Rajasthan News: बूंदी जिले में पहली बार 725 ग्राम के नवजात को जीवनदान मिला है. मातृ एवं शिशु अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती एक साथ जन्मे 3 नवजात शिशुओं को इलाज के 28 दिन बाद परिवार को सुपुर्द कर दिया गया. तीनों बच्चों को स्वस्थ्य देख मां की आंखें भर आईं. मां ने तीनों बच्चों को गोदी में लेकर खूब प्यार और दुलार किया. नवजात अब खतरे से बाहर है. उसके सभी ऑर्गन पूरी तरह से काम कर रहे हैं.


डॉक्टरों का दावा है कि सरकारी अस्पताल में पहली बार इतने कम वजन वाले बच्चे का इलाज किया गया है. नवजात सांस लेने की स्थिति में भी नहीं था. सबसे पहले वेंटिलेटर पर रखा गया. फेफड़ों को विकसित करने के लिए दवा शुरू की गई. डिलिवरी होने से मां को भी दूध नहीं आ रहा था. नवजात भी इतना कमजोर था कि फीडिंग नहीं कर सकता था. अब इलाज के बाद बच्चा स्वस्थ्य है. 


17 मई को महिला ने दिया था तीन बच्चों को जन्म


मातृ एवं शिशु अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ जीएस कुशवाह ने बताया कि 17 मई को गोठड़ा निवासी लाली बाई ने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में सुबह 6.10 बजे दो लड़की और 1 लड़के को जन्म दिया. प्रसव पीड़ा होने पर लाली बाई की स्थिति जिला अस्पताल ले जाने योग्य नहीं थी. मजबूरीवश प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में ही लाली की डिलीवरी कराई गई.


डिलीवरी के समय उसे पहली लड़की, दूसरा लड़का, तीसरी लड़की हुई. तीनों का वजन अत्यधिक कम होने के कारण जच्चा बच्चा को 108 एंबुलेंस से जिला अस्प्ताल रेफर कर दिया गया. जिला अस्पताल की स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट में तीनों को भर्ती किया गया. उस समय लड़की का वजन 725 ग्राम, लड़के का 1200 ग्राम, तीसरी लड़की का 1 किलो 90 ग्राम था. डॉक्टरों ने तीनों बच्चों को ऑक्सीजन और सीपीएपी मशीन का उपयोग कर नली के माध्यम से फीड करवाया. 


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मिल्क बैंक के दूध से बढ़ी रोग प्रतिरोधक क्षमता


डॉक्टरों ने बच्चों के विकास और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का उपाय किया. उन्होंने मां के दूध के साथ साथ मिल्क बैंक के दूध का भी उपयोग किया. बच्चों को गर्म रखने के लिए कंगारू मदर केयर अपनाई गई जिससे बच्चों का वजन भी बढ़ा और शरीर भी गर्म रहा. डॉक्टरों ने बताया कि अब तीनों बच्चे पूर्णतया स्वस्थ हैं. एक बच्चा नलची और 2 चम्मच कटोरी से दूध पी रहे हैं. बच्चों के माता पिता को नियमित चेकअप कराने और आंख और दिमाग के विकास के लिए चिकित्सक से मार्गदर्शन लेने की बात कही गई है. अब लड़की का वजन 940 ग्राम, लड़के का 1 किलो 260 ग्राम और तीसरी लड़की का 1 किलो 260 ग्राम हो गया है. 


डॉक्टर जीएस कुशवाह ने बताया कि ऐसे समय में बच्चे को प्रोटीन दिया गया ताकि उसका वजन बढ़ सके. इसके बाद बच्चे को मदर मिल्क दिया गया, जिससे उसका डिवेलपमेंट तेजी से हो ओर धीरे-धीरे फेफड़े भी विकसित हो गए. सबसे बड़ा चैलेंज दिमाग के अंदर ब्लीडिंग का खतरा था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. डॉक्टर जीएस कुशवाह के मुताबिक अस्पताल में बच्चे पर विशेष ध्यान दिया गया. खुशी है कि एक सरकारी अस्पताल में 28 दिनों तक बच्चे को रखकर इलाज हुआ. वहीं, ट्रिप्लेट बच्चों के डिस्चार्ज के समय डॉ. गोविंद गुप्ता, डॉ. पंकज शर्मा, डॉ. एस.एन.मीणा, रेजिडेंट चिकित्सक अश्विनी, नर्सिंग ऑफिसर वितेश सोनी, विल्सेेंट सेम्यूल मौजूद रहे.