Rajasthan Politics: महापंचायतों का बीजेपी पर दिखा असर, अब कांग्रेस की बारी? कुछ ऐसी होगी रणनीति
Rajasthan News: राजनीति के जानकारों की मानें तो यह महज संयोग नहीं है. सभी जातियों को साधने के लिए बीजेपी ने एक मजबूत प्रयास किया है. बीजेपी ने अपनी नए नेताओं के द्वारा नई राजनीतिक तैयारी शुरू की है.
Rajasthan Politics: राजस्थान की राजधानी जयपुर में पिछले दिनों कई जातियों ने महा सम्मेलन किया. जैसे ब्राह्मण महासम्मेलन, जाट महाकुम्भ और छत्रिय महासम्मेलन उसके बाद अब भारतीय जनता पार्टी में इसका असर दिखने लगा है. बीजेपी ने जहां अपने अध्यक्ष को बदल दिया. बीजेपी ने अध्यक्ष ही नहीं बल्कि नए नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष को मैदान में उतार दिया है.
राजनीति के जानकारों की मानें तो यह सब महज संयोग नहीं है. सभी जातियों को साधने के लिए बीजेपी ने एक मजबूत प्रयास किया है. बीजेपी ने अपनी नए नेताओं के द्वारा नई राजनीतिक तैयारी शुरू की है. वहीं अब कांग्रेस में दबाव बढ़ने लगा है. वहां भी जातियों को साधने के लिए तैयारी चल रही है. सूत्र बता रहे हैं कि जल्द ही वहां पर बदलाव होने के संकेत मिल रहे हैं.
बीजेपी ने क्यों लिया बड़ा फैसला?
जातीय संतुलन साधने के लिए बीजेपी ने क्यों बड़ा फैसला लिया. बीजेपी को पिछले सभी उपचुनाव में एक सीट छोड़कर सभी पर हार का सामना करना पड़ा. इसे देखते हुए बीजेपी ने यह रणनीति बनाई की यहां पर हिंदुत्व के सहारे चुनाव जीतना थोड़ी मुश्किल होगी. ऐसे में चुनावी साल देखते हुए बीजेपी ने जातीय समीकरण फिट किया है. ब्राह्मण को अध्यक्ष, क्षत्रिय को नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष जाट को बनाया है. इन तीनों जातियों पर बीजेपी की नजर गड़ी हुई है. बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व जातीय समीकरण साधने में लगा हुआ है.
कांग्रेस संगठन में अब कर सकती है बदलाव?
जातीय महापंचायतों के हिसाब से अब कांग्रेस भी संगठन में बदलाव के लिए तैयार दिख रही है. सरकार में कांग्रेस ने ठीक समीकरण बैठाने की कोशिश की है. क्योंकि मंत्रिमंडल का विस्तार भी किया गया था. अब संगठन में अध्यक्ष से लेकर अन्य पदों पर समीकरण बैठाया जा रहा है. कल ही कांग्रेस ने कई पदों पर नई नियुक्ति किया है. जिस तरह से ओबीसी वोटर्स को साधने की बात हो रही है ऐसे में कांग्रेस के लिए चुनौती बड़ी दिख रही है. चुनाव होने में जहां कुछ ही महीने बचे हैं, वहीं राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारी में हैं. ऐसे में सभी दलों को समीकरण बैठना होगा.
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