Camel Festival 2023: रेतीले धोरों के रेगिस्तान में अगर ऊंट नहीं होता तो यहां जीवन जीना संभव नहीं होता. ऊंट एक मजबूत जानवर है जिसे रेगिस्तानी इलाकों में आज भी शाही सवारी के नाम से जाना जाता है. ऊंट रेगिस्तान का वो जहाज है जो स्थानीय लोगों को रेगिस्तान में जीवित रहने में मदद करता है. इस 'रेगिस्तान के जहाज' के लिए बीकानेर हर साल ऊंट महोत्सव की मेजबानी करता है.आज से बिकानेर में कैमल फेस्टिवल की शुरूआत हो रही है. पर्यटन विभाग राजस्थान सरकार की एक पहल से बीकानेर कैमल फेस्टिवल का यह उत्सव अपने आप में काफी खास होता है.
राजस्थान सरकार ने की है खास तैयारी
पूरी दुनिया में ऊंट को लेकर विख्यात बीकानेर में आज से कैमल फ़ेस्टिवल शुरू होने जा रहा है. इस फेस्टिवल को लेकर पर्यटन विभाग,कलाकार और जिला प्रशासन ने पूरे जोश के साथ अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं. इस बार का ये कैमल फेस्टिवल पिछले कई सालो के फेस्टिवल से थोड़ा अलग और खास है. इस बार प्रशासन की तरफ से इसे विशेष बनाने के लिए कुछ नए प्रयास भी किए जा रहे हैं. इसके अलावा देशी और विदेशी कलाकार भी अपने हुनर को दिखाने के लिए बेताब है. बता दें कि बिकानेर कैमल फेस्टिवल की मेजबानी राजस्थान सरकार करती है इसलिए इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की ही होती है. बीकानेर ऊंट महोत्सव राज्य के सबसे रंगीन और जीवंत त्योहारों में से एक है.इस उत्सव में ऊंटों की दौड़, ऊंटनी दुहना, ऊंटों के बालों की आकर्षक कटाई, ऊंट और ऊंटनी नृत्य जैसे कई आयोजन किये जाएंगे.
13 से 15 जनवरी तक चलेगा 'बिकानेर कैमल महोत्सव'
बीकानेर में आज से शुरू होने वाला यह फेस्टिवल 15 जनवरी तक चलेगा. इस दौरान रेगिस्तान के जहाज का जोरदार जश्न मनाया जाएगा. इस महोत्सव की प्रसिद्धि इतनी है कि देश तो देश विदेशों से भी लोग इस महोत्सव को देखने और इसका आनंद उठाने यहां आते हैं. ऊंट प्रजनन को भी इस महोत्सव में बढ़ावा देते हैं. ऊंट पालने और प्रशिक्षण की सदियों पुरानी परंपरा है.गौरतलब है कि ऊंट को आज भी राजस्थान में शाही सवारी के नाम से जाना जाता है. जब भी राजस्थान को किसी तस्वीर में प्रदर्शित किया जाता है तो उसमें भले ही कुछ हो ना हो मिट्टी और उन पर चलते हुए ऊंट जरूरी दिखाई देते हैं. बीकानेर में कल से शुरू होने जा रहे इस आयोजन में पहली बार कार्निवल भी होगा जिसमें रंग-बिरंगे ऊंट और कई विंटेज गाड़ियां बीकानेर में घूमते हुए दिखाई देगी.
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