Jodhpur News: राजस्थान विधानसभा चुनावो में कुछ महीने बाकी हैं. वहीं मौजूद अशोक गहलोत सरकार राज्य में दोबारा सरकार रिपीट करने की जद्दोजहद में जुटी हुई है. सीएम अशोक गहलोत अपनी योजना और विकास कार्य को लेकर कांग्रेस सरकार के रिपीट होने का दावा कर रहे हैं. जानकारों की माने तो अक्टूबर महीने में राजस्थान में आचार संहिता लागू हो सकती है. वहीं कांग्रेस विधायक अपने क्षेत्र में रिपोर्ट कार्ड पर नम्बर बढ़ाने के लिए पहुंच रहे हैं. जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव की तारीख करीब आ रही है, वैसे-वैसे नेताओं के बीच टकराव की स्थिति ज्यादा बढ़ती जा रही है. इसी क्रम में ओसियां से कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा अपने क्षेत्र में विकास कार्यो की एक मीटिंग में पहुंची. इस कार्यक्रम में शिलालेख पर उप प्रधान का नाम नही लिखा होने के कारण उप प्रधान ने हंगामा खड़ा कर दिया. हंगामा बढ़ता देख विधायक दिव्या मदेरणा मीटिंग छोड़ निकल गई. पुलिस ने मौके पर पहुंची उपप्रधान को गिरफ्तार कर ले जाने लगी तो ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया. अब इस हंगामे के बाद वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.


विधायक दिव्या मदेरणा ओसियां विधानसभा क्षेत्र के बाना के बास में अपने विकास कार्यों के लोकार्पण के कार्यक्रम में पहुचने वाली थी, उप प्रधान खेमाराम वहां पर मौजूद थे. पुलिस को सूचना मिली कि यहां विरोध  या हंगामा हो सकता है. विधायक दिव्या मदेरणा पहुंची लोकार्पण के शिलालेख पर उप प्रधान का नाम नहीं लिखा होने से नाराज उप प्रधान ने विरोध किया. हंगामा बढ़ता देखकर विधायक दिव्या मदेरणा मीटिंग छोड़कर मौके से निकल गई. पुलिस ने मौके से उप प्रधान खेमाराम हिरासत में ले लिया और उसे पुलिस थाने ले गई. सूचना मिलते ही बीजेपी कार्यकर्ता व नेता पुलिस थाने के बाहर पहुंच गए. पुलिस के इस रवैये को लेकर लोगों ने नाराजगी जाहिर करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. 


उप प्रधान ने सभा में किया हंगामा- दिव्या मदेरणा


उप प्रधान प्रधान वीडियो में यह बोलते नजर आ रहे हैं कि मैं भी एक जनप्रतिनिधि हूं, मुझे बुलाया नही गया. शिलालेख पट्टी पर मेरा भी नाम होना चाहिए. मैंने किसी तरह का हंगामा नहीं किया है. वहीं उपप्रधान और बीजेपी ने विधायक दिव्या मदेरणा पर तानाशाही के आरोप लगाए हैं. उप प्रधान का कहना है कि पुलिस ने मुझे जबरदस्ती गिरफ्तार किया है. वहीं इस मामले में विधायक दिव्या मदेरणा का कहना है कि हमने किसी अन्य दल के नेता को नहीं बुलाया, इसके बाद भी यह उप प्रधान पहुंचे. उन्हें शांति से बैठना था, अपनी समस्या बतानी थी, मैं समाधान करती. उप प्रधान बार-बार उत्तेजित होने पर मैंने कई बार समझाया लेकिन नहीं माने माहौल खराब करने की साजिश थी जो सफल नहीं हुई.


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