Madan Dilawar Target Shanti Dhariwal: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश महामंत्री मदन दिलावर (Madan Dilawar)ने सूबे के नेता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल (Shanti Dhariwal) पर हमला बोला. उन्होंने जमीन के एक मामले में हुए भ्रष्टाचार का जिक्र करते हुए कहा कि यदि ईडी (ED) और सीबीआई (CBI) द्वारा जांच की जाए तो यह दोनों जेल में रहेंगे.
कांग्रेस के सांगोद से विधायक भरत सिंह द्वारा भ्रष्टाचार की आवाज उठाने के मामले में भी उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा "मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सबसे खास मंत्री शांति धारीवाल जो कि उनके अलावा कांग्रेस पार्टी में किसी को कुछ नहीं मानते. चाहे वो राहुल गांधी हों या फिर सोनिया गांधी. सीएम अशोक गहलोत के लिए वो तोते का काम करते हैं, जो शब्द सीएम गहलोत को बोलना या कहलवाना होता है. वह शांति धारीवाल के जरिए कह देते है."
हाउसिंग बोर्ड में भ्रष्टाचार का आरोप
दिलावर ने कहा कि सीएम गहलोत ने जिस उदेश्य के लिए शांति धारीवाल को नगरीय विकास मंत्री बनाया. वह उदेश्य लगभग पूरा हो ही गया. उन्होंने कहा कि जमीनों का गलत आवंटन कर मोटी रकम ली गई. अपने मतलब के लोगों को बेशकीमती जमीने का आवंटित की गई. साथ ही उन्होंने कहा कि इन्होंने अपने विभागों जेडीए, नगर निगम और हाउसिंग बोर्ड में जो भ्रष्टाचार फैलाया है. वह सबसे सामने हैं.
मदन दिलावर बोले- 45 करोड़ की जमीन 18 करोड़ में दी
उन्होंने कहा शांति धारीवाल ने हाउसिंग बोर्ड की खंड-3, प्रतापनगर और सांगानेर की जमीन अपने खास व्यक्ति आरजी मैमोरियल एजुकेशन सोसायटी के मालिक अश्विनी को 2377.36 वर्ग मीटर में दी, जिसकी कीमत 45 करोड़ है. उस जमीन को उन्होंने मात्र 6 करोड़, 18 लाख रुपए में अपने खास व्यक्ति को दे दी. वहां ना तो कौशल विकास का कार्य होता ना ही शिक्षा का. वहां विशाल बंगला बना लिया गया है, जहां आए दिन देर रात तक शराब पार्टियां चलती रहती हैं".
'नोट शीट पर एक साथ 20 हस्ताक्षर कराए गए'
मदन दिलावर ने कहा "पहले इस जमीन का अलग संस्था में रजिस्टेशन कराकर इसका आवंटन कराने की कोशिश की गई, लेकिन वो पॉलिसी के नियमों में फिट नहीं हो रही थी. क्योंकि उसके लिए 2500 मीटर की भूमि होना जरूरी था. फिर इस जमीन का कौशल विकास के नाम पर आवंटन करा लिया. इस जमीन के लिए 12 मार्च 2020 को आवेदन दिया गया. इसके आवंटन के लिए सभी अधिकारियों को एक ही जगह बुलाया गया और 20 मार्च 2020 को एक साथ विभिन्न अधिकारियों और कर्मचारियों ने नोटशीट पर 20 हस्ताक्षर किए. इसके भी सबूत हैं."
पूरे मामले में जमकर भ्रष्टाचार : मदन दिलावर
उन्होंने कहा कि आखिर ऐसी क्या जल्दी थी जो नोट शीट पर एक साथ 20 हस्ताक्षर कराए गए. 45 दिन बाद फिर इनके खास अधिकारियों की मीटिंग हुई और 13 मार्च 2020 को एक ही साथ बाकी के हस्ताक्षर भी करा लिए गए. इस जमीन के आवंटन में लेन-देन की बात नहीं बनी. इसके बाद सात दिन में वो फाइल शांति धारीवाल के पास गई. उनके द्वारा नोटशीट पर लिख दिया गया कि नॉट अलाउड नोटशीट. पेसौं की लेन देन की मांग पूरी हो जाने के एक महीने बाद ही 12 जून 2020 में जमीन को धारीवाल ने आवंटित कर दिया. इस पूरे मामले में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है.
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