राजस्थान (Rajasthan) के भरतपुर (Bharatpur) जिले में पानी की किल्लत लंबे समय से जारी है. पानी की मांग के लिए स्थानीय लोग विगत लंबे समय से आंदोलन भी करते रहे हैं. राजस्थान में सरकारें बदलती गई मगर यहां के लोगों की पानी की मांग कभी पूरी नहीं हो सकी. गर्मी के मौसम में पानी के लिये लोगों के साथ -साथ पशु पक्षियों को पानी की समस्या से जूझना पड़ता है मगर जनप्रतिनिधि हो या अधिकारी पानी की समस्या के समाधान के लिए लोगों की गुहार नहीं सुन पा रहे हैं. 


अनूठे अंदाज में पानी के लिए लगाई गुहार 


भरतपुर के कामा कस्बे में जिला प्रभारी व पंचायत राज्य मंत्री रमेश मीणा और राज्यमंत्री जाहिदा खान जन सुनवाई कर रहे थे. जन सुनवाई के दौरान ही एक सामाजिक कार्यकर्ता विजय मिश्रा अनूठे अंदाज में पानी की गुहार लगाने के लिए मंत्रियों के सामने जा पहुंचे. दंडवत परिक्रमा लगाते हुए विजय मिश्रा मंत्रियों के पास जन सुनवाई में पहुंचे और फिर वहां पानी की मांग के लिए मंत्रियों को ज्ञापन सौंपा. भरतपुर जिले के डीग - कामां क्षेत्र में पानी की परेशानी हमेशा बनी रहती है.


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लोगों का आरोप है कि समस्या चाहे पीने के पानी की हो या सिंचाई की लेकिन पानी की समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो सका है, जबकि राजस्थान में राज्यमंत्री जाहिदा खान खुद कामां क्षेत्र की रहने वाली हैं और राज्यमंत्री जाहिदा खान के पिता स्व. चौधरी तैयब हुसैन भी कामां क्षेत्र के कदावर नेता माने जाते थे चौधरी तैयब हुसैन ऐसे नेता थे जो तीन राज्यों में मंत्री पद पर रहे थे लेकिन उनके द्वारा भी कामां में पानी के लिये कोई स्थाई व्यवस्था नहीं हो पाई है. 


भरतपुर में सिंचाई के लिये पानी की कोई व्यवस्था नहीं


भरतपुर में किसान खेती सिर्फ बरसात के पानी के सहारे ही करता है क्योंकि भरतपुर में सिंचाई के लिये पानी की कोई व्यवस्था नहीं है जिले में जमीनी पानी खारा होने के कारण किसान सिंचाई नहीं कर सकते और किसान बरसात के पानी पर निर्भर रहता है.


सामाजिक कार्यकर्ता विजय मिश्रा ने बताया कि इलाके में पानी संकट की वजह से लोग परेशान हैं. खासकर गर्मी के मौसम में जल संकट ज्यादा बढ़ जाता है. सप्ताह में 1 दिन कुछ समय के लिए ही वाटर बॉक्स द्वारा पानी मुहैया कराया जाता है.


सप्ताह में एक दिन की पानी की सप्लाई से इंसान की पूर्ति भी नहीं हो पाती है जबकि ग्रामीण इलाकों में पशुओं के लिये भी पानी ज्यादा जरूरत रहती है इसलिये इलाके के लोग चंबल पेयजल परियोजना से पानी की मांग कर रहे हैं लेकिन जनप्रतिनिधि सुनवाई नहीं करते. इसलिए मंत्रियों के सामने अपनी गुहार लगाने के लिए दंडवत परिक्रमा लगाना ही उचित समझा.


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