Rajasthan News: राजस्थान के भरतपुर जिले में नगर विधानसभा के गांव पसोपा में खनन कार्यों को बंद करने की मांग को लेकर साधु संतों का 550 दिनों से धरना चल रहा था. आंदोलन के चलते बीते दिन साधु विजय दास ने आत्मदाह करने की कोशिश की थी. बाबा विजयदास ने खुद पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा ली. आत्मदाह करने कोशिश में बाबा विजय दास लगभग 85 प्रतिशत झुलस गये हैं. भरतपुर के आरबीएम अस्पताल से रैफर करने के बाद बाबा विजय दास को एसएमएस अस्पताल में लाया गया था जहां से आज ग्रीन कॉरिडोर बनाकर सड़क मार्ग से बाबा विजय दास को दिल्ली ईलाज के लिए भेजा गया है. बाबा विजय दास के साथ स्पेशल डॉक्टर की टीम भी गई है |  


हरियाणा के रहने वाले हैं बाबा विजय दास
 
बाबा विजय दास की उम्र लगभग 65 साल है और वो हरियाणा के रहने वाले हैं। जब बाबा विजय दास छोटे थे तो वह वृंदावन के मान मंदिर में आ गए थे। वे वृंदावन मंदिर के मान मंदिर में कई सालों तक रहे। उसके बाद बाबा विजय दास को पसौपा में पशुपति नाथ मंदिर का महंत बना दिया गया। बाबा विजय दास के साथ स्थानीय लोगों का काफी लगाव था। इस वजह से वह भी खनन को रोकने के लिए चल रहे आंदोलन में पहुँच गये और कल उन्होंने खुद को आग के हवाले कर दिया।


80 प्रतिशत जलने के साथ अस्पताल में भर्ती हुए बाबा


आरबीएम अस्पताल की प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. जिज्ञासा साहनी ने बताया कि बाबा को लगभग 12 बजे के आसपास यहां लाया गया. बाबा सुपर फिशियल 80 प्रतिशत जलने के साथ अस्पताल में भर्ती हुए थे. इनका बार्न इन्वेस्टीगेशन करवा लिया गया है. उन्होंने आगे बताया कि भरतपुर के आरबीएम अस्पताल में बर्न आईसीयू उपलब्ध नहीं होने के कारण और सुपरफिशियल बर्न 80 प्रतिशत होने के कारण इसमें इन्फेक्शन का चांस ज्यादा रहता है. इसलिए भरतपुर से 4 बजकर 40 मिनट पर जयपुर के लिए रेफर कर दिया गया. 7 बजकर 15 मिनट पर बाबा विजय दास एसएमएस की बर्न आईसीयू में भर्ती हो गए है. 


जयपुर के एसएमएस अस्पताल के डॉक्टर्स का कहना है कि बाबा विजय दास 80 प्रतिशत से अधिक झुलस चुके हैं. ऐसे में रिकवर होना मुश्किल हो जाता है क्योंकि बाबा विजय दास की उम्र ज्यादा है. डॉक्टर्स ने बताया कि शरीर स्कीन बची नहीं है इस वजह से प्लास्टिक सर्जरी भी नहीं की जा सकती. बाबा के पेट और कमर के पास अंदरूनी अंगों तक आग पहुँच गई थी. 


4 जुलाई को आत्मदाह की धमकी भी दी थी


साधु-संतो द्वारा लगभग 550 दिन से डीग उपखण्ड के पसोपा गांव में धरना दिया जा रहा था. सरकार और जिला प्रशासन द्वारा कई बार मीटिंग भी हुई लेकिन कोई हल नहीं निकला. इसी बीच बाबा हरिबोल दास ने 4 जुलाई को आत्मदाह की चेतावनी दी कि 19 जुलाई को मुख्यमंत्री आवास पर आत्मदाह करूँगा. बाबा हरिबोल दास की चेतावनी के बाद 12 जुलाई को संभागीय आयुक्त सांवरमल वर्मा की अध्यक्षता में संभागीय आयुक्त कार्यालय में मीटिंग की गई और बाबा को समझाया गया. इस मीटिंग में आईजी गौरव श्रीवास्तव, जिला कलेक्टर आलोक रंजन, एसपी श्याम सिंह सहित जिले के कई अधिकारी मौजूद रहे. 


