Jodhpur News: राजस्थान के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चो के लिए "मिड डे मील योजना" चलाई जा रही है. इसमें विद्यार्थियों को पौष्टिक और गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने का प्रवाधान है. हालांकि समय-समय पर खबरें मिलती मिड डे मील में मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता पर सवाल उठते रहे हैं. इसको रोकने के लिए मिड डे मील में मिलने वाले दोपहर के भोजन को विद्यार्थियों मां टेस्ट करवाया जाएगा. माध्यमिक शिक्षा विभाग बीकानेर के स्टाफ ऑफिसर अरुण कुमार शर्मा ने प्रदेश के सभी मुख्य जिला शिक्षा अधिकारियों और समग्र शिक्षा में पदेन जिला परियोजना समन्वयकों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है.


शिक्षा विभाग की ओर जारी आदेश के अनुसार अब प्रतिदिन पांच विद्यार्थियों की मां को रेंडम तरीके से स्कूल में बुलाकर उनसे "मिड डे मील" के भोजन की जांच करानी होगी. इस संबंध में बीते 5 फरवरी को ग्राम विकास एवं पंचायती राज विभाग के सचिव आयुक्त रवि जैन ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के निर्देश के अनुसार शिक्षा विभाग के अधिकारियों को आदेश जारी किया था. उसके बाद 13 फरवरी को प्रारंभिक शिक्षा विभाग के शासन सचिव मुकेश शर्मा ने मिड डे मील आयुक्त को विद्यार्थियों की मां से दोपहर के भोजन की गुणवत्ता और पौष्टिकता की जांच करवाने के निर्देश दिए थे.


नए आदेश पर जोधपुर प्रशासन ने क्या कहा?
जोधपुर मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी सीमा शर्मा ने बताया कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मिलने वाले "मिड डे मील" में बने खाने को चखने को लेकर हमें आदेश मिला है. उन्होंने बताया कि इस तरह के आदेश पहले से ही विभाग के द्वारा समय-समय पर जारी किये जाते हैं. किसी वजह से स्कूलों में खाने को चखने का रजिस्टर मेंटेन नहीं हो रहा था. अब विभाग के द्वारा संस्था प्रधानों को प्रतिबंधित किया जाएगा.


स्कूलों में "मिड डे मील" के चखने का रजिस्टर मेंटेन किया जाए, उस रजिस्टर को प्रतिमाह चेक किया जाएगा. जिसमें सरकार के द्वारा दिए गए मेनू के अनुसार मिड डे मील दिया जा रहा है या नहीं, उसका स्वाद कैसा है, किस दिन किस स्टूडेंट की मां ने खाने का टेस्ट किया. ऐसा नहीं करने पर विभाग के द्वारा उन पर कार्रवाई की जाएगी.


अभिभावकों ने मिड डे मील को लेकर किया था हंगामा
बता दें, कुछ समय पहले जोधपुर के सरकारी स्कूलों में सूखी और बदबूदार फफूंद लगी रोटी के साथ ठंडी दाल खुली ऑटो में सप्लाई के लिए ले जाया जा रहा था, कुछ अभिभावकों ने इसकी वीडियो बनाकर वायरल कर दिया था. बच्चों को इस तरह का खाने देने को लेकर अभिभावकों ने जमकर हंगामा किया था. अभिभावकों ने आरोप लगाया था कि जो खाना जानवर नहीं खाते वह उनके बच्चों को दिया जा रहा है. वीडियो वायरल होने के बाद विभाग ने कार्रवाई का आश्वासन दिया था, हालांकि ऐसा कुछ हुआ नहीं है.


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