Bundi News: रामगढ़ अभयारण्य विकसित होने के बाद रणथंभौर में बाघों का संघर्ष होगा कम, विभाग कॉरिडोर पर कर रहा काम
Ranthambore Tiger Reserve: रामगढ़ अभयारण्य विकसित होने के बाद रणथंभौर में बाघों का संघर्ष कम होगा. इसको लेकर विभाग कॉरिडोर पर काम कर रहा है. कुवालजी की जंगल में हमेशा दो-तीन टाइगर का मूवमेंट रहता है.
Rajasthan News: रणथंभौर से आए दिन बाघों के संघर्ष की खबरें सामने आती है. चौथे टाइगर रिजर्व के रूप में रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में विकसित होगा तो यहां पर बाघों के बीच संघर्ष खत्म हो जाएगा. क्योंकि बूंदी का रामगढ़ अभयारण्य सीधा रणथंभौर से कनेक्ट है. आए दिन रणथंभौर से रामगढ़ अभयारण्य में बाघ आते रहते हैं. वर्तमान में टी 115 बूंदी के रामगढ़ अभयारण्य में विचरण कर रहा है. बूंदी वन विभाग भी रणथंभौर टाइगर रिजर्व के इन रास्तों को कॉरिडोर बनाने में जुटा है ताकि बाघ खुद आ जाएं.
वापस लौट जाते हैं टाइगर
बूंदी जिले की ओर से आने के लिए अमूमन टाइगरों का दो रास्तों पर आवागमन होता है. अफसोस की बात यह है कि टाइगर अंदर आकर भी वापस लौट जाते हैं क्योंकि यहां उन्हें लंबे समय तक रोके रखने के लिए पुख्ता बंदोबस्त नहीं है. बूंदी के रामगढ़ अभयारण्य में कुवालजी की जंगल में हमेशा दो-तीन टाइगर का मूवमेंट रहता है.
यह एरिया वैसे तो रणथंभौर टाइगर रिजर्व का बफर जोन है लेकिन बूंदी जिले में आता है. नोटिफिकेशन जारी होने के बाद काफी कुछ परिवर्तन होने वाला है. रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बफर एरिया का काफी हिस्सा बूंदी के रामगढ़ टाइगर रिजर्व में शामिल हो जाएगा. कहने को तो रणथंभौर की रामगढ़ टाइगर रिजर्व में सीधी कनेक्टिविटी है. इसकी कनेक्टिविटी के लिए टाइगर के हिसाब से कॉरिडोर को डेवलप किया जाएगा.
वन्य जीव प्रतिपालक ने कही ये बात
वन्य जीव प्रतिपालक बिट्टू कुमार ने बताया कि बूंदी का रामगढ़ क्षेत्रफल की दृष्टि से काफी लंबा है. इसका नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है. सबसे खास बात यह है कि यह टाइगर रिजर्व रणथंभौर टाइगर रिजर्व और कोटा के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व से सटा हुआ है. यहां सीधा टाइगर आ और जा सकते हैं. बूंदी का रामगढ़ अभयारण्य टाइगर को इसलिए पसंद आता है क्योंकि उनके हिसाब से यहां ग्रास लैंड, प्राकृतिक स्थल मौजूद हैं.
कम होगा बाघों का बढ़ता संघर्ष
रामगढ़ टाइगर रिजर्व घोषित होने से निश्चित रूप से रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघों का बढ़ता संघर्ष कम होगा और सीधा टाइगर बूंदी रामगढ़ अभ्यारण में आएंगे तो यहां उन्हें आबाद होने का मौका भी मिलेगा. वन्य जीव प्रतिपालक बिट्टल कुमार बताते हैं कि दोनों टाइगर रिजर्व से रामगढ़ अभ्यारण में कनेक्ट है यदि उनका कॉरिडोर सही कर दिया जाए तो वो खुद यहां आ जाएंगे. यहां उसे शिफ्ट करने की आवश्यकता नहीं होगी.
इन रास्तों को किया जाये डेवलप
वन्यजीव प्रतिपालक बिट्टल कुमार ने बताया की रणथंभौर टाइगर रिजर्व से बाहर की ओर मूवमेंट करने वाले टाइगर्स हमेशा दो रास्तों से मुवमेंट करते हैं. इनमें कुंवालजी-बलबन-पोलघटा-मेज नदी का सखावदा है. जबकि दूसरा रास्ता आमली-गाजीपुर-चाकनबांध-बाबई-इंद्रगढ़-तलवास है.
वर्तमान में रामगढ़ टाइगर रिजर्व में आया हुआ टी-115 पहले रास्ते यानी सखावदा से होता हुआ रामगढ़ में आया था. इससे पहले टी-62 दूसरे रास्ते यानी इंद्रगढ़ तलवास से होता हुआ रामगढ़ टाइगर रिजर्व में आया था. यदि इन रास्तों पर रोकने के लिए वन विभाग कुछ प्लान करे तो सीधा टाइगर बूंदी आ सकते हैं.
रणथंभौर से रायगढ़ की दूरी करीब 50 किमी
रणथंभौर से रायगढ़ की दूरी करीब 50 किमी है. इस कॉरिडोर को टाइगर से आबाद करने के लिए प्रत्येक 5 किमी पर 500 हेक्टेयर का क्लोजर डेवलप किया जा सकता है. इसे नरेगा से भी करवाना संभव हो सकता है. इसके अलावा निगरानी के लिए चेक पोस्ट बन जाए और पानी की व्यवस्था कर दी जाए. जबकि रोज टाइगर 20 किलोमीटर का सफर तय करते हैं. इसके बाद शाकाहारी वन्यजीवों की तादाद में अपने आप बढ़ोतरी हो जाएगी और मांसाहारी वन्य जीव अपने आप ही खींचे चले आएंगे.
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