़ का छोटा रूप भुसावर तहसील में कालिया पहाड़ है जिसका धार्मिक महत्व है और लोगों की आस्था का प्रतीक है. यहां करीब 60-70 मंदिर भी स्थित है. स्थानीय लोग इस कालिया पर्वत की परिक्रमा करते हैं पूजा करते हैं. इस पहाड़ पर खनन कार्य चल रहा है और हाल ही में राजस्थान सरकार ने खनन के लिए 13 लीज आवंटित की है. आवंटित लीज को तुरंत निरस्त किया जाये यदि खनन की लीज निरस्त नहीं की गई तो साधु संत 40 गांव के लोगों के साथ मिलकर उग्र आंदोलन करेंगे. 


ये भी पढ़ें- MP में डेढ़ करोड़ नए लोगों को पार्टी से जोड़ने का लक्ष्य, इस तरह BJP के बन सकते हैं सदस्य