Rajasthan News: गुजरात चुनाव में बीजेपी ने अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की है. 156 सीटें जीतकर गुजरात में फिर से बीजेपी ने सत्ता हासिल की और अब बीजेपी अगले साल राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लग गयी है. बीजेपी के लिए गुजरात चुनाव में जीत आगामी  राजस्थान के लिहाज से शुभ संकेत माना जा रहा है. दरअसल इसके पीछे के कारणों की बात करें तो दोनों राज्यों की सीमाएं आपस में जुड़ी हुई हैं और दोनों राज्यों का एक-दूसरे पर राजनीति दृष्टि से भी प्रभाव है.


बड़ी बात यह कि दोनों राज्यों के चुनावों में महत्वपूर्ण जगह रखने वाली आदिवासी सीटों पर गुजरात में बीजेपी का दबदबा हो गया है. यहां ना बीटीपी, आप कुछ कर पाई और ना कांग्रेस. इसका सीधा असर अब राजस्थान में आदिवासी प्रभाव वाली सीटों पर पड़ सकता है. जानिए गुजरात और राजस्थान में बीजेपी कांग्रेस की क्या है स्थिति.


आदिवासी इलाकों में मोदी की सभाओं के बाद बदला रुख
गुजरात में चुनाव से पहले आदिवासी सीटों को साधने के लिए राहुल गांधी और पीएम नरेंद्र मोदी ने सभा की थी. वहीं उदयपुर में कांग्रेस का राष्ट्रीय चिंतन शिविर हुआ था जिसके बाद राहुल गांधी ने बांसवाड़ा में बड़ी सभा की थी. वहीं पिछले महीने ही प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी ने आदिवासियों के आस्था के केंद्र मानगढ़ धाम में सभा की थी. इसके बाद हवा का रुख बदला और गुजरात में आदिवासी सीटों पर बीजेपी का कब्जा हो गया.


27 साल से जो कांग्रेस का था उसे भी बीजेपी ने छीना
हम सभी जानते हैं कि बीजेपी गुजरात में 27 साल से राज कर रही है और इस बार उसने प्रचंड जीत हासिल की है लेकिन यहां ऐसी सीटें भी थीं जो कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थीं जहां 27 साल से कांग्रेस पार्टी ही जीत रही थी लेकिन इस बार इन सीटों को भी बीजेपी ने छीन लिया. उदाहरण के तौर पर गुजरात के अरावली जिले की भुलाडा विधानसभा सीट यहां 27 साल से कांग्रेस का कब्जा था लेकिन इस बार यह सीट बीजेपी के खाते में चली गयी.


बता दें कि यह सीट आदिवासी प्रभाव वाली सीट है. इससे साफ जाहिर होता है कि इस बार बीजेपी या कहें पीएम मोदी का आदिवासी वोटर में भी सिक्का चला. 


अब हम देखते हैं आदिवासी सीटों का गुजरात और राजस्थान में हाल
राजस्थान बॉर्डर से सटे गुजरात के अरावली, साबरकांठा, महिसागर, छोटा उदेपुर, पंचमहल, डांग और सूरत का ग्रामीण क्षेत्र है. यह आदिवासी प्रभावित जिले हैं जहां एसटी की 27 और एससी की 13 विधानसभा सीटें हैं. यहां बीजेपी ने 27 में से 23 और 13 में से 11 सीटें जीती हैं.


यह बीजेपी की अब तक कि इस एरिया में भी प्रचंड जीत है. यहां बीजेपी ने कांग्रेस, आप और बीटीपी को साफ कर दिया और इनकी झोली में 4 सीटें और 2 सीटें ही आईं. बताया जा रहा है कि यहां बीजेपी का वोटिंग प्रतिशत भी बढ़ा है. 


क्या कहता है राजस्थान आदिवासी सीटों का गणित
राजस्थान और गुजरात के टीएसपी क्षेत्र के लोग आपस में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, ऐसे में बीजेपी की यह जीत यहां भी असर डालेगी लेकिन अभी राजस्थान में कांग्रेस राज है और पिछले कुछ समय से आदिवासी समाज संगठन उभरकर सामने आया है. यहां इनसे बीजेपी को चुनौती मिलेगी. राजस्थान में आदिवासी सीटों की बात करें तो जो गुजरात से जुड़ी हैं वह उदयपुर संभाग की 28 और जोधपुर संभाग की एक सीट पिंडवाड़ा है.


28 सीटों में से 24 पर सीधा आदिवासी वर्चस्व ज्यादा है. इन 28 में से अभी यहां 11 कांग्रेस, 14 बीजेपी, 2 बीटीपी, 1 निर्दलीय और 13 कांग्रेस की सीटें हैं.


28 विधानसभा में कहा किसका है अभी राज
■ डूंगरपुर जिला 4 सीटें - 1 कांग्रेस (डूंगरपुर), 1 बीजेपी(आसपुर), 2 बीटीपी (सागवाड़ा और चौरासी)
■ बांसवाड़ा जिला 5 सीटें - 2 कांग्रेस ( बांसवाड़ा और बागीदौरा, 2 बीजेपी( गढ़ी और घाटोल), 1 निर्दलीय (कुशलगढ़)
■ प्रतापगढ़ जिला 2 सीटें - कांग्रेस की 2 ( धरियावद और प्रतापगढ़)
■ उदयपुर जिला 8 सीटें - बीजेपी 6 (मावली, उदयपुर, उदयपुर ग्रामीण, सलूम्बर और झाड़ोल, गोगुन्दा), कांग्रेस 2 (वल्लभनगर, खेरवाड़ा)
■ राजसमन्द 4 सीटें - कांग्रेस 3 (भीम, नाथद्वार, कुम्भलगढ़), भाजपा 1 (राजसमन्द)
■ चित्तौड़गढ़ जिला 5 सीटें- बीजेपी 2 ( चित्तौड़गढ़, कपासन), काँग्रेस 3 ( बेगू, बड़ीसादड़ी, निम्बाहेड़ा)


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