Rajasthan Lok Sabha Election 2024: विधासनभा चुनाव में बीजेपी की जीत की प्रचंड बहुमत से जीत के बाद भजनलाल शर्मा राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री होंगे, ये तय हो गया है. उनके अलावा दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा के रुप में दो उपमुख्यमंत्री होंगे. वहीं अब मंत्री मंडल के विस्तार की चर्चाएं चल रही हैं. सबसे ज्यादा नजर वागड़ पर टिकी हुई हैं. वागड़ क्षेत्र में बीजेपी को अपेक्षा के अनुरुप परिणाम नहीं मिला, यहां से बीजेपी को सिर्फ दो ही सीटों पर कामयाबी मिली है. ऐसे में चर्चा है कि जनजातीय क्षेत्र की लोकसभा सीटों को साधने के लिए भारतीय जनता पार्टी कौन सा फॉर्मूला अपनाएगी.


वागड़ क्षेत्र में लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए बीजेपी कौन सा फॉर्मूला अपनाएगी, जनजातीय क्षेत्रों में जीत दर्ज करने के लिए किसे कमान सौंपी जाएगी या मंत्री बनाया जाएगा. इसको लेकर विशेष चर्चा हो रही है. इस बार मेवाड़ में बीजेपी को बड़ी लीड मिली और कई चेहरे भी हैं, लेकिन वागड़ में कांग्रेस का वर्चस्व बना है. जानिए क्या है स्थिति.


सीटों का गणित और लोकसभा सीट पर चुनौती
वागड़ यानी बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिला, जिसमें कुल 9 विधानसभा सीट है और बांसवाड़ा लोकसभा सीट है. यहां बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. इसके पीछे दो बड़े कारण हैं. पहला तो यह कि 9 में से बीजेपी के पास 2 ही विधानसभा सीटें है. वहीं कांग्रेस के पास 5 और भारत आदिवासी पार्टी के पास 2 विधायक हैं. दूसरा यह कि भारत आदिवासी पार्टी भले ही दो सीटों पर जीती, लेकिन कुछ ऐसी भी विधानसभाएं हैं जहां कांग्रेस से हारी तो पर बीजेपी से ज्यादा वोट हासिल किए. ऐसे में चर्चाएं हैं कि बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर फिर से जीतने के लिए बीजेपी को यहीं से दो में से किसी को मंत्री मंडल में शामिल करने की जरूरत है और प्रबल संभावना भी है. कांग्रेस की सरकार में बांसवाड़ा जिले से ही दो मंत्री रहे जिसका नतीजा चुनाव में सामने आ चुका है.


बीजेपी के ये हैं दो विधायक
इस क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के दो विधायकों ने जीत दर्ज की है. उनमें से बांसवाड़ा जिले की गढ़ी विधानसभा से कैलाश चंद्र मीणा और डूंगरपुर जिले की सागवाड़ा विधानसभा से शंकर लाल डेचा ने बीजेपी प्रत्याशी के रुप में जीत हासिल की है. कैलाश चंद्र मीणा इसी विधानसभा से लगातार तीसरी बार विधायक बने हैं. बीजेपी में पहले जनजातीय क्षेत्र की कमान प्रतापगढ़ से दो दशक तक विधायक और जनजातीय मंत्री रहे नंदलाल मीणा के हाथ में थी. अब कोई कद्दावर नेता नहीं है, ऐसे में कैलाश चंद्र मीणा को मंत्री पद देकर जनजातीय क्षेत्र को साध सकती है.


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