Jaipur News: राजस्थान में विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Electin 2023)  होने हैं. ऐसे में अब एक बार फिर से प्रमुख जातियों को साधने का काम शुरू हो गया है. बीजेपी भले ही जातियों की बात न कर अन्य बातें करती हो, लेकिन उसे भी राजस्थान में अब जातिगत समीकरण बैठाने पड़ रहे हैं. इसके पीछे कई बातें हैं. मगर जिस तरीके से पिछले दिनों राजस्थान में जातिगत सम्मेलन हुए हैं, इससे अब उसके असर पर भी चिंतन किया जा रहा है.


बीजेपी ने चुनाव से पहले जातिगत समीकरणों को साधने पर ध्यान लगा दिया है. राजस्थान के इस बार के चुनाव में 'कास्ट किंग' लीडर्स की चर्चा तेज है. ऐसी कई जातियां हैं, जिनके लीडर्स की यहां पर पकड़ मानी जाती है. आइये जानते हैं कि बीजेपी में कौन हैं बड़े कास्ट किंग लीडर्स, जिन्हें पार्टी जातियों में जीत का योद्धा मानती है.  


कैसे सधेंगे क्षत्रिय?
तीस साल से अधिक समय से विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले राजेंद्र राठौड़ को इस बार चुनाव से ठीक आठ महीने पहले बीजेपी ने प्रमोशन दे दिया. उन्हें उप नेता प्रतिपक्ष से सीधे नेता प्रतिपक्ष बना दिया. शेखवाटी के तीन जिलों चूरू,सीकर और झुंझुनू के अलावा जयपुर और अन्य जिलों के क्षत्रिय वोटर्स को साधने के लिए बीजेपी ने यह निर्णय लिया. राजेंद्र राठौड़ वैसे तो राजस्थान में मंत्री और कई पदों पर रहे.लेकिन उनके प्रभाव को बड़ा करने के लिए बीजेपी ने प्रमोशन दिया है.जयपुर में हुए क्षत्रिय महासम्मेलन में राजेंद्र राठौड़ को महत्वपूर्ण तरजीह दी गई थी. बीजेपी क्षत्रिय बाहुल्य सीटों को अपना मानती है.


ब्राह्मणों को साधेंगे सीपी जोशी? 


चुनाव से ठीक आठ महीने पहले बीजेपी ने जातिगत समीकरण साधने के लिए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चित्तौड़गढ़ के सांसद सीपी जोशी को कमान सौंप दी. इसे ब्राह्मण महापंचायत का बड़ा असर माना जा था.इस महापंचायत में जोशी को बड़ा महत्व दिया गया था.इसे मेवाड़ क्षेत्र में पकड़ बनाने की एक कोशिश भी मानी जा रही है.मगर जानकारों का कहना है यह बदलाव ब्राह्मण वोटर्स पर पकड़ बनाने के लिए किया गया है. उदयपुर के बाहर भी सीपी जोशी के प्रभाव को बढ़ाने की तैयारी है. हालांकि,सीपी जोशी भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं.मगर चुनाव के दौरान इस बदलाव से सीपी जोशी को अपने को साबित करने का मौका मिलेगा.


जाट वोटों के लिए सतीश पूनिया पर नजर


उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया पर पार्टी की नजर बनी हुई है. जब सतीश पूनिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था, तब उन्हें प्रदेश में खुलकर काम करने का मौका मिला. यहीं से पूनिया ने आमेर विधानसभा क्षेत्र से बाहर अपनी पहचान बनाई. जाट बाहुल्य सीटों पर खूब दौरे किए. जाट महाकुंभ में सतीश पूनियां को बड़ी प्रमुखता मिली थी.सतीश पूनिया शेखावटी से आते हैं. लेकिन अब जयपुर में ही अपनी कर्मभूमि बना ली है. जब पूनिया को अध्यक्ष पद से हटाया गया था तब जाटों के कई नेताओं ने विरोध किया था.यहां तक की कांग्रेस के विधायक भी खुलकर सामने आ गए थे.पूनिया पहली बार के विधायक हैं, फिर भी उन्हें पार्टी ने उप नेता प्रतिपक्ष बनाया है.


