Kota News: पेपर कप मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों को बंद करने के आदेश से गहराया संकट, 1 लाख लोगों के रोजगार पर खतरा
Rajasthan में पेपर कप मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों को बंद करने के आदेश से संकट गहरा गया है. इससे 1 लाख लोगों के रोजगार पर संकट खड़ा हो गया है.
Kota News: केन्द्रीय प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड एवं निगम आयुक्त द्वारा 12 अगस्त 2021 को एक अधिसूचना से 19 उत्पादों को सिंगल यूज प्लास्टिक की कैटेगिरी के अन्तर्गत 1 जुलाई 2022 से पूर्णतया प्रतिबन्धित कर दिया गया. जिसमें की इनका उत्पादन, संग्रहण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है. इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए पेपर निर्मित डिस्पोजल उत्पादों को विकल्प के तौर पर देखा जा रहा था.
दरअसल राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण विभाग की ओर से 14 जुलाई 2022 जारी अधिसूचना में पेपर निर्मित उत्पाद जैसे पेपर कप, पेपर क्लास, पेपर पत्तल दोने आदि को प्रतिबंध की श्रेणी में शामिल कर 15 दिन में निमार्ताओं को भंडारण और निर्माण बंद करने के आदेश के बाद इकाइयों का भविष्य संकट में आ गया है.
पेपर डिस्पोजल केवल राजस्थान में बंद करना समझ से परे
इसी संकट को दूर करने के लिए कोटा के दी एसएसआई एसोसिएशन में दी पेपर कप मैन्युफैक्चरर सोसाइटी राजस्थान की बैठक एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष गोविंद राम मित्तल वर्तमान अध्यक्ष राजकुमार जैन, सचिव अनीश बिरला दी पेपर कप मैन्युफैक्चरिंग सोसाइटी राजस्थान के अध्यक्ष आरएस शेखावत, सचिव अक्षत तांबी आदि प्रदेशभर से आए उद्यमियों ने अपनी बात रखी और 15 दिन के अंदर संपूर्ण व्यवसाय को बंद करने को अव्यवहारिक बताया.
गोविंद राम मित्तल ने कहा कि पेपर कप पूर्ण रूप से डिस्पोज किया जा सकता है, ऐसे में इसे प्रतिबंधित करना का अव्यवहारिक है और अन्याय पूर्ण है. पेपर कप का एक्सपोर्ट भी किया जाता है. विदेशों में पेपर कप पर किसी भी प्रकार का प्रतिबन्ध नहीं है. फिर इसे भारत के मात्र 1 राज्य राजस्थान में बंद करना समझ से परे है. नमकीन, बिस्कुट, चिप्स, कुरकुरे के प्लास्टिक पाउच प्रतिबंध से नमकीन, बिस्कुट, चिप्स, कुरकुरे के प्लास्टिक पाउच को प्रतिबंध से मुक्त रखा गया है. केवल पेपर कप मैन्युफैक्चरिंग पर ही इस आदेश की गाज गिरी है. जिसमें मात्र 5 प्रतिशत प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है, जबकि शत प्रतिशत प्लास्टिक से बने पाउच को प्रतिबंध से बाहर रखा गया है.
कई करोड़ का होगा नुकसान
इस आदेश से 400 करोड़ की लागत की मशीनरी और 600 करोड़ के भंडारण पूर्ण रूप से कबाड़ हो जाएंगे. इन इकाईयों में कार्यरत मजदूर बहुत ही निम्न वर्ग की आय के है. अत: उनके जीवनयापन पर प्रश्न चिन्ह् खड़ा हो गया है. चूंकि इन उत्पादों को पहले विकल्प के तौर पर समर्थन दिया गया था. जिससे निमार्ताओं ने बैंक और राजस्थान वित्तिय निगम से लाखों-करोड़ों का ऋण ले लिया ताकि वह अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा सके.
फैक्ट फाईल
1. लगभग 1 लाख लोगों के बेरोजगार होने का खतरा, लगभग 30,000 व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से जुडे हुऐ. 70,000 व्यक्ति अप्रत्यक्ष रूप से जुडे हुऐ (छोटे वितरण, माल वाहक मजदूर तथा रेडी ठेले वाले).
2. लगभग 400 करोड़ रुपए की मशीनरी के कबाड़ होने का खतरा.
3. दिए गए समय में भण्डारण का निपटारण असंभव है अत: लगभग 600 करोड़ का कागज का भण्डारण शून्य हो जायेगा.
4. लगभग 3000 इकाईयो के बन्द होने पर संकट, कागज के निर्मित उत्पादो में पेपर कप ग्लास, कागज के पत्तल दोने से संबन्धित सभी छोटी बडी इकाईयां शामिल है.
5. विश्व पटल पर कागज उत्पाद- जिन उत्पादों पर सरकार बैन लगाना चाहती है, वे भारत से बडी मात्रा में निर्यात होते है और वो भी उन विकसित देशों में जो प्रदूषण नियत्रंण में अहम भूमिका रखते हैं. जैसे की यूरोपियन देश, अमेरिका आदि.
6. बडी कम्पनियों को एसयूपी में छूट और छोटी इकाईयों के लिए प्रतिबन्ध, जारी अधिसूचना के अन्तर्गत सभी फूट पैकेजिंग मैटेरियल जैसे चिप्स कुरकुरे, छोटे पाउच जैसे सुपारी, गुटखा और नमकिन, बिस्किट, दूध का पैकेट आदि निर्माण इकाईयों को छूट दी गई है. जो कि 100 प्रतिशत प्लास्टिक से निर्मित है और पेपर कप में नाम मात्र का 3 से 5 प्रतिशत प्लास्टिक कोटिंग है जो मेटेरियल होल्डिंग के लिए अत्यंत आवश्यक है.
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