मंत्री विश्वेन्द्र सिंह को साधुओं से वार्तो के लिए भेजा गया


बाबा हरिबोल दास अपनी बात पर अड़े रहे औरआत्मदाह के लिये 16 तारीख को कामां के विमल कुंड में मुंडन और पिण्डदान किया. 18 जुलाई को सरकार द्वारा कैबिनेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह को साधु संतो से वार्ता के लिये भेजा गया. उसी दिन देर शाम साधु संतो की कैबिनेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बातची हुई. बातचीच के बाद साधु-संतो ने और कैबिनेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने वार्ता को सफल बताया था और आत्मदाह करने की चेतावनी को स्थगित कर दिया था.


19 जुलाई को सुबह लगभग 6 बजे बाबा नारायण दास धरना स्थल के पास लगे मोबाईल टॉवर पर चढ़ गए. जब मंत्री विश्वेन्द्र सिंह और अन्य प्रशासनिक अधिकारीयों ने अन्य साधु संतों से पूछा की वार्ता सफल हुई थी फिर बाबा टॉवर पर क्यों चढ़ो तो बताया गया कि पिछले साल अक्टूबर में साधुओं की वार्ता मुख्यमंत्री से हुई थी. उस मामले में अभी तक नोटिफिकेशन नहीं हुआ है हमें विश्वास नहीं है. संतों ने आगे कहा कि सरकार लिखित में दे कि आदिबद्री पर्वत और कंकांचाल की पहाड़ियों को वन क्षेत्र घोषित कर खनन कार्य बंद कराया जाएगा.


टावर पर चढ़ गए थे बाबा
 
उनकी इस मांग को लेकर साधु संतों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच कई दौर की वार्ता भी हुई लेकिन बाबा नारायण दास मोबाईल टावर से नीचे आने को तैयार नहीं हुए. प्रशासनिक अधिकारी और मंत्री विश्वेन्द्र सिंह साधु संतों का वार्ता के लिए इन्तजार कर रहे थे. उसी दौरान 20 जुलाई को बाबा विजय दास ने अपने ऊपर पेट्रोल डाल कर आग लगा ली. साधु विजय दास आग लगाने के बाद राधे-राधे पुकारते हुए धरना स्थल की तरफ दौड़े. तभी वहां मौजूद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारीयों ने दौड़ कर बाबा को कम्बल से ढक कर आग को बुझाया और बाबा को तुरन्त अस्पताल लेकर पहुंचे. भरतपुर के आरबीएम अस्पताल से हालत गंभीर होने पर बाबा विजय दास को जयपुर रेफर कर दिया. 


साधुओं को लिखित चिट्टी दी गई


कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह और साधु-संतों के बीच वार्ता सकारात्मक रही. साधुओं को उनकी मांगे मानने का लिखित में पत्र दिया गया जिसके बाद आज साधु-संतों ने धरना समाप्त की घोषणा कर दी. साधु संतों की मांग थी कि बृज के इन क्षेत्रों से खनन कार्य बंद हो और इस क्षेत्र को वन क्षेत्र घोषित किया जाए. राजस्थान सरकार ने साधु संतों के दोनों मांगों को मान लिया और आश्वासन दिया कि 2 महीने के अंदर इन मांगों की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी की जाएगी. साधु संत चाहते थे कि सरकार उनकी मांग मानने की लिखित चिट्ठी दे. साधुओं की बात मानते हुए सरकार की तरफ से साधुओं को लिखित में चिट्टी दी गयी.


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