गुर्जर और एमबीसी समाज के लिए विजय बैंसला


गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला के साहरे बीजेपी गुर्जर और एमबीसी समाज को साधने में जुटी है. विजय बैंसला कर्नल किरोड़ी बैंसला के बेटे हैं.पूर्वी राजस्थान में बीजेपी गुर्जर और एमबीसी समाज को विजय के नाम पर अपनी ओर करने का प्रयास कर रही है. पूर्वी राजस्थान के आगे कई और अन्य सीटों पर भी बीजेपी विजय को आगे करके चल रही है.प्रदेश की कुल 75 विधानसभा सीटों पर एमबीसी और गुर्जर समाज का प्रभाव है.इन पर बीजेपी विजय बैंसला को आगे बढ़ा रही है. ये वो सीटें हैं जहां पर कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का प्रभाव था. जहां पर विजय के साहरे विजय की उम्मीद बीजेपी लगाए बैठी हुई है. भीलवाड़ा में पीएम के कार्यक्रम में विजय ने बड़ी भूमिका निभाई थी. 


सैनी वोटर्स पर फोकस करेंगे भूपेंद्र सैनी 


बीजेपी नेता 43 साल के भूपेंद्र सैनी की पकड़ सैनी समाज में मानी जाती है. सैनी पार्टी में कई जिम्मेदारी निभा चुके हैं.इन्हे पिछले विधानसभा चुनाव में कुल 42 सीटों पर प्रचार के लिए मैदान में उतारा गया था.वसुंधरा सरकार में इन्हे यूथ बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था.सैनी भाजयुमो में महामंत्री भी रह चुके हैं.वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने करौली लोकसभा सीट के लिए इन्हे प्रभारी भी बनाया था. वहां पार्टी को जीत भी मिली थी. दौसा के रहने वाले वाले सैनी को पार्टी अन्य क्षेत्रों में भी मैदान में उतार रही है.


मुस्लिम सीटों पर बीजेपी की नजर 
बीजेपी मुस्लिम सीटों पर कई नेताओं को आगे करती है. लेकिन पूर्व मंत्री यूनुस खान और अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष सादिक खान को मजबूत माना जा रहा है. कई धरने और आंदोलन में इनकी प्रमुख भूमिका रही है. इनके साथ ही कई और नेता भी लिस्ट में शामिल हैं. उनके लिए पार्टी को ठीक समय का इंतजार है. 


मीणाओं के लिए 'बाबा'का सहारा


मीणा वोटर्स पर फोकस करने के लिए बीजेपी केवल और केवल डॉ किरोड़ी लाल मीणा के सहारे है.पूर्वी राजस्थान की सीटों के अलावा पूरे राजस्थान में किरोड़ी लाल मीणा को पार्टी मजबूत मानती है.उन्हें पीएम के मंच से लेकर सभी प्रमुख जगहों पर पार्टी ले जाती है.राज्य के सभी प्रमुख नेताओं में डॉ किरोड़ी लाल मीणा का प्रमुख स्थान है.उनकी नाराजगी और बातों पर पार्टी पूरा फोकस करती है.यहां लोग कह देते है 'बाबा'ही सहारा हैं.


यादव सीटों पर पूरा फोकस 'नाथ' के सहारे


राजस्थान में यादव बाहुल्य सीटों और जिलों में बीजेपी ने अलवर के सांसद बाबा बालक नाथ को मजबूत पकड़ बनाने के लिए कई बार संकेत दिए हैं.बाबा बालक नाथ अलवर का बहरोड़ सीट पर पूरा फोकस है.इसके साथ ही सीकर, अलवर, कोटपूतली और विराटनगर के साथ ही साथ जयपुर की सीटों पर बाबा बालक नाथ के दौरे शुरू हो गए हैं.


वैश्य वोटर पर बिड़ला सबपर भारी


राजस्थान में वैश्य वोटर्स पर बीजेपी अपनी पकड़ बनाने के लिए कोटा के दो बार के सांसद ओम बिड़ला पर पूरा फोकस है.बीजेपी में बिड़ला का वैश्य समाज पर बड़ा असर है.हाड़ौती की कई सीटों के आलावा पूरे प्रदेश में बिड़ला कई बार दौरे भी अलग-अलग समय पर कर चुके हैं.


मेघवालों पर 'अर्जुन' की नजर


राजस्थान में मेघावल वोटर्स पर बीजेपी ने पकड़ बनाने के लिए बीकानेर के सांसद अर्जुन राम मेघवाल को दोनों बार मंत्री बनाया है.उन्हें कई प्रमुख जिम्मेदारी भी दी है. बीजेपी अर्जुन के सहारे मेघवाल वोटर्स पर अपनी बड़ी नजर बनाए हुए है.


जातियों के बाद उपजातियों पर जोर


राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारेठ का कहना है कि अभी तक तो यह जातियों का मामला था, अब उप जातियां भी आ गई हैं सामने. उनका कहना है कि यहां पर राजनीतिक दलों पर जातियों के संगठन और उनके प्रमुखों का असर पड़ रहा है. आने वाले समय में यह और बढ़ेगा.


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