Rajasthan Politics: राजस्थान विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही बीजेपी ने अपनी राजनैतिक शतरंज की बिसात पर जातिगत मोहरों को जमाना शुरू कर दिया है. ऐसे में गुलाबचंद कटारिया, सतीश पूनियां, सीपी जोशी, अर्जुनराम मेघवाल, किरोड़ी लाल मीणा सहित कई दिग्गजों को अहम जिम्मेदारियां जातिगत आधार पर ही दी गई हैं ताकी सभी को साधा जा सके. 


वहीं राजपूतों की बात करें तो गजेन्द्र सिंह शेखावत व राजेन्द्र सिंह राठौड़ राजपूतों को साधने के मैदान में जोर आजमाइश कर रहे हैं, लेकिन उसके विपरीत इस बार बीजेपी राजस्थान में राजपूतों के सबसे बड़े नाम पूर्व उपराष्ट्रपति व राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत पर अपना दांव चल रही है. इस बार शेखावत की जन्मशताब्दी वर्ष को पूरे प्रदेश में धूमधाम के साथ मनाए जाने का निर्णय लिया गया है, जिसकी कवायद शुरू हो गई है.


सभी संभागों में राजपूतों का वर्चस्व
बीजेपी की हाल ही में हुई बैठक में ये निर्णय किया गया कि आगामी 12 मई से शेखावत के जन्मशताब्दी वर्ष के कार्यक्रम पूरे राजस्थान में होंगे. इसके लिए कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंपी जा रही है. भैरोंसिंह शेखावत के पैतृक गांव खाचरियावास में इन कार्यक्रमों की शुरूआत होगी. शेखावत के बहाने राजपूतों को एक मंच पर लाकर उन्हें बीजेपी के पक्ष में करने की कवायद शुरू हो चुकी है. राजस्थान में राजपूत बहूल्य क्षेत्रों की बात करें तो पूरे प्रदेश में हर संभाग मुख्यालय पर राजपूतों का वोट बैंक बडी संख्या में हैं और राजपूत समाज के बडे़ नेता भी बीजेपी से ही आते हैं. 


100 से ज्यादा सीटों पर प्रभाव
हालांकि इस बार पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को लेकर अटकलें लगातार बनी हुई हैं. राजपूत समाज सीधे तौर पर बात करें तो 100 से अधिक विधानसभ सीटों पर प्रभाव डालता है, जिसमें मेवाड़, हाड़ौती, जयपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, नागौर, जालौर, झुंझुनूं, सीकर सहित कई जिले काफी अहम भूमिका निभाते हैं.
 
राजपूत समाज का प्रतिनिधित्व
विधानसभा की बात करें तो राजस्थान में राजपूत समाज 9 से 10 प्रतिशत के करीब है. ऐसे में वह विधानसभा में अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन करता है. लंबे समय से कांग्रेस के नेता पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह भैरोसिंह शेखावत को नजरअंदाज करती रही हैं. वहीं जसवंत सिंह भी बीजेपी से नाराज हुए तो राजनैतिक वजह कुछ भी रही हो, लेकिन इस बार बीजेपी राजपूतों को किसी भी सूरत में खुश करने की कवायद में जुट गई हैं और इसके लिए अभी से प्रयासों को तेज कर दिया गया है. लोकसभा और विधानसभा दोनों में ही राजपूत समाज की भागीदारी महत्वपूर्ण रही है. 


चुनाव से पहले ही राजपूत समाज को संगठित कर बीजेपी के पक्ष में करने के राजनैतिक मायने सभी के समझ में आ रहे हैं. कुछ नेता रूठे भी तो ज्यादा असर नहीं रहेगा, इसलिए अभी से ही राजपूतों की मान मनुहार की जाने लगी है. वर्तमान में बीजेपी के तीन सांसद हैं और कई विधायक, लेकिन जहां राजपूत समाज निवासरत हैं वहां 5 हजार से लेकर 60 हजार तक वोटर्स हैं जो हार जीत तय करते हैं.  


मई से लेकर अक्टूबर तक चलेंगे कार्यक्रम
बीजेपी अध्यक्ष द्वारा ली गई बैठक में निणर्य किया गया कि पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के जन्मशताब्दी समारोह को गांव-गांव ढाणी-ढाणी तक पहुंचाने के लिए हर कार्यकर्ता प्रयास करेगा. 12 मई से लेकर अक्टूबर के अंत तक इसे मनाए जाने को लेकर खाका तैयार किया जा रहा है. इन कार्यक्रमों के माध्यम से शेखावत का जीवन परिचय, उनके द्वारा चलाई गई योजनाएं, देश और प्रदेश में उनका योगदान, समाज में उनकी भूमिका, राजनैतिक जीवन सहित कई विषय रखे जाने वाले हैं. 12 मई से इसकी शुरूआत होने जा रही है. शेखावत के पैतृक गांव में 15 मई को एक बडी सभा करने की भी योजना बनाई जा रही है.
 
अन्य जातियों को भी साधने की तैयारी
बीजेपी केवल राजपूत को ही नहीं साध रही उसकी नजर हर वर्ग और समाज पर हैं, इससे पूवै एसटी-एससी वोट बैंक को साधने के लिए सवाई माधोपुर और जोधपुर में सम्मेलन आयोजित किए गए जिसमें बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व के रूप में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह शामिल हुए थे. इसके बाद अब धाकड समाज का भी एक मंदिर बन रहा हैं, जिसमें प्रधानमंत्री के आने की पूरी संभावना है, इसके साथ ही माली, गुर्जर समाज के वोटों पर भी बीजेपी जोर अजमाइश कर रही हैं, कुल मिलाकर विधानसभा चुनाव 2023 में सरकार बनाने के लिए बीजेपी हर कदम उठाने के लिए तैयार है. 


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