Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 में होंगे. सरकार बनाने को लेकर दोनों पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी अपना-अपना दावा ठोक रही हैं. लेकिन बसपा (BSP) अभी कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है. बसपा की क्या रणनीति रहेगी राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Election) में अभी यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है. बसपा 1990 में पहली बार राजस्थान के विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरी थी लेकिन बसपा किसी भी विधानसभा की सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी. बसपा को जीत का स्वाद राजस्थान में 1998 के विधानसभा चुनावों में मिला जब बहुजन समाज पार्टी ने 108 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा था.
बसपा को 1998 के विधानसभा चुनाव में 2 सीटों पर भरतपुर जिले की नगर विधानसभा सीट से माहिर आजाद और अलवर जिले की बानसूर सीट से जगत सिंह दायमा जीत कर विधानसभा पहुंचे थे.
साल 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 150 सीटों पर जीत दर्ज कर प्रदेश में सरकार बनाई थी. 150 विधायक कांग्रेस पार्टी के जीत कर आने से बसपा विधायकों को कोई तवज्जो नहीं मिली. क्योंकि बसपा के विधायकों की किसी भी पार्टी को जरुरत नहीं थी. 2003 के चुनावों में बसपा के फिर दो विधायक दौसा जिले की बांदीकुई सीट से मुरारी लाल मीणा और करौली जिले की सपोटरा विधानसभा सीट से सुखलाल जीतकर विधानसभा पहुंचे लेकिन 2003 में भारतीय जनता पार्टी 120 सीटों पर विजय हासिल कर पूर्ण बहुमत से आई थी और कांग्रेस को मात्र 56 सीटों पर जीत मिली थी इसलिए 2003 में भी बसपा विधायकों की किसी जरुरत नहीं पड़ी.
साल 2008 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के 6 विधायक जीतकर विधानसभा में पहुंचे. 2008 के विधानसभा के चुनावों में बहुजन समाज पार्टी के नवलगढ़ की विधानसभा सीट पर राजकुमार शर्मा,उदयपुरवाटी से राजेन्द्र गुढ़ा,गंगापु से रामकेश मीणा ,सपोटरा से रमेश मीणा ,दौसा से मुरारी लाल मीणा और धौलपुर जिले की बाड़ी विधानसभा सीट से गिर्राज सिंह मलिंगा बहुजन समाज की टिकिट पर चुनाव लड़कर विधानसभा में पहुंचे थे.
किंग मेकर बन कर उभरी बसपा
राजस्थान की विधानसभा 2008 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी किंग मेकर बन कर उभरी थी. 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 96 सीट पर जीत मिली थी और भारतीय जनता पार्टी को 78 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस को बहुमत के लिए 5 विधायकों की जरूरत थी लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बसपा के 6 विधायकों का कांग्रेस में विलय करवा लिया और बसपा देखती रह गई. बहुजन समाज पार्टी के चुनाव चिन्ह पर जीतकर सभी 6 विधायकों ने कांग्रेस का दामन थाम लिया और सभी कांग्रेस के विधायक बन गए.
साल 2013 के राजस्थान विधानसभा के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के तीन विधायक जीत कर विधानसभा में पहुंचे. 2013 में बहुजन समाज पार्टी के सादुलपर से मनोज कुमार न्यांगली धौलपुर से बी.एल. कुशवाह और खेतड़ी से पूरणमल सैनी बहुजन समाज पार्टी के चुनाव चिन्ह पर जीतकर विधानसभा में पहुंचे. 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 163 सीटों पर जीत मिली थी और कांग्रेस पार्टी को मात्र 21 सीटों पर जित मिली थी बीजेपी को 163 सीट पर जीत हासिल होने के कारण बहुजन समाज पार्टी के विधायकों की जरुरत नहीं हुई.
साल 2018 के विधानसभा के चुनाव में भोजन समाज पार्टी के फिर 6 विधायक जीत कर विधानसभा पहुंचे. 2018 में राजस्थान के विधानसभा चुनाव में किशनगढ़बास की सीट पर चौ. डीप चन्द खैरिया ,तिजारा से संदीप यादव ,उदयपुरवाटि से राजेन्द्र गुढ़ा ,करौली विधानसभा सीट पर लाखन मीणा ,नदबई सीट पर जोगिन्दर अवाना और भरतपुर जिले की नगर विधानसभा सीटपर वाजिब अली जीतकर पहुंचे. 2018 में कांग्रेस को 100 सीटों पर सफलता मिली और बीजेपी को 73 सीटों पर जीत मिली थी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फिर 2008 के चुनावों की याद ताजा कर दी और बसपा के 6 विधायकों का विलय कांग्रेस में कर लिया. बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती फिर एक बार मायूसी से अपने विधायकों को कांग्रेस में जाते हुए देखती रह गई.
क्या होगा अब 2023 के चुनाव में
राजस्थान विधानसभा का चुनाव 2023 के में होने है. लेकिन मुख्यमंत्री की सीट को लेकर जो घमासान कांग्रेस पार्टी में देखने को मिला है उससे जनता आहत है. सबकी जुबां पर एक ही सवाल आता है कि आखिर बहुजन समाज पार्टी अपने विधायकों को रोकने का क्या प्रयास करेगी जिससे विधानसभा के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के चिन्ह पर जीत हासिल करने वाले विधायक अन्य पार्टी में न जा सकें.
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