Rajasthan BJP News: राजस्थान में बीजेपी (BJP) ने अपना अध्यक्ष बदल दिया. 11 सालों के बाद बीजेपी ने फिर से ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाया है. यह दांव ऐसे समय में लगाया गया है, जब विधानसभा का चुनाव सिर पर है. अब इसके राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे हैं. आखिर चुनाव से पहले ही ऐसा क्यों किया गया. बीजेपी को इससे राजनीतिक लाभ होगा या नुकसान. एक बात यह भी कि जब चुनाव सिर पर है तो ऐसी चर्चा लाजिमी भी है.


चुनाव से पहले हटा दिए गए थे अरुण चतुर्वेदी
जानकारी के अनुसार वर्ष 2012 में भाजपा अध्यक्ष रहे अरुण चतुर्वेदी को चुनाव से पहले हटा दिया गया था. इसके बाद वसुंधरा राजे सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. उनकी अगुवाई में चुनाव लड़ा गया और वसुंधरा राजे सिंधिया सीएम बन गईं. इसके बाद अशोक परनामी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. उसके बाद कई अध्यक्ष बदले, लेकिन ब्राह्मण चेहरे को जगह नहीं दी जा सकी. अब चुनाव से ठीक 8 महीने पहले फिर एक बार ब्राह्मण चेहरे पर बीजेपी ने बड़ा दांव खेल दिया है. इसे कई मायनों में खास माना जा रहा है.


ब्राह्मण चेहरे की क्यों आई याद? 
आंकड़ों की मानें तो राजस्थान में 89 प्रतिशत हिन्दू रहते हैं. बाकी लोगों में 9 प्रतिशत मुस्लिम और 2 प्रतिशत अन्य शामिल हैं. अनुसूचित जाति की जनसंख्या 18 प्रतिशत जबकि अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 13 प्रतिशत के आसपास है. ब्राह्मणों की जनसंख्या सात प्रतिशत के करीब है. ऐसे में बीजेपी ने सीपी जोशी को आगे करके ब्राह्मण वोटर्स को रिझाने का प्रयास किया है. बीजेपी ने अपने इस ठोस वोटर्स पर अपनी पकड़ बनाये रखने के लिए ब्राह्मण चेहरे को सामने किया है. क्योंकि राजस्थान बीजेपी में पिछले 11 सालों से कोई भी अगड़ी जाति शीर्ष पर नहीं है. ऐसे में बीजेपी ने यह दांव खेला है. 


ये ब्राह्मण रहे हैं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष 
हरिशंकर भाभड़ा, भंवर लाल शर्मा, रघुवीर सिंह कौशल, ललित किशोर चतुर्वेदी, महेश शर्मा, अरुण चतुर्वेदी और अब सीपी जोशी को अध्यक्ष बनाया गया है. लगभग 11 साल के बाद बीजेपी ने फिर से ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगा दिया है. अब इस राजनीति में बीजेपी पास होती है या फेल यह तो आने वाला समय ही बताएगा.


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