Rajasthan: जानें कौन थे भगवान देवनारायण, जिनकी पूजा करता है देश का गुर्जर समाज
Rajasthan News: राजस्थान के लोक देवता माने जाने वाले भगवान देवनारायण को भगवान विष्णु का अवतार बताया जाता है. उन्होंने आठवीं शताब्दी में अजमेर में शासन किया था.
Devnarayan Bhagwan Story: इस साल गुर्जर समाज के आराध्य भगवान देवनारायण का 1111वां जन्म उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा. राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में देवनारायण भगवान के जन्मस्थल पर आयोजित कार्यक्रम में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी शिरकत करेंगे. पीएम मोदी के आगमन से पहले कार्यक्रम स्थल पर जोर-शोर से महोत्सव की तैयारियां की जा रही है. देशभर से गुर्जर समुदाय के लोग यहां पहुंच रहे हैं.
राजा सवाई भोज के घर हुआ था जन्म
राजस्थान के लोक देवता माने जाने वाले भगवान देवनारायण को भगवान विष्णु का अवतार बताया जाता है. गुर्जर समाज में देवनारायण भगवान की मान्यता है. पौराणिक मान्यता के मुताबिक, देवनारायण का जन्म राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में आसींद विधानसभा क्षेत्र के मालासेरी गांव में राजा सवाई भोज के घर हुआ था. 1243 ई. में माघ महीने में शुक्ल पक्ष की छठी तिथि को उन्होंने माता साढू खटानी की कोख से जन्म लिया. इसके बाद अपने ननिहाल देवास में पले बढ़े. उन्होंने शिक्षा के साथ घुड़सवारी और हथियार चलाना सीखा. शिप्रा नदी के तट पर भगवान विष्णु की कठिन साधना की. गुरुओं से तंत्र शिक्षा प्राप्त की. वे युवावस्था में शक्तिशाली योद्धा बने.
ऐसे हुआ रानी पीपलदे से विवाह
देवनारायण ने अपने जीवनकाल में कई चमत्कार भी दिखाए. एक समय जब धार के राजा जयसिंह की पुत्री पीपलदे काफी बीमार हो गई थी, तो देवनारायण ने उन्हें अपनी शक्तियों से ठीक कर दिया. उसके बाद उन्हीं के साथ उनका विवाह हुआ. देवनारायण ने सूखी नदी में पानी पैदा करना, सारंग सेठ को पुनर्जीवित कर देना, छोंछु भाट को जीवित करने जैसे कई चमत्कार दिखाए. भगवान विष्णु की आराधना करने से प्राप्त शक्तियों का उपयोग देवनारायण ने लोक कल्याण के लिए किया. यही वजह है कि उस समय से ही लोग उन्हें भगवान मानकर पूजने लगे.
सुबह उठकर करते थे गायों का दर्शन
देवनारायण गौ वंश के रक्षक थे. रोजाना सुबह उठकर गौ माता का दर्शन करते थे. इतना ही नहीं, वे गौ पालन भी करते थे. बताते हैं कि उनके पास 98000 गायें थीं. गौ सेवक होने के साथ ही वे राज्य के शासक और महान योद्धा थे. उन्होंने अपने पराक्रम से अत्याचारी विदेशी शासकों से खूब लड़ाईयां लड़ी थीं और अपने शौर्य से उन्हें पराजित किया था. आठवीं शताब्दी में उन्होंने अजमेर में शासन किया था. उन्होंने देश में अरब घुसपैठ का जमकर प्रतिरोध किया था. आज भगवान देवनारायण के प्रति जन-जन की आस्था है.
लोकप्रिय है देवनारायण की फड़
हर भगवान के जीवन पर कोई न कोई ग्रंथ या पवित्र पुस्तक लिखी गई है. जैसे भगवान श्रीराम के जीवन पर रामायण और रामचरितमानस है. उसी तरह भगवान देवनारायण और उनके पिता राजा सवाई भोज के जीवन की कहानी को देवनारायण की फड़ में बताया है. कथा के साथ सुंदर चित्रों के जरिए उनके जीवन को इस फड़ में जीवंत किया गया है. देवनारायण की फड़ भारत में लोक संस्कृति बन गई है और काफी लोकप्रिय है.
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