Innovation in Kota: कोटा की देव नारायण योजना एक के बाद एक रिकॉर्ड बना रही है. यहां पशुपालकों के जीवन स्तर को तो ऊंचा उठाया ही जा रहा है, इनकी आय को भी दुगना किया जा रहा है. गाय भैंस के दूध के साथ गोबर भी सोना बन रहा है. देवनारायण योजना में बना देश का अपनी तरह का अनूठा व सबसे बड़ा बायो गैस प्लांट जैविक खाद व गैस बनाने लगा है. प्लांट में बनने वाली कम्प्रेस्ड बायो गैस (सीवीजी) को जहां गेल इंडिया कंपनी खरीद रही है, वहीं जैविक खाद लेने के लिए कंपनियों में होड़ मची हुई है.


बीमारियां दूर रखती है जैविक खाद
दुनिया में जैविक खाद की मांग के मुकाबले इसका उत्पादन फिलहाल काफी कम हैं. पूरी दुनिया में बढ़ती बीमारियों के कारण लोग फिर से जैविक उत्पाद की ओर लौटने लगे हैं. प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का चलन बढने लगा है. कोटा के जैविक गैस बनाई जाने लगी हैं जिसे खरीदने के लिए कम्पनियों की होड मचने लगी है. प्राकृतिक खेती से बीमारियां होने की संभावना कम होती है, ऐसे में लोग अब जैविक खेती को बढावा दे रहे हैं, जिस कारण गोबर खाद की मांग तेजी से बढने लगी है.


कैसे काम करता है बायो गैस प्लांट
कोटा के बायो गैस प्लांट में 40-40 लाख टन क्षमता के दो अनलोडिंग टैंक है. इनमें पहले गोबर पहुंचता है. इसके बाद यह गोबर सेडिमेंटेंशन टैंक में पहुंचता है, जहां गोबर से मिट्टी अलग होती है. इसके बाद फीडिंग ट्रैक में पहुंचे गोबर से अन्य गंदगियां दूर हो जाती है. यहां से गोबर 50-50 लाख लीटर के दो डाइजेस्टर में पहुंचता है. जहां 30 दिनों की प्रकिया के बाद इसमें से गोबर गैस निकलती है.  इसमें मीथेन गैस से कम्प्रेस्ड बायो गैस बनाई जाती है.


देव नारायण योजना में कोटा में 1200 परिवार को शिफ्ट किया गया है. जिन परिवारों के पास पशु हैं. वहीं वहां रह सकता है. पशुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए वहां आधुनिक पशु चिकित्सालय खोला गया है.इसके साथ ही पशु पालकों के बच्चों के लिए इंग्लिश मीडियम स्कूल संचालित हो रहा है. जिसमें फिलहाल 56 बच्चे पढाई कर रहे हैं. इसके अलावा पानी और बिजली की उपलब्धता इस योजना को अनूठा बनाती है. यहां पशु पालक गोबर को बेचकर अपनी आय बढा रहे हैं. एक रुपए प्रति किलो गोबर बेचा जा रहा है. इससे उन्हें दो हजार से 20 हजार प्रतिमाह की आय हो रही है. इसके साथ ही गोमूत्र भी बेचा जा रहा है.


बायो गैस प्लांट में बनेगी दो तरह की खाद
बायो गैस प्लांट में दो तरह की खाद बनाई जाएगी. पहला तरह होगा तो दूसरा ठोस होगा. जबकी सीबीजी गैस भी यहां बनाई जाएगी. प्लांट में प्रतिदिन करीब 3 हजार लीटर कम्प्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) के साथ ही प्रतिदिन 21 टन फॉस्फेडट रिच ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर तैयार होगा. इसके अलावा 17 प्रकार के पोषक तत्व वाला तरल खाद भी बनेगा.


ये भी पढ़ें


G-20 Summit 2023: 21 मार्च से उदयपुर में शुरू होगी G-20 की दूसरी बैठक, इन एजेंडों पर होगी चर्चा!