Baba Vijay Das Self Immolation Case: साधु विजय दास आत्मदाह मामले की जांच करने के लिए सीनियर आईएएस ऑफिसर कुंजी लाल मीणा भरतपुर आ सकते हैं. 20 जुलाई को हुई घटना की जांच के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कमेटी गठित की है. जांच कमेटी का नेतृत्व यूडीएच विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेट्री कुंजी लाल मीणा कर रहे हैं. भरतपुर में ब्रज इलाके की पहाड़ियों से खनन कार्य बंद करने की मांग पर साधु विजय दास ने 20 जुलाई को आग के हवाले कर लिया था. 23 जुलाई को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में निधन होने के बाद राजस्थान की राजनीति में उबाल आया हुआ है.
साधु के आत्मदाह मामले की जांच
बताया जा रहा है कि आईएएस अधिकारी कुंजी लाल मीणा टीम को लेकर साधुओं के आंदोलन स्थल पसोपा गांव पहुंचेंगे. पसोपा गांव में ही 550 दिन से साधु संतों का धरना चल रहा था और संत विजय दास ने आत्मदाह कर लिया था. जांच पड़ताल करने के बाद कुंजी लाल मीणा रिपोर्ट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सौंपेंगे. रिपोर्ट मिलने के बाद बाबा विजय दास आत्मदाह मामले में लापरवाही का पता चल सकेगा. आदिबद्री और कनकाचल पर्वत पर खनन बंद नहीं होने से नाराज साधु संतों ने आत्मदाह की चेतावनी दे दी थी.
कलेक्टर पर लापरवाही का आरोप
जिला कलेक्टर आत्मदाह की चेतावनी के बावजूद साधु संतों से मौके पर वार्ता करने नहीं पहुंचे. सरकार के लिखित आश्वासन का फरमान लेकर साधु संतों से वार्ता करने जिला कलेक्टर पहुंचे सके थे. साधु संतों ने आलोक रंजन के जिला कलेक्टर पद पर रहते जांच प्रभावित होने की आशंका जताई है. आरोप है कि आदिबद्री और कंकाचल पर्वत पर सबसे ज्यादा खनन कार्य नियमों का उल्लंघन एंकासा कंपनी कर रही थी. कंपनी की मनमानी से इलाके की पहाड़ियां नष्ट होती जा रही थीं.
550 दिनों से धरना पर बैठे थे साधु
खनन कार्य को बंद करने के लिए साधु संत 550 दिनों से धरना पर बैठे थे. एंकासा को जून 2018 में वसुंधरा राजे ने खनन करने के लिए लीज की अनुमति प्रदान की थी. खनिज अभियंता रामनिवास मंगल ने कहा कि एक लीज पर हर वर्ष करीब 60 लाख घन टन पहाड़ से पत्थर का खनन किया जा सकता है. मगर सिर्फ 17 लाख घन टन पहाड़ ही फोड़ा गया था. उन्होंने कहा कि खनन कार्य बंद कराने के आदेश नहीं आए हैं और ना ही लीज को शिफ्ट करने का निर्देश मिला है. पहाड़ तोड़ने पर बीजेपी नेताओं के आरोप की जानकारी नहीं है.
बीजेपी की जांच कमेटी का आरोप
बीजेपी की जांच कमेटी का नेतृत्व कर रहे अरुण सिंह ने कहा कि पहाड़ों से लीज धारक मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों का मिलीभगत है. खनन लीज की शर्तों के विपरीत हर वर्ष करीब 30 लाख घन टन पत्थर निकाल रहे थे. खनन से नष्ट हो रही पहाड़ियों को बचाने के लिये साधु संतों को आंदोलन करना पड़ा.