राजस्थान में ओला परिवार की अब क्यों नहीं दौड़ पा रही जीत की गाड़ी? तीसरी पीढ़ी को मिल रही हार
पूर्व केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला की बहू और सांसद बृजेंद्र सिंह ओला की पत्नी राजबाला ओला ने उप-चुनाव में मिली हार पर कहा कि इसके पीछे कई वजहें हैं. यहां ओला परिवार को कोई नुकसान नहीं हुआ है.
Rajasthan Politics: राजस्थान की राजनीति में दशकों से ओला परिवार का दबदबा बना हुआ है. विधानसभा का चुनाव हो या लोकसभा दोनों के लिए झुंझुनूं सीट पर ओला परिवार ही मैदान में दिखता है. यहां कांग्रेस ओला परिवार से हटकर कोई निर्णय नहीं ले पाती है. सिर्फ ओला परिवार ही चुनाव के लिए दावेदारी करता है. हालांकि अब ओला परिवार की 'जीत की गाड़ी' दौड़ नहीं पा रही है.
शीशराम ओला के बेटे बृजेंद्र सिंह ओला 2024 का लोकसभा चुनाव किसी तरह से जीत गए. लेकिन जब उनकी विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ तो उनके बेटे को बड़े वोटों के अंतर से हार मिली. अब सवाल उठने लगा है कि क्या ओला परिवार का गढ़ टूट रहा है. लेकिन, ओला परिवार इन हारों के पीछे कोई ठोस या एक कारण नहीं बता रहा है.
तीन चुनाव बहुत कुछ कह रहे
साल 2014 में शीशराम ओला की बहू राजबाला ओला और 2024 के उपचुनाव में बृजेंद्र सिंह ओला के बेटे अमित ओला उपचुनाव हार गए. बृजेंद्र सिंह ओला की बहू आकांक्षा ओला दिल्ली की मॉडल टाउन विधानसभा सीट से 2020 में चुनाव हार गई थी.
क्या कहता है ओला परिवार ?
पूर्व केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला की बहू और सांसद बृजेंद्र सिंह ओला की पत्नी राजबाला ओला का कहना है कि चुनाव हारने के पीछे कई वजहें हैं. यहां ओला परिवार को कोई नुकसान नहीं हुआ है. राजबाला कहती हैं कि जब मैं साल 2014 में चुनाव हारी थी तो उस समय मोदी लहर चल रही थी. आकांक्षा ओला साल 2020 में जब मॉडल टाउन से चुनाव हारी थी तब वहां पर कांग्रेस की स्थिति अच्छी नहीं थी. अब उपचुनाव में अमित ओला की हार के बाद भी सरकार के खिलाफ लड़ना है. राजबाला का कहना है कि ओला परिवार के साथ अभी सब खड़े हैं.
'कोई फर्क नहीं पड़ता'
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार अरविन्द चोटिया का कहना है कि ओला परिवार चुनाव भले हार जा रहा है. लेकिन उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. झुंझुनूं में कांग्रेस का टिकट सिर्फ ओला परिवार को ही मिलना चाहिए.